तीसरे विश्व युद्ध की आशंका: सभी संभावित परिदृश्यों पर एक नजर
सचिन श्रीवास्तव
आज हम जिन वैश्विक हालात में खड़े हैं, वहां से दुनिया तेजी से एक बड़े संघर्ष की ओर बढ़ती दिख रही है। यूक्रेन-रूस युद्ध दो साल से अधिक समय से जारी है, इजराइल-गाजा संघर्ष नई ऊंचाइयों पर है, और चीन-ताइवान के बीच तनाव बढ़ रहा है।
अमेरिका और नाटो रूस को कमजोर करने के लिए लगातार कदम उठा रहे हैं, जबकि रूस-चीन-ईरान का गठबंधन भी मजबूती पकड़ रहा है। वैश्विक आर्थिक संकट, महंगाई, सैन्य खर्चों में बढ़ोतरी, और हथियारों की दौड़ इस बात का संकेत हैं कि दुनिया एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। इन परिस्थितियों में यह देखना जरूरी हो जाता है कि वैश्विक संघर्ष किस दिशा में जा सकता है। इन हालात में तीन संभावित परिदृश्य दिखाई देते हैं, जो आने वाले समय में दुनिया की स्थिति को परिभाषित कर सकते हैं।
परिदृश्य 1: नया शीत युद्ध और क्षेत्रीय संघर्षों का विस्तार
इस परिदृश्य में तीसरा विश्व युद्ध सीधे नहीं होगा, लेकिन प्रॉक्सी युद्ध बढ़ेंगे। अमेरिका-नाटो और रूस-चीन के बीच सीधा टकराव नहीं होगा, लेकिन विभिन्न क्षेत्रों में छोटे-छोटे युद्ध उभरेंगे।
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इस स्थिति की विशेषताएं:
– यूक्रेन-रूस युद्ध लंबा चलेगा, लेकिन रूस और नाटो सीधे टकराने से बचेंगे।
– इजराइल-गाजा संघर्ष और फैलेगा, जिससे पश्चिम एशिया अस्थिर रहेगा।
– चीन-ताइवान विवाद बना रहेगा, लेकिन अमेरिका और चीन सीधे युद्ध नहीं करेंगे।
– अमेरिका, यूरोप, चीन, और रूस के रक्षा बजट में भारी वृद्धि होगी।
– छोटे देशों में हथियारों की आपूर्ति बढ़ेगी।
– दुनिया बहुध्रुवीय संघर्ष की ओर बढ़ेगी, लेकिन परमाणु युद्ध का खतरा टलेगा।
– आर्थिक संकट विशेषकर यूरोप और अमेरिका में गहराएगा।
संभावित नतीजे:
– नए सैन्य गठबंधन बन सकते हैं, जैसे रूस-चीन-ईरान और अमेरिका-यूरोप-भारत-जापान।
– वैश्विक अर्थव्यवस्था अस्थिर होगी, जिससे मुद्रास्फीति और बेरोजगारी बढ़ेगी।
– कूटनीतिक दबाव बढ़ेगा, जिससे नए समझौते और विवाद उत्पन्न होंगे।
परिदृश्य 2: सीमित लेकिन तीव्र युद्ध (Limited World War)
अगर अमेरिका-नाटो और रूस-चीन के बीच सीधा टकराव हुआ, तो यह सीमित लेकिन उच्च तीव्रता वाला युद्ध होगा। इस स्थिति में वैश्विक शक्ति संतुलन पूरी तरह बदल सकता है।
इस स्थिति की विशेषताएं:
– रूस-नाटो या चीन-अमेरिका के बीच सीधा टकराव संभव।
– संभावित युद्ध क्षेत्र:
1. यूरोप (रूस-यूक्रेन-नाटो संघर्ष)
2. पश्चिम एशिया (इजराइल-ईरान संघर्ष)
3. एशिया-प्रशांत (चीन-ताइवान-अमेरिका टकराव)
– परमाणु युद्ध की संभावना कम, लेकिन व्यापक विध्वंस संभव।
– संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संस्थाएँ कमजोर पड़ेंगी।
– वैश्विक अर्थव्यवस्था गहरे संकट में जाएगी।
संभावित नतीजे:
– यूरोप की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो सकती है।
