अमेरिका के पतन के बाद की दुनिया: क्या नई विश्व व्यवस्था बनेगी?
सचिन श्रीवास्तव
20वीं सदी में अमेरिका सबसे शक्तिशाली देश था, लेकिन 21वीं सदी में उसका प्रभुत्व कमजोर हो रहा है। चीन, रूस और अन्य देश अब अमेरिका को चुनौती दे रहे हैं। अमेरिकी अर्थव्यवस्था कर्ज में डूबी है, और उसका सैन्य प्रभुत्व भी कमजोर हो रहा है। BRICS, डिजिटल मुद्राएं और क्षेत्रीय गठजोड़ अमेरिका की ताकत को खत्म कर सकते हैं। अगर अमेरिका कमजोर हो जाता है या उसका पतन हो जाता है, तो दुनिया कैसी होगी? कौन-से नए शक्ति केंद्र उभरेंगे, और क्या यह दुनिया ज्यादा स्थिर होगी या और भी अस्थिर?
असल में अमेरिका के पतन के 5 प्रमुख संकेत मिल रहे हैं। पहला डॉलर का वैश्विक प्रभुत्व खत्म हो रहा है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था की ताकत डॉलर पर टिकी है। अगर दुनिया के देश डॉलर छोड़कर अन्य मुद्राओं में व्यापार करने लगते हैं, तो अमेरिका का प्रभुत्व खत्म हो जाएगा। अब BRICS देश और खाड़ी देश डॉलर की जगह अन्य मुद्राओं का उपयोग कर रहे हैं।
दूसरी तरफ अमेरिका का सैन्य प्रभुत्व भी कमजोर हो रहा है। अमेरिका अब एक साथ कई युद्ध नहीं लड़ सकता। अफगानिस्तान से उसकी वापसी ने दिखा दिया कि वह कमजोर हो रहा है। अगर रूस और चीन अमेरिका को चुनौती देते रहे, तो अमेरिकी सैन्य शक्ति और कमजोर हो सकती है।
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तीसरे, घरेलू अस्थिरता और राजनीतिक विभाजन से भी अमेरिका कमजोर हुआ है। अमेरिका की राजनीति अब अंदर से टूटी हुई है। डेमोक्रेट और रिपब्लिकन पार्टियां अब एक-दूसरे को दुश्मन मानती हैं। अगर अमेरिका में गृहयुद्ध जैसे हालात बने, तो वह वैश्विक शक्ति नहीं रह पाएगा।
तकनीकी वर्चस्व की समाप्ति के कारण भी अमेरिका मुश्किल में है। चीन अब अमेरिका को 5G, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल मुद्रा में चुनौती दे रहा है। अगर अमेरिकी टेक कंपनियां कमजोर होती हैं, तो उसकी वैश्विक शक्ति भी घट जाएगी।
क्षेत्रीय गठबंधनों का मजबूत होना अमेरिका के लिए बड़ा सिरदर्द है। यूरोप अब अमेरिका से अलग नीति बना रहा है। भारत, चीन, रूस और अन्य देश मिलकर नए वैश्विक आर्थिक और सैन्य गठबंधन बना रहे हैं। अगर अमेरिका इन गठबंधनों को रोक नहीं पाया, तो उसकी ताकत धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी।
कौन बनेगा नई ताकत
चीन अगला सुपरपावर हो सकता है। चीन अब दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है। Belt and Road Initiative (BRI) के जरिए चीन ने एशिया, अफ्रीका और यूरोप में अपना प्रभाव बढ़ाया है। लेकिन चीन के सामने भी समस्याएँ हैं—बुजुर्ग होती जनसंख्या, आंतरिक असंतोष, और पश्चिमी देशों का विरोध।
चीन के अलावा रूस भी महाशक्ति बनने की कतार में है। सैन्य और ऊर्जा शक्ति उसके पक्ष में है। रूस के पास दुनिया के सबसे बड़े ऊर्जा संसाधन हैं। यूक्रेन युद्ध के बाद भी रूस की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। अगर रूस और चीन का गठबंधन बना रहता है, तो वे मिलकर अमेरिका को पीछे छोड़ सकते हैं।
