Medha Patkar: किसान आंदोलन के 6 माह के मायने
Medha Patkar: किसान आंदोलन के 6 माह के मायने
संविधान लाइव के आंदोलन अपडेट में आज मेधा पाटकर। आज ऐतिहासिक किसान आंदोलन को छह महीने हो गए हैं और कल इस मौके पर “काला दिवस” मनाया जा रहा है। इस आंदोलन ने भारतीय समाज और राजनीति को बीते छह महीनों में गहरे तक प्रभावित किया है। 25 नवंबर 2020 से शुरू हुए किसान आंदोलन की बात करने से पहले उसकी पृष्ठभूमि को जानना जरूरी है। 2020 के उथल पुथल भरे साल की शुरुआत देश भर में सीएए, एनआरसी आंदोलन से हुई थी। बीच में कोरोना ने सत्ता की खामियों और सत्ताधारियों के दुष्चरित्र को उजागर किया, तो साथ ही सत्ताधीशों के मुखौटे भी नोंच डाले। जब देश का मजदूर किसी तरह पैदल महानगरों से अपने गांव कस्बों की ओर लौटा था, और कोरोना की पहली लहर पूरी तरह थमी भी नहीं थी, उसी वक्त में जल्दबाज सत्ता ने बिना किसानों से बातचीत किए, संवैधानिक मूल्यों को ताक पर रखकर, गैरकानूनी ढंग से तीन काले कानून पास कर दिए।
इसके खिलाफ देशभर के किसानों ने ऐतिहासिक किसान आंदोलन की नींव रखी और आज 6 महीने बाद भी यह आंदोलन अपनी पूरी ताकत के साथ केंद्र की सत्ता को चुनौती दे रहा है। 26 मई यानी कल किसान आंदोलन के 6 माह पूरे होने के अवसर पर देशभर में काला दिवस मनाया जा रहा है।
नर्मदा बचाओ आंदोलन की वरिष्ठ कार्यकर्ता और किसान संघर्ष समिति की साथी मेधा पाटकर किसान आंदोलन की ऐतिहासिकता और जरूरत को बताते हुए आह्वान कर रही हैं जनता की इस लड़ाई में एकजुट होने के लिए।