Hindenburg: क्यों हुआ हिंडनबर्ग रिपोर्ट से अडाणी को भारी नुकसान, इसके दावों पर क्या है विवाद?
अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग (Hindenburg)की हाल ही में आई रिपोर्ट इन दिनों सुर्खियों में है। इसकी वजह है रिपोर्ट में अडाणी समूह के बारे में टिप्पणी। हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg) ने अडाणी समूह पर शेयरों में हेरफेरी और धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं। रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद अडाणी समूह के शेयरों में तेजी से गिरावट आई। उधर, अडाणी समूह ने इस रिपोर्ट पर 413 पन्नों में लंबी चौड़ी प्रतिक्रिया दी है। मामला यही नहीं थमा है। अब हिंडनबर्ग ने अडाणी के जवाब के बाद एक बार फिर पलटवार किया है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर अडाणी समूह ने कई सवाल उठाए हैं। पहले भी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर विवाद होता रहा है।
क्या है हिंडनबर्ग (Hindenburg) रिसर्च?
हिंडनबर्ग (Hindenburg) रिसर्च एक वित्तीय शोध करने वाली कंपनी है, जो इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव मार्केट के आंकड़ों का विश्लेषण करती है। इसकी स्थापना साल 2017 में नाथन एंडरसन ने की है। हिंडनबर्ग (Hindenburg) रिसर्च हेज फंड का कारोबार भी करती है। इसे कॉरपोरेट जगत की गतिविधियों के बारे में खुलासा करने के लिए जाना जाता है। इस कंपनी का नाम हिंडनबर्ग आपदा पर आधारित है जो 1937 में हुई थी, जब एक जर्मन यात्री हवाई पोत में आग लग गई थी, जिसमें 35 लोग मारे गए थे।
कंपनी यह पता लगती है कि क्या शेयर मार्केट में कहीं गलत तरीके से पैसों की हेरा-फेरी तो नहीं हो रही है? क्या कोई कंपनी अकाउंट मिसमैनेजमेंट तो खुद को बड़ा नहीं दिखा रही है? क्या कंपनी अपने फायदे के लिए शेयर मार्केट में गलत तरह से दूसरी कंपनियों के शेयर को बेट लगाकर नुकसान तो नहीं पहुंचा रही?
हिंडनबर्ग (Hindenburg)की हालिया रिपोर्ट में क्या है?
25 जनवरी को हिंडनबर्ग (Hindenburg) ने अडाणी ग्रुप के संबंध में 32 हजार शब्दों की एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के निष्कर्ष में 88 प्रश्नों को शामिल किया। रिपोर्ट में दावा किया गया कि यह समूह दशकों से शेयरों के हेरफेर और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन साल में शेयरों की कीमतें बढ़ने से अडाणी समूह के संस्थापक गौतम अडाणी की संपत्ति एक अरब डॉलर बढ़कर 120 अरब डॉलर हो गई है। इस दौरान समूह की 7 कंपनियों के शेयर औसत 819 फीसदी बढ़े हैं।
कई देशों में हैं मुखौटा कंपनियां होने का आरोप
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि मॉरीशस से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक टैक्स हेवन देशों में अडाणी परिवार की कई मुखौटा कंपनियों का विवरण है। आरोपों के मुताबिक, इनका उपयोग भ्रष्टाचार, मनी लांड्रिंग के लिए किया गया। इन मुखौटा कंपनियों के जरिए फंड की हेराफेरी भी की गई।
कंपनी ने कहा है कि इस शोध रिपोर्ट के लिए अडाणी समूह के पूर्व अधिकारियों सहित दर्जनों लोगों से बात की गई। हजारों दस्तावेजों की समीक्षा हुई और आधा दर्जन देशों में दौरा किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़े पैमाने पर शेयरों को गिरवी रखकर कर्ज लिया गया। रिपोर्ट जारी करने के बाद हिंडनबर्ग (Hindenburg) ने कहा कि यदि गौतम अडाणी वास्तव में पारदर्शिता को अपनाते हैं, जैसा कि वे दावा करते हैं, तो उन्हें उत्तर देना चाहिए।
अडाणी समूह का इस रिपोर्ट पर क्या रुख है?
