कोरोना के खौफ और लॉकडाउन से बढ़ रहा है डिप्रेशन
कोरोना के खौफ और लॉकडाउन से बढ़ रहा है डिप्रेशन
निकहत
भोपाल में कमला पार्क के औरंगजेब आजम 25 साल के हैं। उनका जन्म बिहार में हुआ था। उनके घर में मम्मी पापा, दो बहन और चार भाई हैं। उनके पापा ठेकेदारी करते हैं और मम्मी मिडिल सरकारी स्कूल में पढ़ाती हैं। औरंगजेब ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की हैं।
औरंगजेब बताते हैं कि वो 2013 में बिहार से भोपाल अपनी पढ़ाई के सिलसिले में आए थे और भोपाल में किराए के मकान में रहते हैं। इस दौरान उन्होंने भोपाल में रहकर पढ़ाई पूरी की। उनकी रुचि प्रैक्टिकल एजूकेशन की तरफ ज़्यादा थी। इस दौरान उन्होंने बच्चों को पढ़ना शुरू किया।
औरंगजेब ने बताया कि उनकी भोपाल में ज़्यादा किसी से पहचान नहीं थ। इस दौरान इकबाल मैदान में वो सीएए-एनआरसी आंदोलन से जुड़े। इस दौरान उनका लोगों से पहचान और दोस्ती का सिलसिला बना। उनका एक ग्रुप भी था परिंदे, जो एजोकेशन पर काम करता था। तब से उनके साथ नए लोग जुड़ते चलते चले गए। उन्हें बच्चों को पढ़ाने के लिए मदद मिली और उन्होंने खुद को क्लास का सेटअप तैयार कर लिया।
औरंगजेब ने बताया कि सरकार ने जनता कर्फ्यू के नाम पर लॉकडाउन लगा दिया 2020 में और सब को घरों में कैद कर दिया। सब काम बंद हो गए। उन्होंने स्कूल का जो सेटअप लगाया था, वह लॉकडाउन की वजह से बिखर गया। कितने महीनों तक पढ़ने के लिए बच्चे ही नहीं मिले। किराया देना मुश्किल हो रहा था।
लॉकडाउन खुलने के बाद फिर से एक नई कोशिश की प्रैक्टिकल एजुकेशन की तरफ। इसमें उन्होंने इल्म स्टडी सर्कल की शुरुआत की और उसमें काम किया। वह सिस्टम खड़ा करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन अब फिर से नाइट कर्फ्यू शुरू हो गया है। सबकुछ फिर से सिफर पर पहुंच गया है।
औरंगजेब बताते हैं कि 2020 के लॉकडाउन के दौरान वो अपना दर्द भूल गए थे। उस दौरान उनको आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा, लेकिन वो परिंदे ग्रुप के साथ लॉकडाउन में फंड लेने का काम कर रहे थे, और उस फंड से लोगों तक ज़रूरत की चीज़ें पहुंचाने और उनकी मदद करने का काम कर रहे थे।
उनका समहू पूरी प्लानिंग के साथ लॉकडाउन में सक्रिय रूप से काम कर रहा था। उस दौरान पता था कि कौन सा रास्ता खुला है या बंद है। आने-जाने के लिए वालंटरी पास भी था। वो अलग-अलग बस्ती में जाकर लोगों से मिल पाते थे और मदद कर पाते थे। उस दौरान लॉकडाउन तो था और आर्थिक तंगी भी थी, लेकिन मानसिक गुस्सा नहीं था। दिमाग शांत था। जिससे काम करना और रास्ते निकाल पाना आसान था।
औरंगजेब बताते हैं कि 2021 के लॉकडाउन की वजह से अधिकतर लोग मानसिक प्रताड़ना का शिकार हो रहे हैं। कुछ सोच-समझ नहीं पा रहे हैं। पहले लोग भूख और पैदल चलकर अपनी जानें गंवा रहे थे और अब दवा ऑक्सीजन, बेड की वजह से। हॉस्पिटल में लम्बी लाइन लग रही है। इस समय लोग मानसिक रूप से ज़्यादा परेशान हैं। तनाव और सदमे से ज़्यादा परेशान हैं लोग।
औरंगजेब आज़म बताते हैं कि इस बार उनको मानसिक रूप से तनाव ज्यादा है। हर जगह सिर्फ सरकार की लापरवाही की वजह से लाशों के ढेर हैं। यह सब वह देखकर बहुत परेशान हैं। अकेलापन और आर्थिक तंगी दिमाग को अशांत कर देती है और डिप्रेशन की तरफ खींचने लगती है। गुस्से का पारा बढ़ता चला जा रहा है। ऐसे मे चीज़ों को समझा बहुत मुश्किल हो रहा है। उन्होंने बताया कि मानसिक तनाव से निकलने के लिए उन्होंने ऑनलाइन क्लास की शुरुआत की है और अभी क्लास से अपना गुज़ारा कर रहे हैं।