Mandsaur: नारकोटिक्स पुलिस हिरासत में मौत सुनियोजित हत्या: जांच दल
भोपाल से आये स्वतंत्र जांच दल ने उच्च स्तरीय न्याययिक जाँच की अनुशंसा की
मंदसौर, 5 अप्रैल। मंदसौर में पुलिस हिरासत में मौत के मामले की जांच करने भोपाल के एक स्वतंत्र दल का कहना है कि नारकोटिक्स पुलिस हिरासत में सोहेल खान की मौत एक सुनियोजित हत्या है। स्वतंत्र जांच दल ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की अनुशंसा की है। इस तीन सदस्यीय स्वतंत्र जांच दल में नेशनल कनफेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन्स (NCHRO) के एडवोकेट वासिद खान, मध्यप्रदेश लोकतांत्रिक अधिकार मंच (MPDRF) के विजय कुमार और सामाजिक कार्यकर्ता यूसुफ खान शामिल थे। गौरतलब है कि नारकोटिक्स पुलिस, मंदसौर की हिरासत में सोहेल पिता हामिद खान की कथित तौर पर बेरहमी से पिटायी के कारण बीते 2 अप्रैल को मृत्यु हो गयी थी।
जांच दल ने बताया कि अखबारों व अन्य सूत्रों से प्राप्त जानकारी के आधार पर, मामले की गंभीरता को देखते हुए भोपाल के विभिन्न मानवाधिकार संगठनों ने तीन सदस्यीय स्वतंत्र जांच दल का गठन किया। जांचदल के सदस्य 5 अप्रैल को मंदसौर आकर मृतक सोहेल खान के पीड़ित परिवार से मिले। इस दौरान चाचा इराद खान, भाई मुराद खान, जीजा आसिफ खान सहित अन्य दोस्तों और पड़ोसियों से जाँच दल के सदस्यों ने मुलाक़ात की।
परिवार के सदस्यों ने जाँचदल को बताया की पोस्टमार्टम के दौरान सोहेल के गुप्तांगों सहित पूरे शरीर पर गंभीर चोटों के निशान पाये गये हैं। नारकोटिक्स थाने में उसे बेरहमी से पीटा गया था। इसी के चलते हार्टअटैक से सोहेल की मौत हुई है।
मामले को समझने के उद्देश्य से जाँचदल स्थानीय पत्रकारों व वरिष्ठ समाजसेवियों से भी मिला। इसके अलावा जांच दल ने मन्दसौर नारकोटिक्स पुलिस अधीक्षक तिवारी जी से भी मुलाकात करने का प्रयास किया लेक़िन अन्ततः उनसे फोन पर ही बात संभव हो पायी। घटना के बारे में पूछने पर अधीक्षक महोदय ने बताया कि पूरे मामले की न्यायिक जाँच चल रही है। इसलिए फ़िलहाल वे कुछ कह नहीं सकते है। रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
जांच दल का कहना है कि लगभग सभी पक्षों की बात सुनने के बाद प्राथमिक अवलोकन के आधार पर सोहेल खान की पुलिस हिरासत में हुई मौत सुनियोजित हत्या किया जाना पाया।
इस मामले में जांच दल ने निम्न अनुशंसाएं की हैं :-
1. पूरे मामले में गंभीर रूप से मानवाधिकारों का हनन हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का घोर उल्लंघन हुआ है। अतः निश्चित समय सीमा के भीतर हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में घटना की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच हो।
2. दोषी पुलिस कर्मचारियों और अधिकारियों को अविलंब बर्खास्त कर उन पर हत्या का मुकदमा चलाया जाये।
3.पारिवारिक स्थिति को देखते हुए पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाए।
4. परिवार के सदस्य एवं चश्मदीद गवाह भयभीत हैं उन्हें जान का खतरा है इसलिये उन्हें न्यायिक सुरक्षा मुहैया करायी जाए।