पत्रकारिता दिवस पर खास : भारतीय पत्रकारिता का शुरुआती चेहरा

सचिन श्रीवास्तव आज जब पत्रकारिता पर कई तरह के सवाल हैं और निष्पक्षता जब खबरिया हलकों में बहुत स्वीकार्य शब्द नहीं रह गया है, तब एक फिर उस इतिहास पर … Read More

फंतासी के धुंध के आगे की कवितायेँ

अमूमन ब्लॉग, फेसबुक आदि पर जो कविता लिखी जा रही है, उससे कभी कभी घिन आने लगती है। अभी कुछ दिन पहले मित्र संदीप पांडे ने भी इस संबंध में सवाल उठाया … Read More

कला और विचार का मेल

बलराज साहनी। जेहन में नाम आते ही, काले पेंट और सफेद शर्ट में बोलते चेहरे वाला एक डॉक्टर याद आता है, या फिर ‘ए मेरे जोहराजबीं…’ गाता हुआ रौबीली मूंछों … Read More

दुनिया की बीमारियों का हल हिंदुस्तानी तहजीब

-सचिन श्रीवास्तव ‘वो रुलाकर हंस ना पाया देर तक, जब मैं रोकर मुस्कुराया देर तक’। इस शेर को हम सभी ने अपने-अपने ढंग से इस्तेमाल किया होगा। शायरी के शौकीन … Read More