एनपीआर के साथ मंजूर नहीं जनगणना
- भोपाल के ऐशबाग में CAA-NPR-NRC विरोधी विशाल जनसभा
- 1 अप्रैल तक सभी मोहल्ले, वार्ड में NPR बहिष्कार समिति बनाने का संकल्प
भोपाल, 9 मार्च। भोपाल के ऐशबाग इलाके में सोमवार को CAA-NPR-NRC विरोधी विशाल जनसभा का आयोजन किया गया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि एनपीआर के साथ जनगणना भी मंजूर नहीं की जाएगी। केंद्र सरकार देश को तोड़ने की कोशिश कर रही है। इसका एकजुटता से मुकाबला किया जाएगा और देश की मूल आत्मा और संविधान को बचाने की लड़ाई में जीत हासिल की जाएगी। कार्यक्रम के दौरान सत्यम पांडेय, विजय कुमार, संध्या शैली, नीना शर्मा, अब्दुल हक़, अर्शी खान, मिलिंद वानखेड़े समेत अन्य वक्ताओं ने अपनी बात रखी। मंच संचालन सूफियान खान ने किया।
ऐशबाग फातिमा बी मस्जिद के करीब अब्दुल कलाम पार्क में आयोजित इस सभा में सत्यम पांडेय ने कहा कि भारतीय मुसलमानों के पास ये विकल्प था कि वे पाकिस्तान जा सकते थे, या भारत में रह सकते थे। भारत को चुनने वाले मुसलमानों ने पाकिस्तान की अवधारणा को खारिज कर अपना मुल्क चुना था। इससे बड़ा देशभक्ति का सबूत कोई नहीं हो सकता। इसलिए देशप्रेम का सर्टिफिकेट मांगने वालों को समझना चाहिए कि आज जो संविधान को बचाने की लड़ाई में शामिल हैं। वहीं देशभक्त हैं।
अब्दुल हक़ ने कहा, संसद में जनगणना और एनपीआर का पैसा आवंटन एक साथ किया गया है। जनगणना से हमारा कोई शिकवा नहीं, लेकिन जनगणना की आड़ में अगर एनपीआर किया जाता तो हमें जनगणना भी मंजूर नहीं। क्योंकि एनपीआर से एनआरसी जुड़ा है। और एनआरसी हमारे वजूद पर हमला है। हमने उस दिन अपनी भारतीयता साबित कर दी थी जब हमने अपने वोट से सरकार चुनी थी।
इस दौरान नीना शर्मा ने फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की मशहूर नज़्म हम देखेंगे की प्रस्तुति दी और कहा कि नीना शर्मा ने कहा कि आज सरकार अपने हर विरोध को कुचलना चाहती है। आज जो लड़ाई है उसमें मुस्लिम शामिल हैं लेकिन हिन्दू समुदाय की संख्या कम है। उन्हें सोचना चाहिए कि इस काले कानून का असर उन पर भी पड़ेगा। कागज बनवाने के लिए कितनी मुश्किल होती है हम सब जानते हैं। असम में एनआरसी हुई तो 19 लाख में से 14 लाख हिन्दू भी बाहर हुए। इसलिए एनआरसी की बड़ी मार हिन्दू समुदाय समेत दलित आदिवासी पे भी होगी।
एडव्होकेट मिलिंद वानखेड़े ने कहा कि हम भारत के संविधान को मानने वाले हैं। ये हिंदुस्तान का नहीं भारत का संविधान है। इस संविधान के तहत कोई भी ऐसा कानून नहीं लागू किया जा सकता जो धर्म के आधार पर कोई भेदभाव करता है। किसी भी कानून से असहमत होना हमारा मौलिक अधिकार है। इसे आईपीसी की धारा 144 या 188 के तहत रोका नहीं जा सकता। 26 मार्च को बॉयकाट एनपीआर का आंदोलन है। ये इसलिए कि एनपीआर ही एनआरसी की पहली सीढ़ी है।
अर्शी खान ने संविधान में नागरिकता की अवधारणा को सामने रखते हुए कहा कि मोदी जी कपड़ों से लोगों को पहचान लेते हैं, लेकिन वो अपनी डिग्री नहीं दिखा पाते और चाहते हैं कि सब लाइन में खड़े हो जाएं। गांधी जी ने कहा था कि पंक्ति में खड़ा अंतिम व्यक्ति आखिर कहां से दस्तावेज लाएगा।
ये सरकार महज अमीरों को नागरिकता देना चाहती है, जिनमें 31 भगोड़े भी शामिल हैं। सरकार का एजेंडा ही मनुवादी राजनीति का है।
विजय कुमार ने कहा ये सरकार हमारे जिस वोटर आईडी से चुनी गई वो नागरिकता का सबूत नहीं मानती। आज ये जो लड़ाई है इसे हिन्दू मुस्लिम एकता के जरिये तब तक जारी रखनी है जब तक कि एनआरसी वापस नहीं लिया जाता। मोदी सरकार 1 अप्रैल से जनगणना और एनपीआर को एक साथ कर रही है, जो बदमाशी है। इस एनपीआर का सभी धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक संगठनों ने विरोध बहिष्कार किया है। आज जरूरत इस बात की है कि 1 अप्रैल से जब एनपीआर का सर्वे होगा तो उसके पहले हमें हर मोहल्ले, वार्ड में *एनपीआर बहिष्कार समिति* बनाने की जरूरत है। और अगर जनगणना को एनपीआर से अलग नहीं किया गया तो इसका भी विरोध किया जाएगा। हम जनगणना को भी तब तक नहीं होने देंगे, जब तक कि इसे एनपीआर से अलग नहीं किया जाएगा। ये देश को बचाने की लड़ाई है, साझी विरासत की लड़ाई है। इसे देश की आजादी की लड़ाई की तरह मिलकर लड़ना होगा, जिसमें जीत जनता की होगी।
संध्या शैली ने कहा कि इस देश की एकजुटता को तभी बचाया जा सकता है जब हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई एक रहेंगे। अगर हमारे बीच नफरत की आग लगाई जाएगी तो सिर्फ कुछ घर नहीं जलेंगे ये देश जल जाएगा। इसलिए ये लड़ाई देश को बचाने की लड़ाई हैं। आज इसीलिए भारी बारिश और ठंड में महिलाएं आज घरों से बाहर निकलीं हैं। ये महिलाएं जिनको देशद्रोही लगती हैं, लेकिन गोली मारो… के नारे लगाने वाले देशद्रोही नहीं लगते।
कार्यक्रम के बाद NRC विरोधी कार्यकर्ता मदीहा ने बताया कि अगली जनसभा 2 से 4 बजे शाम को, 13 मार्च को बाग़ फरहत अफ़ज़ा में आयोजित की जाएगी।