शास्त्री जी की सादगी : सबसे सस्ती साड़ी दिखाओ, और दाम भी बताओ

सचिन श्रीवास्तव

2 अगस्त 2016 को राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री अपनी सादगी के लिए मशहूर थे। मौजूदा माहौल में उनकी तरह का सादा जीवन दुर्लभ है। उनसे जुड़े दो किस्से….
एक बार शास्त्रीजी एक दुकान में साड़ी खरीदने गए। दुकान का मालिक शास्त्री जी को देख बेहद खुश हुआ। उसने उनके आने को अपना सौभाग्य माना और स्वागत-सत्कार किया। शास्त्री जी ने कहा, वे जल्दी में हैं और उन्हें चार-पांच साडिय़ां चाहिए।
दुकान का मैनेजर शास्त्री जी को एक से बढ़ कर एक साडिय़ां दिखाने लगा। साडिय़ां काफी कीमती थीं। शास्त्री जी बोले- भाई, मुझे इतनी महंगी साडिय़ां नहीं चाहिए। कम कीमत वाली दिखाओ। मैनेजर ने कहा- सर, आप इन्हें अपना ही समझिए, दाम की तो कोई बात ही नहीं है। यह तो हमारा सौभाग्य है कि आप पधारे।
शास्त्री जी उसका आशय समझ गए। उन्होंने कहा- मैं तो दाम देकर ही लूंगा। मैं जो तुम से कह रहा हूं उस पर ध्यान दो और कम कीमत की साडिय़ां ही दिखाओ और कीमत बताते जाओ। तब मैनेजर ने थोड़ी सस्ती साडिय़ां दिखानी शुरू कीं। शास्त्री जी ने कहा, ये भी मेरे लिए महंगी ही हैं। और कम कीमत की दिखाओ। मैनेजर एकदम सस्ती साड़ी दिखाने में संकोच कर रहा था। शास्त्री जी भांप गए। उन्होंने कहा- दुकान में जो सबसे सस्ती साडिय़ां हों, वो दिखाओ। मुझे वही चाहिए। आखिरकार मैनेजर ने उनके मनमुताबिक साडिय़ां निकालीं। शास्त्री जी ने कुछ चुनीं और कीमत अदा कर चले गए।

ट्रेन से कूलर निकलवाया

बात तब की है जब शास्त्रीजी रेल मंत्री थे। वे मुंबई जा रहे थे। उनके लिए प्रथम श्रेणी का डिब्बा लगा था। गाड़ी चलने पर शास्त्रीजी बोले- डिब्बे में काफी ठंडक है, वैसे बाहर गर्मी है। उनके पी.ए. कैलाश बाबू ने कहा- जी, इसमें कूलर लग गया है। शास्त्रीजी ने पैनी निगाह से उन्हें देखा और आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूछा- कूलर लग गया है? बिना मुझे बताए? आप पूछते क्यों नहीं? क्या और ्लोगों को गर्मी नहीं लगती होगी? शास्त्रीजी ने कहा- कायदा तो यह है कि मुझे भी थर्ड क्लास में चलना चाहिए, पर जितना हो सकता है उतना तो करना चाहिए। उन्होंने कहा, आगे गाड़ी जहां रुके, पहले कूलर निकलवाइए। फिर क्या मथुरा स्टेशन पर कूलर निकलवाया गया। आज भी फस्र्ट क्लास के उस डिब्बे में कूलर की जगह लकड़ी जड़ी है।

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