सरकार बहादुर के लिए लॉकडाउन आसान है, लेकिन दिहाड़ी मजदूरों की रोजी-रोटी का क्या!

सरकार बहादुर के लिए लॉकडाउन आसान है, लेकिन दिहाड़ी मजदूरों की रोजी-रोटी का क्या!

अमरीन

Lock-down 2021भोपाल। रोज कुंआ खोदकर पानी पीने वाले लोगों के लिए लॉकडाउन पहले ही परेशानी बना हुआ था, अब पुलिस की जोर-जबरदस्ती दूसरी मुसीबत बन गई है। सरकार ने हफ्ते में तीन दिन सब्जी की दुकानें और अन्य जरूरी काम के लिए छूट दी थी। इसके बाद भी पुलिस उन्हें रोक रही। अगर कोई सब्जी या कोई अन्य सामान बेचते हुए पुलिस को दिखता है, तो पुलिस उनसे बदतमीजी से पेश आती है। कई बार उन्हें लाठी से पीटती है। यह गरीब अगर कमाएंगे नहीं तो खाएंगे कहां से, यह सीधा सा सवाल न सरकार समझने को तैयार है और न पुलिस मानने को।

दूसरी लहर आने के बाद लोग कोरोना से ज्यादा लॉकडाउन लगने को लेकर खौफजदा था। वही हुआ जिससे लोग डर रहे थे। सरकार ने आंशिक लॉकडाउन लगा दिया है। इसके साथ ही पुलिस को जोर-ज्यादती की खुली छूट मिल गई है। उनका सारा रुतबा सड़क के किनारे रोजी-रोटी का जुगाड़ करने वालों पर उतर रहा है।

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ऐशबाग एहमद अली के यूसुफ ने बताया कि वो मज़दूरी का काम करते हैं। जब भी काम मिलता है, चले जाते हैं। नहीं मिलता तो कोई और काम की तलाश में निकल जाते हैं। पर जब से लॉकडाउन लगा है, तब से वह सब्जी बेचने का काम कर रहे थे। सब्जी बेचने के लिए वह बाग़ फरहत अफज़ा में सब्जी का ठेला लेकर खड़े हो जाते हैं। जितना भी पैसा बचत का निकलता है, उससे घर का थोड़ा-बहुत गुज़ारा हो जाता है।

उन्होंने बताया कि सरकार के आदेश पर अब सिर्फ तीन दिन ही ठेला लगा पा रहे हैं। इस पर भी पुलिस का डर रहता है। पुलिस कभी भी आ जाती है और डंडे बजाने लगती है। पुलिस कहती है कि तुम लोग ही कोरोना फैला रहे हो। यूसुफ का सवाल है कि रोजगार करना क्या गुना है? अगर कमाएंगे नहीं तो खाएंगे कहां से। सरकार भी तो कोई मदद नहीं कर रही है। वह साफ कहते हैं, “कोरोना हमारी वजह से नहीं, सरकार की नाकामी की वजह से फैल रहा है। उसने बचाव का कोई इंतजाम ही नहीं किया।”

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यूसुफ ने कहा कि हम कोरोना गाइड लाइन का पूरी तरह से पालन करते है। इसके बावजूद हमें कमाने-खाने नहीं दिया जा रहा है। हम कोरोना से तो नहीं, लेकिन भूख से जरूर मर जाएंगे। उन्होंने बताया कि पुलिस ने धमकी दी है कि अगर ठेला लगाया तो सब्जी और तराजू उठा ले जाएंगे। थाने में भी बंद कर दिया जाएगा। यूसुफ की समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर पुलिस सरकार के नियम को मानती क्यों नहीं है? आखिर कब तक ऐसे चलेगा? उन्होंने कहा कि या तो सरकार हमारी मदद करे या हमें कोरोना गाइड लाइंस का पालन करते हुए कमाने-खाने दिया जाए।