नाराजगी के नए सुर, नए तरीके: छात्र संग्राम की आहट

31 अगस्त 2016 को राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित

सचिन श्रीवास्तव
अगस्त का महीना दुनिया के ज्यादातर देशों के कॉलेजों-विश्वविद्यालयों में पढ़ाई की औपचारिक शुरुआत का महीना होता है। नए सत्र की शुरुआत में ही जब छात्र विरोध-प्रदर्शन करने निकल पड़ें, तो चिंता लाजिमी है। 1 अगस्त को टेक्सास में नया बंदूक कानून लागू होने से शुरू हुआ सिलसिला 30 अगस्त को दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय टिप्पणियों के खिलाफ ब्लैक स्टूडेंट के प्रदर्शनों तक लगातार जारी रहा। 29 और 30 अगस्त को दक्षिण अफ्रीका में जोहानसबर्ग से डरबन तक के स्कूलों-कॉलेजों में करीब 17 बड़े प्रदर्शन हुए। पूरे अगस्त महीने में दुनियाभर में विभिन्न मसलों में 1000 या इससे ज्यादा छात्रों की हिस्सेदारी वाले करीब 90 प्रदर्शन हुए। जापान से लेकर ब्राजील और सेन फ्रांसिस्को से लेकर हांगकांग तक के छात्रों ने कहीं कैंपस, तो कहीं सड़कों पर प्रदर्शन किया। सोशल मीडिया पर छात्र समर्थक कैंपनों की संख्या भी खासी रही और ऑन लाइन पिटीशन आदि का दौर भी जारी रहा। हमारे देश में भी मैसूर से धर्मशाला और मुंबई से गुवाहाटी तक प्रदर्शन होते रहे। छात्र विरोध की इस धारा, विरोध के तरीकों और मुद्दों पर एक नजर….

पूरी दुनिया में प्रदर्शन
दक्षिण अफ्रीका
जोहानेसबर्ग: साउथ अफ्रीकन यूनियन ऑफ स्टूडेंट (एसएयूएस) एक रैली की योजना बना रही है। इसके तहत बड़े आर्थिक संस्थानों से मांग की जाएगी कि वे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपनी भूमिका बढ़ाएं।
डरबन में छात्रों ने 30 अगस्त को ब्लैक छात्राओं के खिलाफ नस्लीय टिप्पणी के खिलाफ प्रदर्शन किया।
प्रिटोरिया में 29 और 30 अगस्त को कई छात्र प्रदर्शन हुए। यहां एक स्कूल में 13 वर्षीय छात्रा को उसके बाल काटने को कहा गया। साथ ही शिक्षक ने टिप्पणी की कि उसके बालों से दूसरों का ध्यान भटकता है। अफ्रीका में ब्लैक छात्राओं के बालों पर टिप्पणी का मुद्दा सप्ताह भर से चर्चा में है।
प्रिटोरिया का मसला पूरे दक्षिण अफ्रीका में ब्लैक स्टूडेंट के खिलाफ नस्लीय टिप्पणियों के मुद्दे से जुड़ गया है। देश भर में प्रदर्शन के बाद दो उच्च शिक्षण संस्थान बंद किए जा चुके हैं। जबकि 14 अन्य को कुछ समय के बंद करने का प्रस्ताव है।

हांगकांग
2014 के एक मामले में कोर्ट ने तीन छात्र नेताओं को प्रदर्शन के दौरान शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति के अधिकार का उल्लंघन करने का दोषी पाते हुए सजा सुनाई है। इसके खिलाफ दो सप्ताह से हांगकांग के विभिन्न संस्थानों के छात्र विरोध प्रदर्शन और ऑन लाइन कैंपेन चला रहे हैं।

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अमरीका
टेक्सास: 25 अगस्त को यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के छात्रों ने एक बार फिर बंदूक कानून के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन दिया। छात्रों ने इसे कोक्स नॉट ग्लोक्स का नाम दिया। टेक्सास में छात्रों को कॉलेज कैंपस में बंदूक ले जाने की इजाजत दी गई है। इसके खिलाफ प्रदर्शनकारियों ने सेक्स टॉय लेकर प्रदर्शन किया।
वेस्ट सेक्रामेंटो में रिवर सिटी हाई स्कूल के छात्रों ने बीते सोमवार को अपनी कक्षाओं में जाने से पहले नारेबाजी की और मांग की है कि उनके शिक्षकों का वेतन बढ़ाया जाए।
ऐरीजोना के हाई स्कूल छात्रों ने सोमवार को ब्लैक लाइव्स मैटर (काले लोगों की जिंदगी कीमती है) कैंपन के पक्ष में प्रदर्शन किया।
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के छात्र लगातार चांसलर के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। खबरों के मुताबिक, प्रदर्शनों के दौरान विपरीत हालात होने पर चांसलर ने बाहर निकलने की रणनीति भी बनाई है।
येल यूनिवर्सिटी के छात्रों ने काल्हॉन कॉलेज का नाम बदलने के खिलाफ प्रशासन को आड़े हाथों लेने का फैसला किया है। इसके लिए प्रदर्शन की तैयारी की जा रही है। 27-28 अगस्त की रात छात्रों ने देर रात इसके लिए मीटिंग की।

