Covid Tales: फोन की घंटी बजते ही घबरा उठता है दिल
Covid Tales: मौत के मातब के बीच मोबाइल फोन की घंटी बढ़ा रही है अवसाद
सायरा खान
कोरोना काल ने सबकुछ बदल कर रख दिया है। खौफ जिंदगी का हिस्सा बन गया है। पहला खौफ तो खुद कोरोना का है, जिसके साय में पूरा देश ही जी रहा है। नतीजा यह है कि घर आने वाले दोस्त और मेहमान भी अच्छे नहीं लग रहे हैं। ऐसे किसी दोस्त या मेहमान के आ जाने पर बच्चे उनसे दूर भाग जा रहे हैं। यह विचलित करने वाला है। खौफ का दूसरा पर्याय मोबाइल फोन बन गया है। हालात यह हैं कि आस-पास और रिश्तेदारों की हो रही मौतों की खबर ने मन में अवसाद भर दिया है।
फोन की अचानक बज उठी घंटी न सिर्फ घर के लोगों की हर्ट बीट बढ़ा दे रही है, बल्कि अपने छोटे-मोटे कामों में व्यस्त घर के लोग फोन की घंटी बजते ही कुछ पल के लिए जड़ हो जा रहे हैं। खौफ का यह असर अतंर्मन में बैठता जा रहा है। इसका असर न सिर्फ नींद पर पड़ रहा है, बल्किन पाचन क्रिया, व्यवहार और काम-काज पर भी इसका प्रभाव साफ झलकने लगा है। मनोचिकित्सकों के मुताबिक इसका असर काफी दिनों तक रहने वाला है।
कम्मु के बाग की बेबी का कहना है कि चारों तरफ मौत का मंजर छाया हुआ है। जब भी फोन उठाती हूं तो दिल दहल जाता है कि पता नहीं कौन सी खबर सुनने को मिलेगी। इस कोरोना महामारी ने लाखों लोगों को निगल लिया है।चारों तरफ मातम छाया हुआ है। लोगों की सिसकियां बंद नहीं हो रही हैं। आंखों से आंसू थम नहीं रहे हैं। इस दर्द का अंदाजा लगाना बहुत ही मुश्किल है। एक कोने में बैठ कर रोते रहो, आस-पास कोई नहीं होता जो हमें दिलासा दे सके।
उन्होंने कहा कि हालात इतने बदतर और इंसान इतना मजबूर हो गया है कि एक दूसरे के घर जाकर उसका दर्द भी नहीं बांट सकते हैं। उस व्यक्ति के सिर पर हाथ रखकर यह भी नहीं कह सकते हैं कि सब्र करो, फिक्र मत करो, हम तुम्हारे साथ हैं।
यही कारण है कि आज जब भी मोबाइल की घंटी बजती है तो मेरी धड़कन बढ़ जाती है। हाथ कांपने लगते हैं। दिल में कई तरह के सवाल उठते ही मन विचलित हो जाता है। पता नहीं क्या बात होगी, यही सोच कर अब तो मुझे फोन उठाने से डर लगता है।