भूखे सोकर भी महीना भर नहीं चल सकता पांच किलो राशन

भूखे सोकर भी महीना भर नहीं चल सकता पांच किलो राशन

Farha 

कंट्रोल से हर महीने एक व्यक्ति को महज पांच किलो राशन ही मिलाता है। इसमें पहले चार किलो गेंहू, एक किलो चावल दिया जाता था, लेकिन अब दो किलो गेंहू दो किलो बाजरा एक किलो चावल दिया जाता है। सोचने वाली बात है कि दो किलो गेंहू, दो किलो बाजरा, एक किलो चावल में एक आदमी एक महीने तक कैसे पेट भरेगा। पांच किलो राशन कितने दिन चलेगा।

ऐशबाग में रहने वाली जोहरा बी की उम्र 80 साल है। वो बच्चों को सिपारा पढ़ाने का काम करती हैं। उनके पांच बच्चे, जिनमें तीन लड़के और दो लड़कियां हैं। उनके सब बच्चों की शादी हो गई है और सब अलग-अलग रहते हैं। पति की मौत हो गई सो वो घर में अकेले रहती हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें महीने में पांच किलो राशन मिलता है, जो मुश्किल से 15 दिन चल पाता है। पांच किलो राशन के लिए बहुत ही परेशानी उठानी पड़ती है। वह बुजुर्ग हैं, इसके बावजूद उन्हें दिन-दिन भर लाइन में खड़े हो कर इंतज़ार करना पड़ता है। इसके बाद जाकर गल्ला मिलता है।

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उन्होंने बताया, “अब तो दो किलो गेंहू, दो किलो बाजरा, एक किलो चावल मिलने लगा है। अब बाजरे का क्या करें। मैं बाजरे की रोटी नहीं खाती हूं। मुझ से मेरे दांत की वजह से बाजरा चबता नहीं है। मैंने कंट्रोल वाले से कहा कि मुझे बाजरे के बदले गेहूं दे दो, मैं बाजरे का क्या करूंगी। वो कहने लगा बाजरा भी मिलेगा। लेना है तो लो नहीं तो कुछ भी नहीं मिलेगा। मजबूरी में मुझे सब लेना पड़ता है।”

ऐश बाग बस्ती में रहने वाले नस्सू 45 के हैं। उन्होंने कहा कि पांच किलो राशन में एक आदमी की पूर्ति कैसे हो पाएगी। पांच किलो राशन में कुछ नहीं हो पाता। उन्होंने कहा, “हमारे घर का राशन तो महीने के पहले ही हिस्से में खत्म हो जाता है। फिर हमको दुकान से दूसरा राशन खरीदना पड़ता है। खाली गल्ला, चावल से क्या होगा। अब तो बाजरा भी मिलने लगा है। सिर्फ पांच किलो राशन से क्या होता है। घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ता है। हमें जो पांच किलो राशन मिलता है उसमें हमारे परिवार का गुजारा नहीं हो पाता है।”

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उन्होंने सरकार से मांग की कि राशन की मात्रा बढ़ाई जाए। उन्होंने कहा कि हम मज़दूर आदमी है इन सब में हमारा घर कैसे चलेगा। जब से ये कोरोना आया है और काम-धंधा नहीं है। ऊपर से ये लॉकडाउन को बार बार लगा देते हैं, जितना आदमी कारोना से नहीं मर रहा है उतना तो भूख-प्यास से मर रहा है।