Covid Tales: महिला डॉक्टर ने कहा- पहले कोरोना से जंग, शादी बाद में
सायरा खान
निस्वार्थ सेवा भाव क्या होता है, यह हमें महिला डॉक्टर अपूर्वा मंगलगिरी के त्याग को देखकर पता चलता है। उन्होंने कोविड-19 मरीजों की देखभाल और उनके इलाज के लिए अपनी शादी तोड़ दी। उन्होंने कहा कि शादी इतना जरूरी नहीं है। इस वक्त मेरी सबसे ज्यादा जरूरत उन मरीजों को है, जो महामारी एवं अन्य बीमारियों से मर रहे हैं। एक डॉक्टर का पहला कर्तव्य होता है कि अपने मरीजों की जान बचाए।
आज इस महामारी के दौर में सरकारी अस्पताल में डॉक्टर दिन-रात मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं। न वक्त पर खाना खा पा रहे हैं, ना वक्त पर सो रहे हैं। अस्पतालों में मरीजों की संख्या और लोगों की मौत देखकर उनकी भी रूह कांप रही है। इस समय वह भी मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं कि ऐसा क्या करें, जिससे परिस्थितियां ठीक हो जाएं।
लगातार काम करने के कारण उनका भी स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। कुछ डॉक्टर तो कोविड-19 पॉजिटिव भी हुए हैं और कुछ ने अपनी जान भी गंवाई है। हालात यह बन गए हैं कि कई डॉक्टरों ने तो अस्पताल को ही अपना घर बना लिया है। वह कई महीनों से अपने घर ही नहीं गए हैं।
इसके कारण परिवार भी परेशान रहता है। माता-पिता ने अपने बेटे को कई महीने से नहीं देखा। वहीं पत्नी और बच्चे भी पापा के लिए तरस रहे हैं, लेकिन उन्हें पता है कि उनका पापा योद्धा हैं। वह जंग जीतकर ही लौटेंगे। फिर भी डर तो उन्हें भी लगता है।
एक लंबा समय हो गया है उन्हें परिजनों के साथ वक्त बिताए हुए। धीरे-धीरे उनका भी धैर्य जवाब देता जा रहा है। दूसरी तरफ अस्पतालों में पर्याप्त सुविधाएं न होने के कारण डॉक्टर भी परेशान और उदास हैं। हर दिन ऑक्सीजन और दवाओं की कमी से हो रही मरीजों की मौत ने डॉक्टरों को भी अवसाद से भर दिया है। हमने इस बीच कई डॉक्टरों को असहाय भाव से रोते-बिलखते देखा है। वह चाह कर भी मरीजों की जान नहीं बचा पा रहे हैं।
सरकार का रुझान इस समस्या पर बिल्कुल नहीं है। कई हफ्ते गुजरने के बाद भी अभी तक ऑक्सीजन की आपूर्ति सुचारु नहीं हो पाई है। इसकी वजह से कई मरीजों की अब तक जान जा चुकी है।
एक मरीज पिछले 7 दिनों से अस्पताल में भर्ती था। उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही थी। समय पर उनका सही उपचार नहीं हो पाया, जिससे उनकी मौत हो गई।
वहीं पर हम यदि प्राइवेट अस्पताल और डॉक्टरों को देखें तो परिस्थितियां बिल्कुल विपरीत नजर आएंगी, क्योंकि इन अस्पतालों में इलाज के लिए अच्छी मोटी रकम वसूल की जाती है। कोविड-19 टेस्ट, बेड चार्ज, लेबर चार्ज, डॉक्ट की फीस, दवाइयां इत्यादि के लिए मरीजों से एक्स्ट्रा चार्ज लिया जा रहा है। इस बर्बरता को देखकर ऐसा लगता है कि मानो इंसानियत खत्म हो गई है।
इंसान की जिंदगी पैसों में सिमट कर रह गई है। अगर आपके पास पैसा है तो जान बच सकती है और नहीं है तो समझो जिंदगी खत्म। कई जगह पर तो पैसा देने के बावजूद भी इलाज ठीक से नहीं मिल पा रहा है। बहुत ही दयनीय और दुखद स्थिति है।
जब दूसरे लोग निस्वार्थ मन से घंटों लोगों की सेवा में लगे हैं। वहीं कुछ लोग कालाबाजारी और कमाई करने में लगे हुए हैं। ऐसे व्यक्तियों का दूर-दूर तक मानवता से कोई वास्ता नहीं है।