रिपोर्ट आने के बाद अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग (Hindenburg) की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी। अडाणी समूह ने इसे निराधार और बदनाम करने वाला बताया। समूह के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) जुगेशिंदर सिंह ने कहा, रिपोर्ट में इस्तेमाल तथ्यात्मक आंकड़े प्राप्त करने के लिए समूह से कोई संपर्क नहीं किया गया। यह रिपोर्ट चुनिंदा गलत व बासी सूचनाओं, निराधार और बदनाम करने की मंशा से किया गया एक दुर्भावनापूर्ण संयोजन है। अडाणी समूह के लीगल हेड जतिन जलुंढ़वाला ने कहा कि शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग को अडाणी समूह के शेयरों में आने वाली गिरावट से फायदा होगा। अडाणी समूह ने कहा कि हिंडनबर्ग के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी।
हिंडनबर्ग (Hindenburg)का क्या जवाब?
अडाणी समूह की कानूनी चेतावनी के बाद हिंडनबर्ग (Hindenburg) ने कहा कि वह कानूनी कार्रवाई की कंपनी की धमकियों का स्वागत करेगा। हिंडनबर्ग (Hindenburg) ने कहा कि वह अपनी रिपोर्ट पर पूरी तरह से कायम है। हिंडनबर्ग (Hindenburg) ने कहा कि अगर अडाणी गंभीर हैं, तो उन्हें अमरिका में भी मुकदमा दायर करना चाहिए, जहां हम काम करते हैं। हमारे पास कानूनी जांच प्रक्रिया में मांगे जाने वाले दस्तावेजों की एक लंबी सूची है।
पहले किन रिपोर्ट्स को लेकर चर्चा में रहा हिंडनबर्ग (Hindenburg)?
अडाणी समूह कोई पहला नहीं है जिसपर अमेरिकी फर्म ने रिपोर्ट जारी की है। इससे पहले इसने अमेरिका, कनाडा और चीन की करीब 18 कंपनियों को लेकर अलग अलग रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसके बाद काफी घमसान मचा। ज्यादातर कंपनियां अमेरिका की ही थीं, जिनपर अलग-अलग आरोप लगे।
हिंडनबर्ग (Hindenburg)की सबसे चर्चित रिपोर्ट अमेरिका की ऑटो सेक्टर की बड़ी कंपनी निकोला को लेकर रही। इस रिपोर्ट के बाद निकोला के शेयर 80 फीसदी तक टूट गए थे। निकोला को लेकर जारी रिपोर्ट में व्हिसलब्लोअर और पूर्व कर्मचारियों की मदद से कथित फर्जीवाड़े को उजागर किया गया था। निकोला के संस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष ट्रेवर मिल्टन ने तुरंत कंपनी से इस्तीफा दे दिया। रिपोर्ट के बाद कंपनी जांच के दायरे में है।
इन कंपनियों को लेकर हुए हैं खुलासे:
वर्ष कंपनी (देश)
2020 Nikola (अमेरिका)
2020 WINS Finance (चीन)
2020 Genius Brands (अमेरिका)
2020 China Metal Resources Utilization (चीन)
2020 SC Worx (अमेरिका)
2020 Predictive Technology Group (अमेरिका)
2020 HF Foods (अमेरिका)
2019 SmileDirectClub (अमेरिका)
2019 Bloom Energy (अमेरिका)
2018 Yangtze River Port & Logistics (अमेरिका)
2018 Liberty Health Sciences (अमेरिका)
2018 Aphria (कनाडा)
2018 Riot Blockchain (अमेरिका)
2017 PolarityTE (अमेरिका)
2017 Opko Health (अमेरिका)
2017 Pershing Gold (अमेरिका)
2017 RD Legal (अमेरिका)
हिंडनबर्ग (Hindenburg)समूह की विश्वस्नीयता पर क्यों हैं सवाल?
