Feminism: फेमिनिज्म की मुख्यधारा में छूट गए महिला मुद्दों पर बेबाक बयानी
“Hood Feminism: Notes from the Women That a Movement Forgot” by Mikki Kendall: एक समीक्षा
मिक्की केंडल की “Hood Feminism: Notes from the Women That a Movement Forgot” 2020 में प्रकाशित हुई थी। इसे फेमिनिस्ट सर्किल में खूब पढ़ा गया है, लेकिन इसके सबक पर काम होना बाकी है। इस जरूरी किताब ने फेमिनिज्म की मुख्यधारा में अनदेखे रह गए महिलाओं के मुद्दों को उजागर किया है। यह किताब फेमिनिज्म की व्यापक धारा को एक नई दिशा देती है, जिसमें वर्ग, नस्ल और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर जोर दिया गया है। केंडल ने इस किताब के माध्यम से यह स्पष्ट किया है कि फेमिनिज्म को महज एलीट या मध्यमवर्गीय महिलाओं के मुद्दों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसमें उन महिलाओं के मुद्दों को भी शामिल करना चाहिए जो अक्सर हाशिये पर रहती हैं। भारतीय संदर्भों में कहें, तो आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यक महिलाओं के बारे में।
मुख्यधारा फेमिनिज्म की आलोचना
केंडल की किताब मुख्यधारा फेमिनिज्म की सीमाओं की आलोचना करती है। वे बताती हैं कि कैसे मुख्यधारा फेमिनिज्म ने अक्सर नस्ल, वर्ग और अन्य सामाजिक कारकों के आधार पर विभाजित महिलाओं के मुद्दों को नजरअंदाज किया है। केंडल का तर्क है कि फेमिनिज्म को सिर्फ जेंडर इक्वालिटी तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे व्यापक सामाजिक न्याय के मुद्दों को भी संबोधित करना चाहिए।
इंटरसेक्शनलिटी का महत्व
केंडल की किताब में इंटरसेक्शनलिटी का महत्वपूर्ण स्थान है। वे बताती हैं कि कैसे महिलाओं की पहचान कई पहलुओं से मिलकर बनी होती है, जैसे कि नस्ल, वर्ग, यौनिकता, और अधिक। केंडल का तर्क है कि फेमिनिज्म को इन सभी पहलुओं को समझना और संबोधित करना चाहिए ताकि सभी महिलाओं के लिए समानता और न्याय सुनिश्चित हो सके।
वास्तविक जीवन के मुद्दे
“Hood Feminism” में केंडल ने उन मुद्दों पर चर्चा की है जो अक्सर मुख्यधारा फेमिनिज्म में अनदेखे रह जाते हैं। इनमें गरीबी, भूख, बंदूक हिंसा, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा की कमी, और नस्लीय भेदभाव शामिल हैं। केंडल का मानना है कि इन मुद्दों का समाधान किए बिना, वास्तविक जेंडर इक्वालिटी संभव नहीं है।
फेमिनिज्म का व्यावहारिक दृष्टिकोण
केंडल का दृष्टिकोण व्यावहारिक है। वे यह बताती हैं कि फेमिनिज्म को सिर्फ सिद्धांतों और विचारधाराओं तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे वास्तविक जीवन में लागू किया जाना चाहिए। उनका तर्क है कि हमें ऐसे समाधान खोजने चाहिए जो सभी महिलाओं की दैनिक जीवन की चुनौतियों को संबोधित कर सकें।
सामुदायिक सशक्तिकरण
केंडल सामुदायिक सशक्तिकरण पर जोर देती हैं। वे बताती हैं कि कैसे समुदायों में महिलाओं को संगठित होकर अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए। उनका मानना है कि सामुदायिक समर्थन और सहयोग से ही वास्तविक परिवर्तन संभव है।
भूख और गरीबी
केंडल बताती हैं कि कैसे भूख और गरीबी महिलाओं के जीवन को प्रभावित करते हैं और इन मुद्दों को फेमिनिज्म के एजेंडा में शामिल किया जाना चाहिए। वे इस बात पर जोर देती हैं कि महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता और सुरक्षा के बिना, जेंडर इक्वालिटी अधूरी है। इसी तरह शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल को महिलाओं के सशक्तिकरण के महत्वपूर्ण घटक बताते हुए वे कहती हैं कि कैसे शिक्षा की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता महिलाओं को हाशिये पर धकेल देती हैं।
बंदूक हिंसा और सुरक्षा
केंडल बंदूक हिंसा के मुद्दे पर भी बात करती हैं और बताती हैं कि यह महिलाओं, विशेषकर निचली पायदान की महिलाओं के जीवन को प्रभावित करती है। उनका तर्क है कि फेमिनिज्म को इस मुद्दे पर भी गंभीरता से विचार करना चाहिए।
केंडल ने अपनी पुस्तक में अपने व्यक्तिगत अनुभवों और कहानियों का उपयोग किया है ताकि वे अपने तर्कों को सशक्त बना सकें। उनकी कहानियां पाठकों को उनके दृष्टिकोण और जीवन की कठिनाइयों को समझने में मदद करती हैं। उनके व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम से, वे यह स्पष्ट करती हैं कि फेमिनिज्म को वास्तविक जीवन की जटिलताओं और संघर्षों को समझना और संबोधित करना चाहिए।
मिक्की केंडल की “” फेमिनिज्म की धारा में एक महत्वपूर्ण योगदान है। यह पुस्तक हमें यह सिखाती है कि फेमिनिज्म को व्यापक और समावेशी होना चाहिए। केंडल का तर्क है कि फेमिनिज्म को सभी महिलाओं के लिए न्याय और समानता की वकालत करनी चाहिए, न कि केवल उन महिलाओं के लिए जो मुख्यधारा में हैं। उनकी पुस्तक हमें यह याद दिलाती है कि फेमिनिज्म का असली उद्देश्य सभी महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाना है और इसके लिए हमें समाज के हर कोने में व्याप्त असमानताओं और अन्यायों को समझना और उन्हें खत्म करने की दिशा में काम करना चाहिए।
इस पुस्तक ने फेमिनिज्म के व्यापक दृष्टिकोण को सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इसे समझने और अपनाने के लिए नए रास्ते खोले हैं। केंडल की स्पष्ट और सशक्त भाषा ने इस पुस्तक को एक महत्वपूर्ण सामाजिक दस्तावेज बना दिया है, जिसे हर उस व्यक्ति को पढ़ना चाहिए जो जेंडर इक्वालिटी और सामाजिक न्याय में विश्वास रखता है।