बेस्टसेलर राइटर: वेद, उपनिषद पढ़कर मिली किताब की प्रेरणा

15 जुलाई 2016 के राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित
सचिन श्रीवास्तव
अमीषा सेठी की पहली किताब को आए हुए अभी एक साल भी नहीं हुआ है और उन्हें भविष्य की लेखिका कहा जा रहा है। “इन डजन्ट हर्ट टू वी नाइस” अपनी तरह की अनूठी किताब है। अपने जॉनर में एकमात्र। यह एक लड़की की की जिंदगी की कहानी है, जो कॉमेडी, ड्रामा, आध्यात्मिकता के साथ आगे बढ़ती है। अमीषा ने अपने विचार साझा किए।

साल 2011 मैंने उपनिषद और वेदांग आदि पढऩा शुरू किया। यह मैंने ट्रांसलेशन के बजाय संस्कृत में ओरिजनल स्क्रिप्ट में पढऩा शुरू किया। जब हम पढ़ते हैं, तो क्यों हुआ, कैसे हुआ? जैसे सवाल जेहन में आते ही हैं। मेरे साथ भी ऐसा हुआ। 

इसी प्राचीन साहित्य को पढ़ते हुए मैंने जाना कि जिंदगी का मकसद क्या है। आखिर हम निजी जिंदगी में कितनी भी चीजें अपने आसपास जुटा लें, लेकिन अगर भीतर से खालीपन है, तो बाहरी चीजों का कोई अर्थ नहीं रह जाता। यह खालीपन इन दिनों बढ़ रहा है। हम सभी एक दौड़ में शामिल हैं। सुबह जागने से लेकर देर रात सोने तक यह एक नामालूम सी दौड़ है। 
इन्हीं विचारों के बीच मुझे लगा कि ये जो इनर जॉय है, इसे किताब की शक्ल देनी चाहिए। लेकिन दिक्कत यह थी कि सेल्फ हेल्प की बहुत सी किताबें पहले ही मौजूद हैं, और उन्हें पढऩे में लोगों की बहुत ज्यादा दिलचस्पी नहीं होती है। तो एक कहानी बुनने ख्याल आया कि क्यों न एक इंटरेस्टिंग कहानी के माध्यम से यह सारी बातें कही जाएं। 
जब लिखना शुरू किया तो एक अजीब सी सोर्स ऑफ एनर्जी मैंने महसूस की। मैं रोज लिखती थी। सुबह या रात, जो ख्याल जब आता था, उसे तुरंत कागज पर उतार देती थी। मेरे करीबियों को, परिजनों को पता था कि मैं लिख रही हूं। उन्होंने सपोर्ट भी किया। लेकिन यह जानकारी नहीं थी कि क्या लिख रही हूं। जब किताब आई, तो रिएक्शन था कि “अरे, यह कब हुआ?”।  मैं अपने ऑफिस, घर, यात्रा हर जगह लिखती रही। इस दौरान शंघाई, बीजिंग आदि यात्राएं भी कीं। लिखना हर वक्त जारी रहा।

2014 में जब अमीषा को वल्र्ड वुमन लीडरशिप कांग्रेस में “यंग वुमन राइजिंग स्टार” का अवार्ड मिला था, तब किसी को उनकी लेखकीय क्षमताओं का अंदाजा नहीं था। गुजरात में पैदा हुईं अमीषा इन दिनों बंगलुरू में रहती हैं और एक कंपनी चलाती हैं।

जिंदगी : जिंदगी रुकनी नहीं चाहिए। जिंदगी में चाहे कोई भी हालात आएं। हर वक्त आगे बढऩा चाहिए। जो हो रहा है, उसे बेहतर करने की तरफ ध्यान देना चाहिए।
सफलता : सफलता का कोई खास अर्थ नहीं है। यह तो बस एक अनुभव है। जो आप चाहते थे, वह हो गया। बाकी इससे ज्यादा सफलता-असफलता आपकी सोच पर निर्भर है।
आंतरिक आवाज: हमारे भीतर की एक सुप्रीम कॉन्ससनैस। इसे हम सुने या न सुनें, लेकिन यह हर वक्त हमें सही और गलत का फर्क बताती है।
दुनिया: दुनिया एक इल्यूजन है। एक भ्रम। इससे जितना दूर रह सकें, उतना अच्छा है। ज्यादा खुश रहेंगे। बाहरी दुनिया से बहुत बड़ी दुनिया हमारे भीतर है। उसे तलाशें।
प्रेम: आप जो चाहते हैं वह सब कुछ मिल जाए और आपके जीवन में प्यार न हो, तो सब कुछ अधूरा है। प्यार ही आपको भीतरी खुशी देता है। यह इनर जॉय है।
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