गोलवलकर ने 1971 में जो भरोसा इंदिरा को दिया था, क्या वो आज भागवत दे सकते हैं देश को!

– एल. एस. हरदेनिया

मुझे मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री बाबूलाल गौर से मुलाकात करने में अत्यधिक बौद्धिक आनंद आता था। उनका जीवन संघर्ष से भरपूर था। उनके संस्मरण काफी दिलचस्प होते थे।

एक दिन इसी तरह की मुलाकात के दौरान मैंने उनसे जानना चाहा कि श्री अटलबिहारी वाजपेयी ने क्या सच में श्रीमती इंदिरा गांधी को दुर्गा माता कहा था? इसपर उन्होंने कहा कि ‘‘इस बारे में मुझे श्री वाजपेयी ने जो बताया था वह बताता हूं।

‘‘उस समय बांग्लादेश को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध चल रहा था। युद्ध के दौरान इंदिराजी ने वाजपेयीजी से संपर्क किया। इंदिराजी ने वाजपेयीजी से कहा कि उन्हें शीघ्र ही नागपुर जाना होगा। कारण पूछने पर इंदिराजी ने कहा कि नागपुर में उन्हें सरसंघ चालक माधव सदाशिव गोलवलकर से मिलकर उन्हें मेरा एक संदेश देना है। मेरा संदेश यह है कि इन कठिन परिस्थितियों में वे मेरी मदद करें। मैं चाहती हूं कि देश में शांति बनाए रखने में वे मेरी सहायता करें। वे यह सुनिश्चित करें कि देश में एक भी मुस्लिम विरोधी घटना न हो। यदि ऐसी कोई घटना होती है तो पाकिस्तान उसका भरपूर लाभ उठाएगा और विश्व में हमारी प्रतिष्ठा पर आंच आएगी। इंदिराजी ने यह भी कहा कि वे नागपुर पहुंचकर गुरूजी से मेरी बात भी करवाएं।

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‘‘उन्होंने नागपुर जाने के लिए अटलजी को विशेष विमान भी उपलब्ध करवाया। नागपुर पहुंचकर अटलजी ने गुरूजी से इंदिराजी की बात करवाई। गुरूजी ने उन्हें आश्वस्त किया कि वे देश में शांति और व्यवस्था बनाए रखने में पूरी मदद करेंगे ताकि युद्ध के दौरान देश में सौहार्द और सद्भावना का वातावरण बना रहे। इस बीच इंदिराजी को दुर्गा माता कहा गया। यह उन्होंने कहा या मैंने यह स्मरण नहीं है।‘‘

आज तबलीगी जमात को लेकर पूरे देश में मुस्लिम विरोधी वातावरण बन रहा है। यदि इस प्रवृत्ति को रोका नहीं गया तो विस्फोटक स्थिति बन सकती है।

इसमें कोई संदेह नहीं कि जमात के कुछ सदस्यों ने आपत्तिजनक गतिविधि की है। कुछ हद तक इस कारण आक्रोश होना स्वाभाविक है। परंतु इसे लेकर पूरे मुस्लिम समाज के विरूद्ध वातावरण बनाना उचित नहीं है।

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परंतु इसी तरह की आपत्तिजनक गतिविधि कई अन्य व्यक्तियों और समूहों ने भी की हैं। जमात समेत ऐसी अनुचित गतिविधि करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के विरूद्ध पुलिस एवं प्रशासन द्वारा सख्त से सख्त कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए।

आरएसएस एक शक्तिशाली संस्था है जिसके सदस्य नेतृत्व के निर्देशों का शत प्रतिशत पालन करते हैं। इसलिए वर्तमान सरसंघ चालक डा. मोहन भागवत से अपेक्षा है कि वे स्वयंसेवकों को आदेश दें कि वे ऐसे नाजुक समय में देश में सद्भावना बनाए रखने में पूरी मदद करें। यह याद रखना आवश्यक है कि घृणा एक ऐसा वायरस है जिसका मुकाबला करना कोरोना से मुकाबला करने की तुलना में कई गुना कठिन है।