Subhashini Ali Interview: देश की 90 प्रतिशत जनता के खिलाफ है मनुवाद: सुभाषिनी अली
subhashini ali interview: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की वरिष्ठ नेता सुभाषिनी अली से संविधान लाइव की विशेष बातचीत
भोपाल: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की वरिष्ठ नेता सुभाषिनी अली पिछले दिनों मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में एक कार्यक्रम में हिस्सेदारी के लिए आईं थीं। इस मौके पर संविधान लाइव ने उनसे खास बातचीत (subhashini ali interview) की। इस बातचीत को संविधान लाइव के यूट्यूब चैनल पर सुना जा सकता है। बातचीत को रिकॉर्ड और एडिट किया है डॉक्यूमेंट्री निर्देशक और वीडियोग्राफर अनिल मयूर ने।
subhashini ali interview: बातचीत की शुरुआत में ही उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार के दौर में बहुत सारे मुद्दों पर व्यापक विरोध है। बहुत से खतरों को लोग महसूस करने लगे हैं। इसीलिए प्रजातंत्र और संविधान से लगाव के साथ संघर्षों को बचाने की जरूरत, धर्मनिरपेक्षता, कॉरपोरेट परस्त नीतियों को लागू करने के असर, शिक्षा में बदलाव, इतिहास आदि पर लोग सोचने, समझने, बात करने लगे हैं।
पूंजीवादी और सामंती पार्टियां और भी हैं, लेकिन भाजपा और उनमें फर्क है। भाजपा संविधान को नहीं मानती। भाजपा पीड़ित को न्याय नहीं दिलाती और जातीय और वर्गीय शोषण को मजबूत करती है।
सुभाषिनी अली, माकपा नेता
उन्होंने किसान आंदोलन के बारे में लंबी बात (subhashini ali interview) की और उसका आंखों देखा दस्तावेजी इतिहास बयान किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन ने हिंदू—मुस्लिम, हिंदू—सिख एकता को बचाने की हर कीमत पर बात की है।
subhashini ali interview: उन्होंने आंदोलनों के इतिहास पर तीखी नजर डालते हुए दक्षिण के आंदोलन, पंजाब के आंदोलनों और उत्तर प्रदेश आदि के आंदोलनों का जिक्र करते हुए कहा कि मनुवादी सोच का प्रखर विरोध हमेशा से हमारे देश में रहा है। इस विरोध को जोड़ने की जरूरत है। उन्होंने साफ किया कि लोगों को समझाने की जरूरत है कि मनुवादी सोच महज महिला, अल्पसंख्यक, दलितों के ही खिलाफ नहीं है, बल्कि यह देश की 90 प्रतिशत जनता के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि आरएसएस कैसा समाज चाहता है हम लोग इसको विस्तार से लोगों को नहीं समझा पा रहे हैं। उन्होंने सांप्रादायकिता का जिक्र करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर हम बहुत आक्रामक हो जाते हैं, होना भी चाहिए। लेकिन इससे आगे की बात करते हुए वे कहती हैं कि भाजपा और आरएसएस सांप्रदायिकता का इस्तेमाल करते हैं। अपने मन का समाज बनाने के लिए। वे एक इस तरह का हिंदू बनाना चाहते हैं, जो उनकी समाज संरचना का समर्थक हो।
हालांकि इस बीच वे उत्तर प्रदेश में भाजपा की हार की भविष्यवाणी करती हैं और किसान आंदोलन के असर को ज्यादा करके आंकती हैं।
आखिर में उन्होंने कहा कि पूंजीवादी और सामंती पार्टियां और भी हैं, लेकिन भाजपा और उनमें फर्क है। भाजपा संविधान को नहीं मानती। भाजपा पीड़ित को न्याय नहीं दिलाती और जातीय और वर्गीय शोषण को मजबूत करती है।