हिंडनबर्ग (Hindenburg)की रिपोर्ट के बाद खुद उसकी विश्वसनीयता को लेकर सवाल खड़े हुए हैं। फोर्ब्स मैगजीन के मुताबिक, अमेरिकी न्याय विभाग दर्जनों बड़े शॉर्ट-सेलिंग निवेश और शोध फर्मों की जांच कर रहा है। इनमें मेल्विन कैपिटल और संस्थापक गेबे प्लॉटकिन, रिसर्चर नैट एंडरसन और हिंडनबर्ग रिसर्च सोफोस कैपिटल मैनेजमेंट और जिम कारुथर्स भी शामिल हैं। विभाग ने साल 2021 के अंत में लगभग 30 शॉर्ट-सेलिंग फर्मों के साथ-साथ उनसे जुड़े तीन दर्जन व्यक्तियों के बारे में जानकारी जुटाई थी। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, संघीय अभियोजक इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या शॉर्ट-सेलर्स ने समय से पहले हानिकारक शोध रिपोर्ट साझा करके और अवैध व्यापार रणनीति में शामिल होकर शेयर की कीमतों को कम करने की साजिश रची थी।
एटक ने की अडानी समूह पर हिंडनबर्ग (Hindenburg)रिसर्च रिपोर्ट की जांच की मांग
आल इंडिया ट्रेड यूनियन एटक ने इस मामले में हमलावर होते हुए रिपोर्ट के दावों की जांच की मांग की है। एटक ने एक बयान में कहा है कि हिंडनबर्ग (Hindenburg) शोध की रिपोर्ट गंभीर प्रकृति की है। यह रिपोर्ट अकाउंटिंग फ्रॉड और स्टॉक मैनिपुलेशन के पुख्ता सबूतों के साथ सामने आई है। यह आरोप लगाया गया है कि बढ़ा हुआ स्टॉक मूल्य बैंकों के पास ऋण लेने के लिए गिरवी रखा जाता है। रिपोर्ट में अडानी समूह से जुड़ी संस्थाओं और शेल संस्थाओं के एक जटिल जाल की जांच करने का भी दावा किया गया है। यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो इसमें शामिल शेयरों के आकार को देखते हुए प्रभाव बहुत गंभीर होंगे।
बयान में एटक ने कहा है कि रिपोर्ट किए गए स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी, अगर सही साबित होते हैं, तो इसमें सरकार और उसके विभागों का समर्थन और मिलीभगत शामिल होगी। रिपोर्ट में भारत के पूंजी बाजार नियामक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड और भारतीय रिजर्व बैंक, केंद्रीय नियामक निकाय की भूमिका की भी जांच की गई है।
वर्ष 2021-22 में गौतम अडानी की दौलत में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई, जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी में थी। पूरी घटना इस सच्चाई को उजागर करती है कि कैसे क्रोनी कैपिटलिज्म अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से लूटता है। यह उदाहरण देने के लिए एक उत्कृष्ट मामला है कि कैसे प्रधानमंत्री और सरकार के मित्रों की किस्मत सरकार द्वारा नियंत्रित संसाधनों और विभागों तक पहुंच पर निर्भर करती है।
एटक के महासचिव एस.एस. मौर्या ने इस बारे में कहा है कि बिना आग के धुआं नहीं हो सकता। इस तरह की गंभीर धोखाधड़ी और जोड़-तोड़ की रिपोर्ट, जो शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था पर भारी प्रभाव डालेगी, को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यह बताया जा रहा है कि अडाणी के गिरते शेयरों को बचाने के लिए बेताब प्रयास किए जा रहे हैं और एलआईसी ऑफ इंडिया ने उन शेयरों को खरीदने की ‘पेशकश’ की है। सत्ता पर बैठे लोगों की मिलीभगत को दरकिनार नहीं किया जा सकता। यह आम लोगों की कीमत पर अच्छे पैसे को खराब पैसे के बाद फेंकना है।
उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस हिंडनबर्ग (Hindenburg) रिसर्च की रिपोर्ट की जांच की मांग करती है। इस मामले में सभी तथ्यों को साफ किया जाना जरूरी है।