सरकारी रिपोर्ट : लक्ष्य से भटकी प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना

सचिन श्रीवास्तव

एक सरकारी समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना अपने शुरुआती दौर में मुख्य उद्देश्य को पाने में असफल रही है। योजना का मूल उद्देश्य बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराना था, लेकिन अब तक यह युवाओं को प्रशिक्षण केंद्रों से जोडऩे का जरिया ही साबित हुई है। शिक्षा एवं प्रशिक्षण के पूर्व महानिदेशक शारदा प्रसाद की अध्यक्षता वाली सरकारी समिति ने इस योजना पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

18 लाख युवाओं को प्रशिक्षण
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत अब तक देश भर में 18 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है। इसके लिए 1500 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। लेकिन योजना के मूल उद्देश्य यानी रोजगार सृजन में कोई इजाफा नहीं हुआ है।

निजी संस्थानों की जेब भरने का जरिया
प्रसाद पैनल की रिपोर्ट और उद्योग जगत के अधिकारियों के मुताबिक, यह योजना पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की मुफ्त व्यावसायिक प्रशिक्षण संबंधी पहलों के रास्ते पर चली और निजी व्यावसायिक शिक्षा संस्थानों की जेब भरने का जरिया बन गई।

एनएसडीसी और एसएससी की भूमिका
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को लागू करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) और सेक्टर स्किल काउंसिल (एसएससी) की है। रिपोर्ट के मुताबिक, एसएसी का पूरा ध्यान योजना के क्रियान्वयन पर रहा, लेकिन यह ध्यान नहीं रखा गया कि यह प्रशिक्षण उद्योगों की जरूरत और वैश्विक मानकों के अनुरूप है या नहीं।

यह भी पढ़ें:  चंद कड़वी सच्चाइयां: बदलनी होगी सीएए विरोध की शक्ल

दो साल पहले शुरुआत
2015 में 15 जुलाई को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री ने लॉन्च किया था स्किल इंडिया कैंपेन
20 लाख से ज्यादा युवाओं को प्रशिक्षण देने का था लक्ष्य पहले साल में
13 लाख लोगों को प्रशिक्षण दिया था इससे पहले साल 2014-15 में एनएसीडीसी ने

यूपीए से बड़ा लक्ष्य
15 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा था यूपीए सरकार ने 2022 तक
40 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया 2022 तक
1500 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया पीएमकेवाई योजना के पहले चरण में

बड़े लक्ष्य बने मुसीबत
प्रसाद समिति के मुताबिक, पूर्ववर्ती और वर्तमान सरकार के बड़े लक्ष्य योजना के लिए बड़ी मुसीबत साबित हुए हैं। ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षित करने की होड़ में बाजार की मांग का ध्यान नहीं रखा गया और न ही उच्च स्तरी शिक्षा दी गई। नतीजतन योजना प्रशिक्षण देने का जरिया बनकर रह गई और कुशल बेरोजगारी में भी बढ़ोतरी होने लगी।

यह भी पढ़ें:  State Election 2023: पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान

योजना के तहत खराब प्लेसमेंट
प्रसाद समिति के मुताबिक रोजगार देने के मामले में मोदी सरकार की योजना पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की 2013 की स्टेंडर्ड ट्रेनिंग असैसमेंट एंड रिवार्ड (स्टार) योजना जैसी ही साबित हुई है।

पीएमकेवाई योजना

18.03 लाख लोगों को दिया गया 2015-16 में प्रशिक्षण
12.4 प्रतिशत प्रशिक्षित बेरोजगारों को ही मिल सका रोजगार
खर्च: 1500 करोड़ रुपए

स्टार योजना
14.15 लाख लोगों को दिया गया 2014-15 में प्रशिक्षण
8.5 प्रतिशत लोगों को मिला रोजगार
खर्च: 1000 करोड़ रुपए

फायदा
2500 करोड़ रुपए का फायदा हुआ निजी प्रशिक्षण संस्थानों को दोनों योजनाओं के तहत

प्रशिक्षण कोर्स बेहद छोटे
एसएससी ने कौशल विकास योजना के तहत जिन प्रशिक्षण संस्थानों को चिन्हित किया, उनके कोर्स भी मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं। यह बेहद छोटे हैं।
100 से 300 घंटों के हैं ज्यादा प्रशिक्षण कौशल कोर्स
3 महीने का प्रशिक्षण देते हैं औसतन विभिन्न संस्थान