India global diplomacy

वैश्विक परिदृश्य में भारत की भूमिका

India global diplomacy सचिन श्रीवास्तव
मौजूदा अंतरराष्ट्रीय हालात में भारत एक महत्वपूर्ण वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है, लेकिन इसकी भूमिका जटिल और संतुलनकारी है। भारत के सामने कई चुनौतियां और अवसर हैं, जो इसकी विदेश नीति, कूटनीति, अर्थव्यवस्था और सैन्य रणनीति को प्रभावित कर रहे हैं।

भारत की कूटनीतिक स्थिति: ‘गुटनिरपेक्षता 2.0’
फिलहाल भारत न तो पूरी तरह अमेरिका के साथ है और न ही रूस-चीन के साथ। यूक्रेन युद्ध के मामले में भारत रूस के खिलाफ खुलकर नहीं गया, लेकिन पश्चिमी देशों से भी अपने संबंध बनाए रखे। वह BRICS और QUAD दोनों में संतुलन की रणनीति पर काम कर रहा है। भारत QUAD (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत) और BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) दोनों का हिस्सा है, जिससे वह दोनों ध्रुवों में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है। वैश्विक शांति के लिए अपने विश्व बंधुत्व के सिद्धांत पर भारत मौटे तौर पर कायम है। भारत संयुक्त राष्ट्र में ‘लोकतांत्रिक विश्व व्यवस्था’ और वैश्विक शांति की वकालत कर रहा है, जिससे वह खुद को एक ‘नैतिक ताकत’ के रूप में पेश कर रहा है।

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रूस-यूक्रेन युद्ध और भारत की रणनीति
भारत ने रूस से तेल और हथियार खरीदे, लेकिन पश्चिम से भी संबंध बनाए रखे। यूक्रेन पर भारत की नीति ‘रणनीतिक तटस्थता’ (Strategic Neutrality) की रही, जिससे वह दोनों पक्षों से लाभ उठा सका। भारत रूस को खोना नहीं चाहता, क्योंकि उसकी 70% सैन्य आपूर्ति रूस से आती है। लेकिन अमेरिका और यूरोप को भी नाराज नहीं करना चाहता, क्योंकि वह उनकी टेक्नोलॉजी और बाजार पर निर्भर है।

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चीन-ताइवान विवाद और भारत का खेल
चीन के साथ भारत का LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर तनाव बना हुआ है। भारत इंडो-पैसिफिक रणनीति (QUAD) में अमेरिका-जापान-ऑस्ट्रेलिया के साथ है, लेकिन पूरी तरह चीन विरोधी नहीं बना है। ताइवान से भारत चुपचाप संबंध मजबूत कर रहा है, खासकर सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी में। अगर चीन-ताइवान युद्ध होता है, तो भारत इसे आर्थिक और सैन्य रूप से भुनाने की कोशिश करेगा, लेकिन सीधे युद्ध में नहीं कूदेगा।

India global diplomacy राइल-फिलिस्तीन विवाद और भारत
भारत ने ऐतिहासिक रूप से फिलिस्तीन का समर्थन किया था, लेकिन अब इजराइल से करीबी बढ़ रही है। इजराइल से भारत को रक्षा टेक्नोलॉजी, साइबर सुरक्षा और कृषि इनोवेशन मिल रहा है। लेकिन भारत अरब देशों को भी नाराज नहीं कर सकता, क्योंकि उसकी तेल आपूर्ति और प्रवासी भारतीय वहाँ काम करते हैं। इसलिए भारत “Two-State Solution” (दो राष्ट्र समाधान) की नीति अपनाता है—न इजराइल के खिलाफ, न पूरी तरह उसके पक्ष में।

भारत की आर्थिक और सैन्य भूमिका
भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और अगले 10 साल में तीसरे नंबर पर आ सकता है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहा है (Make in India, DRDO, HAL)। सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में चीन का विकल्प बनने की कोशिश कर रहा है। वैश्विक व्यापार में अमेरिका, यूरोप, रूस, चीन सबके साथ संबंध संतुलित रख रहा है।

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भारत की संभावित भूमिका आगे क्या होगी?
शांति स्थापित करने वाली ताकत यानी ग्लोबल बैलेंसर: भारत संयुक्त राष्ट्र, G20, और BRICS में मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है। साथ ही अमेरिका-चीन, रूस-यूक्रेन के बीच संवाद की पहल कर सकता है। नई विश्व व्यवस्था में वह खुद को “Global South” (विकासशील देशों का नेता) के रूप में स्थापित कर सकता है।

क्षेत्रीय सैन्य शक्ति: चीन और पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य ताकत बढ़ा सकता है। QUAD और इंडो-पैसिफिक गठबंधन में अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकता है। अंतरिक्ष और साइबर युद्ध में खुद को मजबूत कर सकता है।

आर्थिक महाशक्ति: चीन के विकल्प के रूप में उभर सकता है और सप्लाई चैन भारत की ओर शिफ्ट हो सकती है। मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया के जरिए वैश्विक तकनीकी केंद्र बन सकता है। लेकिन मुश्किल यह है कि सरकार खुद इसके लिए गंभीर नहीं है। तेल और गैस पर निर्भरता कम करके हरित ऊर्जा में आगे बढ़ सकता है।

भारत किस दिशा में जाएगा?
भारत की भूमिका आने वाले दशक में “Global Peacemaker, Economic Powerhouse और Regional Superpower” की होगी। संभावना है कि भारत शांति स्थापित करने की भूमिका निभाएगा, जिससे उसे वैश्विक नेतृत्व मिलेगा। दूसरी संभावना यह हो सकती है कि भारत खुद को क्षेत्रीय सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित करेगा, खासकर चीन-पाकिस्तान के खिलाफ। तीसरी सूरत यह भी बन रही है कि भारत आर्थिक महाशक्ति बनेगा और वैश्विक व्यापार का केंद्र बनेगा।