चोरी के अपराध और शर्म पर भारी बेरोजगारी और भूख

  1. चोरी के अपराध और शर्म पर भारी बेरोजगारी और भूख

फरहा

भोपाल। सरकार ने कोरोना के खिलाफ अपना सबसे बड़ा हथियार चलाते हुए लॉकडाउन कर दिया है। हालांकि इस बार भी उन लोगों के लिए कोई बंदोबस्त नहीं किया, जो रोज कमाते और खाते हैं। एक तरफ लोगों को कोरोना का डर है तो दूसरी तरफ गरीबों को खाने का डर है। पुलिस के डर और प्रषासन की सख्ती के कारण गरीब घरों, मोहल्लों में कैद तो हैं, लेकिन दबी जुबान में यह भी कह रहे हैं कि कोरोना से पहले उन्हें भूख मार डालेगी।

ऐशबाग में रहने वाले नाज़िम बताते हैं कि 16 तारीख की रात में करीब 12 से 1 बजे के बीच वह एमपी नगर से घर आ रहे थे। तभी उन्होंने चेतक ब्रिज के पास दो लड़कों को खड़ा देखा। उन्हें देखकर नाजिम वहीं रुक गए। इतनी रात को वे दोनों वहां क्या कर रहे थे, इसका कोई अंदाजा नहीं था। थोड़ी देर देखने के बाद पता चला कि वो लड़के पास में खड़े ठेले को बाइक की मदद से ले जाने लगे। तभी नाज़िम ने उन्हें आवाज़ देकर रोका। नाज़िम को देखकर वो दोनों भागने लगे। नाज़िम ने उन्हें पकड़ लिया। पूछा- तुम दोनों कौन हो, ये ठेला कहां ले जा रहे थे?

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इस पर वो कहने लगे हमारे घर के हालत ठीक नहीं हैं। हमारे पास न तो कोई काम है ना ही पैसे। घर में दो दिन से खाना नहीं बना है। घर में कुछ भी खाने को नहीं है। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें? हमने सोचा कि कल से तरबूज़ बेचेंगे। कहीं ठेला भी नहीं मिल रहा था। इसलिए हम ठेला चुराने आये थे। ताकि तरबूज का ठेला लगा सकें और घर में जो परेशानियां हैं, उन्हें दूर कर दें।

नाज़िम ने दोनों को समझाया। उनसे कहा- चोरी करना अच्छी बात नहीं है। रही बात ठेले की तो जाकर पता करो घर के आस पास घर कहीं न कहीं तो मिल जाएगा। उस पर दुकान लगा लेना। दोनों ने कहा- गलती हो गयी है। आगे से अब कभी भी चोरी नहीं करेंगे। दोनों वहां से चले गए और नाज़िम घर आ गए।