NCHRO Seminar

NCHRO Seminar : आंदोलनकारियों पर झूठे मुकदमे लगा कर जेल भेज रही सरकार: कंवलप्रीत

NCHRO Seminar : देश में चल रहे आन्दोलनों के कार्यकर्ताओं को कानूनी मदद करें वकील
मानवाधिकार संगठन के सेमिनार में सामाजिक कार्यकर्ताओं और वकीलों ने खुलकर रखी राय

NCHRO Seminarभोपाल 07 मार्च। आज देश में आंदोलनकारियों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। देश के आंदोलन कार्यकर्ताओं को भाजपा शासित राज्यों और केंद्र सरकार ने जेलों के अंदर बंद कर दिया है। सबसे बड़ी गिरफ्तारी लाल किला केस के अंदर तिहाड जेल के अंदर रखे गए आंदोलनकारियों की है। इन पर झूठे मुकदमे लगा कर सरकार ने उन्हें जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया है। यह बात सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता एडवोकेट कंवलप्रीत कौर ने एक सेमिनार में कही।

एनसीएचआरओ के प्रदेश महासचिव वासिद खान ने इस संबंध में बताया कि मानवाधिकार संगठन एन.सी.एच.आर.ओ ने आज राजधानी में जनआंदोलन और कार्यकर्त्ताओ की कानूनी मदद विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया।

सेमिनार में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अन्सार इंदौरी ने कहा कि देश में फासीवादी सरकार अपना एजेंडा लागू करना चाहती है और देश के अंदर काले कानूनों को लागू कर देश के आदिवासी, अल्पसंख्यक और दलितों के खिलाफ एक साजिश रच रही है। भाजपा सरकार यह संदेश देना चाहती है कि जो लोग उसकी नीतियों के साथ नहीं हैं, वे देश के साथ नहीं हैं। वह देश विरोधी हैं।

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सेमिनार में संगठन की प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट आराधना भार्गव ने कहा कि गोदी मीडिया सरकार की जनविरोधी मानसिकता को पूरी तरीके से प्रमोट कर रहा है। देश के अंदर अधिकार कार्यकर्ता और आंदोलन करने वाले लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। भीमा कोरेगांव केस में इस तरीके से वकीलों को, पत्रकारों को, अधिकार कार्यकर्ताओं, महिला प्रोफेसरों को, लेखकों को फंसाया गया है।

कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता विजय कुमार ने कहा कि जो इस देश में सरकार के खिलाफ आवाज उठाते हैं उन लोगों को सरकार झूठे और फर्जी मुकदमे लगा कर के जेलों में भेज देती है। नागरिकता कानून के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले आंदोलनकारियों को काले कानून यूएपीए, रासुका और देशद्रोह की धाराओ में जेलों के पीछे पहुंचा दिया गया है।

शहर के जाने माने लेखक और वरिष्ठ पत्रकार लज्जा शंकर हरदेनिया ने कहा कि आन्दोलन करने वाले कार्यकर्ता नागरिकों के अधिकार की रक्षा के लिए लड़ते हैं, लिखते हैं, बोलते हैं, सरकार इन से डरती है। उनको जनता के बीच में अपनी आवाज पहुंचाने से रोकती है। इनकी आवाज को बंद करने के लिए उनके ऊपर फर्जी मुकदमे लगा कर के जेलों में डाल रही है।

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सभी वक्ताओं ने इन तमाम तरीके की पुलिस कार्यवाही को गैरकानूनी बताया और कहा है कि देश के वकील समुदाय की जिम्मेदारी है कि वो इन लोगो की कानूनी मदद के लिए आगे आये। हर शहर में संविधान और देश को बचाने वाले वकीलों को पैनल बना कर इन आंदोलन कार्यकर्ताओं को मदद देना चाहिए।

सेमिनार में बोलते हुए वक्ताओं ने कहा कि जब तक सत्ता के अंदर बैठे हुए लोग काले कानूनों को वापस नहीं लेते और जेल में बंद आंदोलन के कार्यकर्ताओं को रिहा नहीं करते उस वक़्त तक उनकी कानूनी मदद जारी रखी जायेगी। इसके लिए अगर देश के प्रधानमंत्री वकील समुदाय को आंदोलनजीवी कहते हैं तो आंदोलनजीवी बनना इस समुदाय को मंजूर है।

इस मौके पर राजधानी भोपाल के अलावा इंदौर, उज्जैन, जबलपुर, छिंदवाड़ा, श्योपुर सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों से आये अधिवक्ता और कार्यकर्ताओ समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे।