अर्नाल्ड डेनियल पामेर: आम लोगों के हाथों में थमा दी गोल्फ स्टिक

27 सितंबर 2016 को राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित

सचिन श्रीवास्तव 
गोल्फ को आमतौर पर अमीर और आराम तलब लोगों का खेल माना जाता है। बीती सदी के पांचवे दशक के पहले तक दुनियाभर में गोल्फ एक ऐसा खेल था, जो मुट्ठी भर अमीरों की ऐशगाहों का हिस्सा हुआ करता था। इन हालात को बदलने में एक शख्स का योगदान सबसे ज्यादा है। वह हैं गोल्फ के किंग कहे जाने वाले अर्नाल्ड पामेर। सोमवार को 87 वर्षीय पामेर नहीं रहे। 50 और 60 के दशक में गोल्फ ने पामेर को वैश्विक पहचान दी। बाद के सालों में उन्होंने आम जनता के बीच इस खेल को लोकप्रिय बनाने की कामयाब कोशिश को अंजाम दिया।

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अर्नाल्ड डेनियल पामेर
जन्म: 10 सितंबर 1929
निधन: 25 सितंबर 2016
1954 से 2006 के बीच 95 टूर्नामेंटों में जीत हासिल की। 62 पीजीए टूर में हिस्सेदारी। उनके नाम पर होने वाला अर्नाल्ड पामेर कप गोल्फ के प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में शुमार। अर्नाल्ड के नाम पर एक ड्रिंक भी है।

पोलियोग्रस्त पिता लाए गोल्फ क्लब तक
अर्नाल्ड के पिता मिलफ्रेड जेरोम पामेर बचपन में पोलियो का शिकार हो गए थे। वे खुद गोल्फ के अच्छे खिलाड़ी थे और उन्होंने ही बचपन में अर्नाल्ड को इस खेल की बारीकियों से अवगत कराया।

पिता थे अर्नाल्ड के प्रति सख्त
स्कूली पढ़ाई में अर्नाल्ड बहुत अच्छे नहीं थे, जबकि उनकी बहन लुईस जीन टिली पढ़ाई में काफी बेहतर थीं। बहन से तुलना के कारण अर्नाल्ड को अक्सर डांट पढ़ती थी और पिता उनके प्रति काफी सख्त थे। अर्नाल्ड इस सख्ती के कारण अपने पिता को डेक कहते थे।

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आम परिवार से गोल्फ स्टार तक
अर्नाल्ड का परिवार मध्यवर्गीय था। उन्होंने मध्यवर्गीय परिवार की मुश्किलों को झेला था। यही वजह थी कि उन्होंने ख्याति अर्जित करने के बाद इस खेल को आम लोगों में लोकप्रिय बनाने के लिए जीतोड़ मेहनत की। अर्नाल्ड के पिता मिल मजदूर थे। जब तक अर्नाल्ड को लोकप्रियता नहीं मिली थी, तब तक परिवार आर्थिक तंगी से जूझता रहा था।