प्राथमिक चिकित्सा दिवस: अस्पताल के बाहर भी बच सकती हैं लाखों जिंदगियां

10 सितंबर 2016 को राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित

सचिन श्रीवास्तव 
आज दुनिया भर में फर्स्ट एड डे यानी प्राथमिक चिकित्सा दिवस मनाया जा रहा है। रेड क्रास सोसाइटी ने मुश्किल हालात में लोगों की जिंदगी बचाने की कोशिशों के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए इसकी शुरुआत की। इसके लिए सितंबर के दूसरे शनिवार का दिन मुकर्रर किया गया।

विशेषज्ञ राय
किसी घायल या बीमार व्यक्ति को अस्पताल तक पहुंचाने से पहले उसकी जान बचाने के लिए हम जो कुछ भी कर सकते हैं उसे प्राथमिक चिकित्सा कहते हैं। आपातकाल में व्यक्ति की जान बचाने के लिए हम आसपास की किसी भी चीज का इस्तेमाल कर सकते हैं, ताकि मरीज को अस्पताल ले जाते समय जल्द से जल्द आराम मिल सके। इमरजेंसी में क्या करना चाहिए, से ज्यादा जरूरी यह जानना है कि क्या नहीं करना चाहिए? क्योंकि, गलत चिकित्सा से पीडि़त की जान जाने का खतरा बढ़ सकता है।
डॉक्टर रमाकांत पांडा, उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट, मुंबई

फर्स्ट एड का उद्देश्य 
घायल की जान बचाना
बिगड़ी हालत से बाहर निकालना
तबियत सुधारना

विपरीत हालात में क्या करें 
सांस की जांच करें और एबीसी नियम अपनाएं
खून बह रहा है, तो जल्द से जल्द इसे रोकें
घायल को सदमा लगा है, तो उसे सांत्वना दें
बेहोश हो तो होश में लाने की कोशिश करें
कोई हड्डी टूट हो, तो सीधा करें और दर्द को कम करें
जितना जल्दी हो सके घायल को नजदीकी अस्पताल पहुंचाएं

एबीसी नियम 
A (Airway) – श्वासनली की जांच
बेहोश व्यक्ति की जीभ के कारण सांस नली रुकी हो सकती है। बेहोशी के बाद मुंंह की मांसपेशियां ढीली हो जाती है, इससे जीभ गले में अटक जाती है। अपनी उंगलियों की मदद से जीभ जगह पर खींच जाएं। फिर सुनिश्चित करें कि श्वासनली में कोई रुकाव ना हो।
B (Breathing) – सांस की जांच
अपने कान घायल व्यक्ति के मुंह के पास ले जाकर सुनें, देखें और महसूस करें। छाती ध्यान से देखें, ऊपर-नीचे हो रही है या नहीं। वह सांस नहीं ले रहा है तो घायल को पीठ के बल सीधा लेटा कर मुंह खोल कर अपने मुंह से हवा दें।
C (Circulation)- खून प्रवाह की जांच
सांस ठीक होने पर खून बहने की जांच करें। घायल की नाड़ी देखें। इसके लिए कैरोटिड आर्टरी ढूंढें। यह गर्दन के कोने में कान के नीचे होती है। अपनी उंगलियों को वहां रख कर जांच कर सकते हैं। इसमें 5-10 सेकंड लगते है। दिल की धड़कन चल रही हो तो मुंह से सांस देना चालू रखें। दिल की धड़कन बंद हो तो बिना देरी कार्डियोपल्मोनरी रिसेसुटेशन (सीपीआर) चालू करें। इस बीच मुंह से सांस देते रहें। सीपीआर में एक बार मुंह से हवा देने के बाद मरीज के दिल के ऊपर एक हाथ के ऊपर दूसरा हाथ रख कर जोर-जोर से चार बार दबाएं। जब तक घायल अपने आप सांस नहीं लेता। यह काम दो व्यक्ति होने पर बेहतर ढंग से होता है। एक व्यक्ति मुंह से सांस देता है, दूसरा सीने को दबाता है।

खुद को इंफेक्शन से बचाएं
फर्स्ट एड में आपको इसका पूरा ध्यान रखना चाहिए कि आपको घायल से कोई इंफेक्शन ना हो। साथ ही आपसे भी किसी प्रकार का इंफेक्शन घायल को ना हो। इसीलिए अच्छे से हाथ धोएं और दस्ताने का उपयोग करें।

कैसी हो फर्स्ट एड किट 
मुंह के लिए मास्क। चेहरे के लिए शील्ड। ब्लड प्रेशर कफ। स्टेथोस्कोप। इमरजेंसी फोन नंबर। स्पिरिट या अल्कोहल। बैंड ऐड। रुई। रुई के स्वब। आयोडीन लोशन। बैंडेज। हाइड्रोजन पेरोक्साइड। चिपकाने वाली पट्टियां। स्टिकलिंग प्लास्टर। मोलस्किन (छाले के उपचार के लिए)। ड्रेसिंग की सामग्री। आंख के लिए पैड। टेफलोन लेयर वाला पैड। रोलर बैंडेज (घाव जल्द से जल्द सोखने में मददगार)। इलास्टिक बैंडेज। जलरोधक बैंडेज। टूनिकेट (खून का बहाव रोकने के लिए)। सेलाइन। साबुन। ठन्डे जेल पैक। कैंची।
जरूरी दवाएं 
दर्द दूर करने वाली दवाएं। दिल का दौरा पडऩे पर आराम के लिए दवाइयां। कुछ एंटीबायोटिक ऑइंटमेंट। घाव साफ करने के लिए एंटीबैक्टीरियल लोशन। अस्थमा के रोगियों के लिए दवाएं। दस्त रोकने की दवा। उल्टी के लिए दवाएं।

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क्या करें ऐसे हालात में
दम घुटने पर: पानी में डूबने, फांसी लगने या सांस नली में कोई बाहरी चीज अटकने पर पीडि़त का दम घुटने लगता है। ऐसे में डूबे व्यक्ति को एबीसी नियम से सांस दें। गीले कपड़े उतार दें। फंासी लगाए व्यक्ति के नीचे के अंगों को पकड़कर तुरंत शरीर उठा दें, ताकि रस्सी का कसाव कम हो जाए। रस्सी काटकर गला छुड़ा दें। फिर मुंह से सांस दें। गला घुटने की हालत में पीठ पर स्कैपुला के बीच जोर से मुक्का मारें, फिर गले में उंगली डालकर उसे निकालने कोशिश करें। विषैली गैसों से दम घुटने पर दरवाजे, खिड़कियां, रोशनदान आदि खोल दें। पीडि़त को सांस से ऑक्सीजन देने की कोशिश करें।
हार्ट अटैक: दिल के दौरे की शुरुआत के पहले घंटे को चिकित्सकीय भाषा में “गोल्डन ऑवर” माना जाता है। उस दौरान इलाज शुरू हो जाए तो बहुत कारगर होता है। मरीज को चैन से लिटा दें और उसे एस्प्रीन की टेबलेट चूसने को दें। एस्प्रिन से एलर्जी हो तो न दें। तुरंत एंबुलेंस बुलाएं। किट में अच्छे अस्पतालों के नंबर रखें। दौरा बेहद अचानक हो और कार्डियो पल्मोनेरी के लक्षण हों, जहां दिल की धड़कन बंद होने लगती है तो सीने को दबाएं और सांस चालू करने की कोशिश करें। मरीज का तकिया हटा दें और ठोड़ी पकड़ कर ऊपर उठा दें। इससे सांस नली का अवरोध कम हो सकेगा। यदि आप सीपीआर की विधि ठीक से नहीं भी जानते तो भी यह कर सकते हैं। सही ढंग से नहीं की गई प्रक्रिया कुछ भी न करने से बेहतर है। मरीज को कमर के बल लिटा दें। हथेलियों को मरीज के सीने के बीचों-बीच रखें। हथेली को नीचे दबाएं ताकि सीना एक से लेकर आधा इंच चिपक जाए। प्रति मिनट सौ बार ऐसा करें और तब तक करते रहें जब तक सहायता नहीं आ जाती। 
हीट स्ट्रोक का प्राथमिक उपचार: अत्यधिक गर्मी और शरीर में पानी की कमी से हीट स्ट्रोक का खतरा रहता है। ऐसी स्थिति में रोगी को जल्द शांत और हवादार जगह पर ले जाएं। बर्फ की पट्टी सिर पर रखें। हाथ पैर की मालिश करें। प्यास बुझाने के लिए नींबू का रस, मिट्टी के घड़े अथवा सुराही का पानी दें। बर्फ का पानी न पिलाएं। इससे हानि हो सकती है। जल्द से जल्द डॉक्टरी मदद या सलाह लें।
खून बहना: सबसे पहले खून बहना रोकें। चोट की जगह किसी कपड़े, रुई की मदद से जोर से दबा कर रखें। ताकि खून बहना बंद हो। घाव साफ करें। साबुन या गुनगुने पानी से धोएं। घाव में हाइड्रोजन पेरोक्साइड ना डालें। एंटीबायोटिक मरहम लगाएं और बैंडेज बांध दें। आगे इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल ले जाएं।
जलने पर: फर्स्ट और सेकंड डिग्री बर्न में जली जगह को 5 मिनट पानी में डुबा कर ठंडा कीजिए। इससे सूजन और जलन कम होगी। अलोवेरा क्रीम या एंटीबायोटिक ऑइंटमेंट लगाएं। हल्के बैंडेज बांधें। दर्द कम करने वाली दवाएं दें। डॉक्टर से संपर्क करें।
थर्ड डिग्री बर्न में जितनी जल्दी हो मरीज को अस्पताल ले जाएं। शरीर या कपड़ा ना छुएं। वे घाव में चिपक सकते हैं। घाव में पानी ना लगाएं। किसी प्रकार का ऑइंटमेंट ना लगाएं।
मोच या हड्डी टूटना: चोट की जगह छूने-हिलाने पर दर्द हो, जगह पर सूजन होना या नीला पडऩा, पैर काम ना दे, उठाने में दिक्कत हो, यह हड्डी टूटने के लक्षण हैं। अगर पीडि़त बेहोश है, तो पहले एबीसी नियम फॉलो करें। कहीं खून निकल रहा हो तो पहले ब्लीडिंग बंद करने की कोशिश करें। घायल सदमे में है तो पहले उसे सांत्वना दें। हड्डी सीधी कर नीचे एक गत्ते या लकड़ी का तख्ता देकर मजबूती से बैंडेज बांध दें। चोट की जगह पर प्लास्टिक बैग में बर्फ रखकर दबाएं। जल्द से जल्द मरीज को अस्पताल पहुंचाएं।
करंट लगने पर: इलेक्ट्रिक शॉक जानलेवा हो सकता है। ऐसी स्थिति में सबसे पहले बिजली का स्रोत बंद करें। यह संभव न हो तो किसी सूखी लकड़ी, प्लास्टिक या कार्ड बोर्ड से बिजली के स्रोत से घायल को दूर कर दें। पीडि़त होश में ना हो तो एबीसी रूल फॉलो करें। चोट पर बैंडेज लगाएं। जले स्थानों को साफ कपड़े से ढंक दें। जल्द नजदीकी अस्पताल पहुंचाएं।
सांप के काटने पर: कई सांप जहरीले नहीं होते। घाव साफ करने और दवाई लगाने से यह ठीक हो जाता है। जहरीले सांप के काटने पर जल्द फस्र्ट एड जरूरी है। सांप के काटने से त्वचा पर दो लाल बिंदु जैसे निशान आते हैं। सांप के काटने पर सही एंटी-टोक्सिन या सांप का सीरम चुनने के लिए सांप की पहचान बेहद जरूरी है।
लक्षण: सांप के काटने का निशान। दर्द या सुन्न होना। लाल निशान। काटे स्थान पर गर्म लगना और सूजन आना। आंखों में धुंधलापन। सांस और बात करने में मुश्किल। लार बाहर निकलना। बेहोश या कोमा में चले जाना।
क्या करें: पेशेंट को आराम दें। शांति व आश्वासन दें। काटे स्थान को पानी में अच्छे से धोएं। काटे हुए स्थान को हमेशा दिल से नीचे रखें। काटे स्थान और आस-पास बर्फ पैक लगाएं ताकि जहर फैलना कम हो। मरीज को सोने न दें। हर पल नजर रखें। होश ना आने पर एबीसी नियम अपनाएं। जल्दी अस्पताल पहुंचाएं।
जानवर के काटने पर: कुत्ते के मुंह में 60 से ज्यादा बैक्टीरिया और वायरस होते हैं। इनमें से कुछ बेहद खतरनाक होते हैं। बिल्ली बंदर, घोड़े के काटने पर भी इंफेक्शन होने का खतरा होता है। घाव साबुन और पानी से 5-10 मिनट धोएं। धोते समय ज्यादा ना रगड़ें। थोड़ा-सा खून बहने दें। इससे इंफेक्शन साफ हो जाता है। तुरंत अस्पताल जा कर एंटी-रैबीज वैक्सीन लगवाएं।
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75 प्रतिशत लोग जिंदगी में कभी न कभी आपातकालीन हालात से गुजरे हैं, दुनिया भर में
38 प्रतिशत लोगों ने किसी को प्राथमिक उपचार दिया है
78 प्रतिशत भारतीय नहीं जानते कि आपात स्थिति में कैसे करें प्राथमिक उपचार
88 प्रतिशत कार्डिक अरेस्ट घर पर आते हैं, जिनमें प्राथमिक चिकित्सा कारगर होती है
1.5 लाख लोग हर साल प्राथमिक उपचार की कमी के कारण जान गंवा देते हैं दुनिया भर में
2 लाख सालाना प्राथमिक उपचार न मिलने के कारण जान जोखिम में पडऩे के मामले सामने आते हैं
56 प्रतिशत चोट प्राथमिक उपचार न मिलने के कारण जानलेवा हो जाती हैं
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स्रोत: रूटलैंड फस्र्टएड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, रेडक्रास और इंडियन मेडिकल हब।
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