लॉकडाउन ने छीने कॉलेज के वह सुनहरे दिन!
लॉकडाउन ने छीने कॉलेज के वह सुनहरे दिन!
फरहा
जब मैं स्कूल जाती थी तो हमेशा यही सोचती थी कि मैं कॉलेज कब जाऊंगी। दसवीं क्लास तक मेरे सारे दोस्तों ने पढ़ाई छोड़ दी थी, फिर मैं ग्यारहवीं क्लास से अकेले हो गई थी। मेरे तमाम दोस्तों ने पढ़ाई छोड़ दी थी। मैं बिल्कुल अकेले हो गई थी, मेरे कोई दोस्त नहीं थे। मैं अकेले ही स्कूल जाती और अकेले ही कोचिंग जाती। यही सोचती कब बारहवीं के एग्जाम होंगे और कब मैं कॉलेज जाऊंगी। सोचती थी, जब मैं कॉलेज जाऊंगी तब नए-नए दोस्त बनाऊंगी। कॉलेज जाऊंगी तो बहुत अच्छी तरह से पढ़ाई करूंगी। नए-नए कपड़े खरीदेंगे। फिर वो दिन भी आ गया, हमारे बारहवीं के एग्जाम हो गए। हमारी मार्कशीट भी आ गई।
मैं थोड़ा खुश भी थी। पास हो गई और थोड़ी उदास भी थी, क्योंकि मार्क्स कम आए थे। फिर सोचा ठीक है अब मुझे स्कूल जाना नहीं पड़ेगा। फिर मैने कॉलेज में एडमिशन लिया। में उस वक़्त खुश थी। मेरा एडमिशन एक अच्छे कॉलेज में हो गया था। मैंने कॉलेज जाने के लिए नया बैग, चप्पल और कुछ किताबें खरीदीं। नई यूनिफॉर्म खरीदी।
मैंने कॉलेज जाने के लिए बहुत अच्छी तरह से तैयारी करी। मैं बहुत खुश भी थी। अब कॉलेज जाउंगी। वैसे मैने कभी कॉलेज नहीं देखा था, लेकिन टीवी में अक्सर देखती रहती थी। सोचा था, कॉलेज में बहुत इंजॉय करूंगी अच्छे से पढ़ाई करूंगी। सोचा था, कॉलेज का हर एक पल अच्छे से जिऊंगी। हर यादें संभाल कर रखूंगी। बहुत कुछ प्लान कर के रखा था। फिर मैं पहले दिन कॉलेज गई। मुझे अच्छा लगा।
कुछ परेशानियां आ गईं मेरी लाइफ में तो मैं 4-5 महीने कॉलेज नहीं गई, लेकिन जब सब ठीक हो गया तो सोचा अब अच्छे से जायंगे। फिर लॉकडाउन लग गया। लॉकडाउन के एक दिन पहले मैं अपनी एग्जाम फीस भर कर आई थी। लॉकडाउन एक दिन का लगा था, तो मैंने इसको लेकर ज्यादा कुछ सोचा नहीं था। ज़िन्दगी में पहली बार ऐसा कुछ देखने को मिला है।
धीरे-धीरे लॉकडाउन बढ़ता गया। मुझे कॉलेज की याद आती रहती। फिर धीरे-धीरे लॉकडाउन हटा, लेकिन स्कूल और कॉलेज बंद थे। कॉलेज में अंदर जाने भी नहीं देते। धीरे-धीरे फिर जब सब ठीक हो रहा था। फिर एक बार लॉकडाउन लग गया। मेरे पूरे दो साल घर में रह कर ही निकल गए। जाने कब अब कॉलेज का मुंह देख पाऊंगी।