– रूस या अमेरिका में से किसी एक को भारी नुकसान होगा, जिससे नई विश्व व्यवस्था बनेगी।
– चीन इस स्थिति का फायदा उठाकर सबसे बड़ी वैश्विक शक्ति बन सकता है।
– कई देशों की सरकारें गिर सकती हैं और नई सत्ता संरचनाएँ उभर सकती हैं।
परिदृश्य 3: पूर्ण विश्व युद्ध और वैश्विक तबाही (Total World War and Collapse)
अगर वैश्विक संघर्ष अनियंत्रित हो गया और परमाणु हथियारों का प्रयोग हुआ, तो यह पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी होगा।
इस स्थिति की विशेषताएं:
– रूस-नाटो, अमेरिका-चीन या भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध की संभावना।
– संभावित हताहत: 10-20 करोड़ लोग तुरंत मारे जा सकते हैं।
– “परमाणु सर्दी” (Nuclear Winter) होगी, जिससे कृषि और जलवायु ध्वस्त हो जाएगी।
– वैश्विक अर्थव्यवस्था पूरी तरह समाप्त हो जाएगी।
– इंटरनेट, टेक्नोलॉजी और सरकारें ध्वस्त हो जाएँगी।
– आधुनिक सभ्यता का अंत हो सकता है और दुनिया मध्ययुगीन अवस्था में लौट सकती है।
संभावित नतीजे:
– वैश्विक जनसंख्या में भारी गिरावट।
– गंभीर पर्यावरणीय संकट और जलवायु परिवर्तन।
– बचे हुए देश “Post-Apocalyptic Society” की तरह रहेंगे।
– सभ्यता को पुनर्निर्मित करने में सैकड़ों वर्ष लग सकते हैं।
कौन सा परिदृश्य सबसे संभावित है?
शॉर्ट-टर्म (1-3 साल): पहला परिदृश्य (नया शीत युद्ध) सबसे ज्यादा संभव है। दुनिया अभी सीधे युद्ध की बजाय प्रॉक्सी युद्ध और आर्थिक संघर्षों में उलझी रहेगी।
मीडियम-टर्म (3-7 साल): दूसरा परिदृश्य (सीमित विश्व युद्ध) भी संभव है, खासकर यूरोप या पश्चिम एशिया में। इजराइल-ईरान या रूस-नाटो के बीच बड़ा टकराव हो सकता है।
लॉन्ग-टर्म (10-20 साल): अगर वैश्विक राजनीति पूरी तरह असफल रही, तो तीसरा परिदृश्य (पूर्ण विश्व युद्ध) भी संभव है।
क्या इसे रोका जा सकता है?
हाँ, लेकिन इसके लिए ठोस कूटनीतिक कदम जरूरी हैं:
– प्रमुख वैश्विक शक्तियों के बीच संवाद और तनाव कम करने की रणनीति।
– भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों की भूमिका, जो संतुलन बना सकते हैं।
– परमाणु हथियारों के प्रसार पर सख्त नियंत्रण।
– अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र को मजबूत करना।
– वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए नई आर्थिक नीतियाँ।
दुनिया आज तीसरे विश्व युद्ध की दहलीज पर खड़ी है। यह अभी तय नहीं है कि यह पूर्ण रूप से होगा या सीमित रहेगा। वर्तमान वैश्विक घटनाएं तय करेंगी कि क्या दुनिया सिर्फ एक लंबे शीत युद्ध में जाएगी, या फिर किसी बड़े युद्ध की ओर बढ़ेगी। यदि कूटनीति असफल हुई, तो भविष्य भयावह हो सकता है। आने वाले वर्षों में वैश्विक नेताओं के निर्णय और कूटनीतिक प्रयास ही यह तय करेंगे कि क्या दुनिया एक नए विश्व युद्ध में जाएगी, या फिर शांति बनाए रखने का कोई रास्ता खोज पाएगी।