BRICS और वैश्विक दक्षिण में बहुध्रुवीय विश्व का उदय हो रहा है। BRICS (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) अब अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती दे रहे हैं। भारत जैसे देश अब अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बना रहे हैं और अमेरिकी दबाव को नजरअंदाज कर रहे हैं। अगर BRICS सफल रहा, तो दुनिया में अमेरिका का प्रभाव खत्म हो सकता है।
यूरोप के सामने सवाल है कि वह स्वतंत्र ताकत की तरह रहे या अमेरिकी गुलाम की अपनी छवि को बरकरार रखेगा। हालांकि संकेत मिल रहे हैं कि यूरोप अब अमेरिकी प्रभाव से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है। लेकिन NATO अभी भी अमेरिका के प्रभाव में है। अगर यूरोप रूस और चीन के साथ सहयोग बढ़ाता है, तो वह अमेरिका से अलग हो सकता है।
अमेरिका के पतन के बाद दुनिया की तस्वीर
सवाल है कि क्या अमेरिका के पतन के बाद दुनिया ज्यादा स्थिर होगी? अगर अमेरिका कमजोर होता है, तो छोटे देश अपने फैसले खुद ले सकेंगे। BRICS और अन्य क्षेत्रीय गठबंधन ज्यादा स्वतंत्र होंगे। युद्धों की संभावना कम हो सकती है, क्योंकि कोई एकल महाशक्ति नहीं होगी।
हालांकि आशंका यह भी है कि दुनिया और अस्थिर होगी। क्योंकि अमेरिका कमजोर होता है, तो अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं (UN, IMF, NATO) कमजोर हो जाएंगी। अमेरिका के बिना यूरोप, रूस, चीन और अन्य शक्तियों के बीच संघर्ष बढ़ सकता है। अगर कोई नया शक्ति केंद्र नहीं बना, तो दुनिया में अराजकता हो सकती है।
भारत के लिए अवसर और खतरे
अमेरिका के पतन के बाद भारत को अपनी स्वतंत्र नीति बनाने का मौका मिलेगा। BRICS और अन्य संगठनों में भारत को ज्यादा महत्व मिलेगा। भारत चीन, रूस और यूरोप के साथ मिलकर एक नई विश्व व्यवस्था बना सकता है।
भारत के लिए खतरे भी कम नहीं हैं। अगर अमेरिका कमजोर हुआ, तो चीन ज्यादा आक्रामक हो सकता है। भारत को अपनी सैन्य और आर्थिक शक्ति बढ़ानी होगी ताकि वह किसी के अधीन न आए। अगर अमेरिका कमजोर हुआ, तो भारत को अपनी तकनीकी और आर्थिक ताकत खुद बनानी होगी।
क्या फिर आएगा अमेरिका उभार
अगर अमेरिका अपनी आंतरिक समस्याओं को सुलझा लेता है, तो वह फिर से मजबूत हो सकता है। अगर अमेरिका नई तकनीकों में बढ़त बनाए रखता है, तो वह वैश्विक शक्ति बना रह सकता है। अगर अमेरिका अपनी आक्रामक विदेश नीति छोड़कर सहयोग की नीति अपनाता है, तो वह फिर से विश्व नेतृत्व कर सकता है।
21वीं सदी की नई वैश्विक व्यवस्था
अमेरिका कमजोर हो रहा है, लेकिन वह अभी भी पूरी तरह नहीं गिरा है। चीन, रूस, BRICS और अन्य देश अब नई वैश्विक व्यवस्था बनाने की कोशिश कर रहे हैं। भारत के लिए यह अवसर और खतरा दोनों लेकर आ सकता है। भविष्य यह तय करेगा कि क्या दुनिया बहुध्रुवीय होगी, या फिर कोई नया सुपरपावर उभरेगा।