नाइजीरिया
लागोस स्टेट यूनिवर्सिटी के छात्रों ने बीते सोमवार को प्रदर्शन किया। छात्रों ने यह प्रदर्शन सरकार की ओर से पर्याप्त मेडिकल फंड उपलब्ध न कराए जाने के खिलाफ किया।

मलेशिया
कुआलालंपुरम में करीब 1000 प्रदर्शनकारी छात्रों ने 27 अगस्त को राजधानी के केंद्रीय स्थलों पर मार्च निकाला। छात्र सरकार के एक अनाम उच्चाधिकारी की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे, जिस पर अमरीकी इन्वेस्टीगेटर के साथ मिलकर करोड़ों रुपए के सरकारी फंड का दुरुपयोग करने का आरोप है।

बांग्लादेश
ढाका की पाब्ना यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नॉलोजी को 30 सितंबर तक के लिए बंद कर दिया गया है। यहां छात्रों को पांच बजे के बाद एक मीटिंग के लिए अपनी डोरमेट्री छोडऩे का आदेश दिया गया था। इसके बाद छात्र उग्र हो गए।

ऑस्ट्रेलिया
25 अगस्त को सिडनी के ऐतिहासिक नेशनल आर्ट स्कूल के छात्रों ने राज्य की पार्लियामेंट की ओर मार्च किया। नतीजतन तीन सड़कों को बंद कर दिया गया। वे लंबे समय से स्कूल के मर्जर का विरोध कर रहे हैं।
मेलबर्न के स्कूलों में शॉर्ट स्कर्ट पर पाबंदी के खिलाफ देश भर के स्कूलों में प्रदर्शन हो रहे हैं। छात्राओं की पवित्रता बचाने के नाम पर दिए गए इस फैसले के खिलाफ मेलबर्न के काम्ब्रया कॉलेज में कई दिनों से प्रदर्शन चल रहा है।

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ब्रिटेन
नार्थम्पटन के स्मिथ कॉलेज के 1000 से ज्यादा छात्रों ने बीते सप्ताह प्रदर्शन किया। यहां एक शिक्षक का पत्र लीक हो गया है, जिसमें शिक्षक ने छात्रों की सामाजिक गतिविधियों, उनके रहन सहन आदि के बारे में टिप्पणी की है।

भारत
कर्नाटक में राज्य सरकार ने अगस्त के आखिरी सप्ताह में एक सर्कुलर जारी किया, जिसके तहत कॉलेज कैंपस में किसी भी विरोध प्रदर्शन के लिए शिक्षकों को जिम्मेदार माना जाएगा। सर्कुलर में शिक्षकों को हिदायत दी गई है कि वे छात्रों के साथ बेहतर संबंध बनाएं और उन्हें सरकार विरोधी प्रदर्शनों में हिस्सेदारी से रोकें। इस आदेश के खिलाफ खुद छात्र लामबंद हुए।
बंगलुरू की क्राइस्ट यूनिवर्सिटी के छात्र ने 85 प्रतिशत हाजिरी को अनिवार्य बनाने के नियम का विरोध किया।
मैसूर यूनिवसिर्टी में कुलपति केएस रंगरप्पा के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है।
हिमाचल प्रदेश में छात्र रूसा के परिणामों से नाराज हैं।
एमिटी में एक छात्र की आत्महत्या का मामला चर्चा में है।
मोदीनगर में छात्र इवनिंग क्लास की मांग के पक्ष में प्रदर्शन कर रहे हैं।
मुंबई के रहेजा स्कूल ऑफ आर्ट में कैपिटेशन फीस को लेकर प्रदर्शन किए जा रहे हैं।

दुनिया भर के छात्र अगर प्रदर्शन कर रहे हैं तो इसके पीछे बड़ी वजह सरकारों और यूनिवर्सिटी प्रशासन की नीतियां ही बड़ी वजह हैं। इसके अलावा शिक्षकों के पढ़ाने और सोचने के तरीके भी इसकी बड़ी वजह हैं। दुनिया भर के किशोरों और युवाओं के दिमाग तेजी से बदल रहे हैं, उनकी आदतें और सोचने के तरीके में जल्दी बदलाव आ रहे हैं। यह स्थिति हमें हर समय चौकन्ना रहने और पढ़ाई को ज्यादा से ज्यादा उदार बनाने की ओर प्रेरित कर रही है।
डेन के थाम्सन, विशेषज्ञ

तरीके कैसे कैसे
छात्र विरोध प्रदर्शन के लिए महज सड़कों पर ही नहीं उतर रहे हैं। बल्कि वे इसके लिए नये रास्ते भी अख्तियार कर रहे हैं। बर्कले यूनिवर्सिटी के छात्रों ने विरोध के लिए रविवार का दिन चुना है। जब क्लासेज कम होती हैं। वहीं इटली के छात्रों ने जिस मसले का विरोध करना है, उस पर चर्चा के लिए क्लास का बाद का एक घंटा तय किया है। इसी तरह ब्राजील की एक यूनिवर्सिर्टी ने विरोध के लिए क्लास में नाचने की रणनीति अपनाई है।