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Covid Tales: ‘गुजारा करने के लिए सब्जी बेचते हैं तो पुलिस-प्रशासन के लोग करते हैं लूट-खसोट’

प्रदीप सिंह, परवाज टीम 

Covid Tales: आज मेरे पास रोशनपुरा न्यू मार्केट से मीरा (बदला हुआ नाम) का फोन आया। उनके परिवार में कमाने वाली वही हैं और साथ में एक शादीशुदा बेटी, जिनका केस चल रहा है साथ में ही रहती हैं और उनके बेटे, बहू हैं। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन से पहले वह फुटपाथ पर सामान लगाकर अपना और अपने परिवार का जीवन यापन करती थीं। (Covid Tales) अभी जब से भोपाल में लॉकडाउन हुआ उसके एक सप्ताह बाद से घर की स्थिति बिगड़ने लगी। खाने-पीने का एक-एक करके सारा सामान खत्म होने लगा तो उन्होंने एक ठेले की व्यवस्था करके सब्जी और फल बेचने का काम शुरू किया। प्रशासनिक अधिकारी का कहर इस तरह बढ़ गया कि कभी कोई अधिकारी आकर गाली गलौच कर बंद करने की धमकी देकर चला जाता है। कभी प्रशासनिक अफसर द्वारा शोषण किया जाता है। मेरे से या किसी अन्य ठेले से सब्जी या फल लेते हैं। 200 के सामान के बदले 100 रुपये पकड़ा कर चले जाते हैं। कोई-कोई तो पैसा भी नहीं देता। मेरा मूलधन भी खा जाते हैं।

उन्होंने साफ तौर से कहा कि (Covid Tales)अगर उन्हें सामान न दें तो बंद करने की धमकी देते हैं। कहते हैं कि पता नहीं क्या तुम्हें पूरे देश में कोरोना फैला हुआ है और तुम यहां फल और सब्जी लगाकर कोरोना की कड़ी को जोड़ने का प्रयास कर रहे हो।

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(Covid Tales) वह बहुत परेशान हैं। बदहाल हैं और बेचारगी का शिकार हैं। वह चाहती हैं कि उन्हें कहीहं से प्रदेश के मुखिया का फोन नंबर मिल जाए ताकि वह अपना शोषण और पीड़ा उन तक पहुंचा सकें। उन से पूछ सकें कि क्या पेट पालने के लिए इज्जत से काम करना अपराध है?

उन्होंने कहा कि प्रशासिनक अफसरों (Covid Tales) और पुलिस की लूट-खसोच की वजह से इस काम में लगाया गया उनका मूलधन भी खत्म हो जाता है। इसकी वजह से उनके सामने जीवन-यापन का संकट (Covid Tales) है। उन्होंने बताया कि हमारे यहां पांच दिन से केवल चावल बन रहा है। आटा खत्म है और यहां आसपास कहीं मिल भी नहीं रहा है। उन्होंने सवाल किया कि क्या प्रदेश के मुखिया हम लोगों को भूखे मार देना चाहते हैं। (Covid Tales) पेपर और न्यूज़ में सुनते हैं कि सरकार द्वारा जून तक का राशन दिया जा रहा है, लेकिन हमारे इधर तो कंट्रोल की दुकान ही नहीं खुल रही है।

उन्होंने कहा कि वह अकेली पीड़ित नहीं हैं। उनके जैसे मुहल्ले में और लोग भी इसी से तकलीफ से गुजर रहे हैं। (Covid Tales) मीरा का कहना है कि मैं एक औरत हूं, हम किसके पास खाने की गुहार लगाने जाएं। इस विपत्ति की घड़ी में कोई किसी की हेल्प नहीं कर रहा है। अगर बाहर निकलते हैं तो प्रशासनिक अधिकारियों की गालियां मिलती हैं और फ्री में सामान उठा ले जाते हैं। सरकार का कहना है घर में रहो सुरक्षित रहो, वह तो ठीक है लेकिन खाएं क्या सरकार ही बताए।

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उन्होंने सवाल किया कि करें तो करें क्या हम लोग, कोई तो हम लोगों की मदद करे। अगर बाहर निकलेंगे नहीं तो खाएंगे क्या? (Covid Tales) शासन खाने की व्यवस्था भी तो नहीं कर रही हैं। उन्होंने कंट्रोल से राशन मिलने के बारे में कहा कि सुनने में आ रहा है सरकार गरीबों की बहुत मदद कर रही है और उन्हें तीन महीने का राशन जड़ी-बूटी का पैकेट हर सामान उपलब्ध करा रही है। पता नहीं कहां यह हो रहा है। हमें तो पता नहीं है अगर किसी को पता है तो वह हमें पता बता दे या मेरी बात शासन तक पहुंचा दें।

पता नहीं कितने गरीब परिवार होंगे जो इस महा विपत्ति के समय में इस स्थिति से गुजर रहे होंगे। महिलाओं के साथ बाहर निकलने पर और भी दिक्कत है ।अगर वह बाहर निकलती हैं तो उनके साथ शोषण होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं।
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