कोरोना पॉजिटिव गर्भवती महिला की मौत
कोरोना पॉजिटिव गर्भवती महिला की मौत
(कोरोना के डर, दुख, अफवाहों की एक लंबी सूची है। सरकार के आंकड़ों में मौत महज एक संख्या है। लेकिन इन आंकड़ों में जो षख्स दर्ज होता है, उसका एक पूरा जीवन है। ऐसे ही दो जीवन की खत्म होने की दास्तान, लेकिन सरकारी रोजनामचे में इसे महज एक मौत की तरह देखा जा रहा है। संविधान लाइन की साथी अमरीन की एक जरूरी रिपोर्ट… – संविधान लाइव)
भोपाल। ऐशबाग के फरहत अफज़ा की रहवासी 35 वर्षीय सलमा की अचानक तबियत खराब हुई। सलमा ने डॉक्टर को दिखाया और डॉक्टर ने सलाह दी कि वो एक बार हमीदिया जाकर कोरोना की जांच करवा लें। सलमा को हमीदिया के हालात पता थे। उन्हें डर था कि हमीदिया में उन्हें वैक्सीन लगा दी जाएगी। सलमा ने वैक्सीन से जुड़ी कई घटनाएं सुनी थीं, जिसमें वैक्सीन लगने के बावजूद मौत हो गई थी। इससे वह नहीं चाहती थीं कि उनको वैक्सीन लगे या कोई जांच हो।
सलमा को डॉक्टर ने सलाह दी कि अगर हमीदिया नहीं जाना चाहती हैं तो किसी और हॉस्पिटल में जांच करवा लें। सलमा गर्भ से थीं। उन्हें यह भी डर था कि उनके बच्चे को कुछ ना हो जाए। ज्यादा तबियत खराब होने के बाद सलमा इंद्रा हॉस्पिटल में दिखाने गईं। वहां डॉक्टरों ने उनको मना किया। साथ ही फिर वहां भी हमीदिया जाने की सलाह दी। सबके कहने पर सलमा हमीदिया चली गईं। वहां उनकी जांच कराई गई तो उन्हें कोरोना पॉजिटिव बताया गया।
सलमा को उसी समय एडमिट किया गया। रात में उनको एक इंजेक्शन लगाया गया। सलमा ने डॉक्टर से पूछा कि ये कौन सा इंजेक्शन है और क्यों लगाया जा रहा है। सलमा ने बताया कि मैं गर्भवती हूं। इस इंजेक्शन से मेरे बच्चे को कुछ नुकसान तो नहीं होगा? इस पर डॉक्टर ने बोला कि ये आपको ठीक कर देगा। डरने की जरूरत नहीं है।
यह डर न लगने की दिलासा सिर्फ जुबानी साबित हुई। इंजेक्शन लगाने के बाद सुबह सलमा की मौत हो गई। साथ ही उनके बच्चे की भी। डॉक्टर ने घरवालों को उनसे मिलने भी नहीं दिया। सलमा की बॉडी को पॉलिथिन में पैक करके कब्रिस्तान में दफना दिया गया। घर वालों ने बोला भी कि हमको दूर से ही दिखा दो, लेकिन मना कर दिया गया। सीधे कब्रिस्तान में ही बुलाया गया। जहां सलमा को देखने सिर्फ घर के पुरुष ही जा पाए। मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को कब्रिस्तान में जाने की अनुमति नहीं है। इस कारण महिलाओं को देखने को मना किया गया और सलमा को दफना दिया गया।