बहस : संभव है कि खुद ब खुद घटे मोटापा?

सचिन श्रीवास्तव
दुनिया की एक बड़ी समस्या मोटापे पर इन दिनों हमारे देश में भी बहस चल रही है। वजह दो हैं। पहली, दुनिया की सबसे ज्यादा वजनी महिला का इलाज भारत में हो रहा है। इससे मोटापे की समस्या पर बातचीत शुरू हुई। इस बीच ट्विटर पर एक पोस्ट के जरिये मध्यप्रदेश पुलिस के नीमच में पदस्थ इंस्पेक्टर दौलतराम जोगावत चर्चा में आए और बहस शुरू हुई। बहरहाल, दुनिया की सबसे वजनी महिला इमाम का इलाज कर रहे डॉ. लकड़ावाला ने 180 किलो वजन वाले दौलतराम का इलाज का जिम्मा लिया है। असल में, दुनिया के एक तिहाई लोग मोटापे के शिकार हैं। खास कर पुरुष इससे ज्यादा पीडि़त हैं। मोटापे का इलाज बेहद पेचीदा और लंबा होता है। लेकिन नए शोधों के जरिये वैज्ञानिक मानव शरीर की चर्बी को खुद ब खुद पिघलाने की तैयारी कर रहे हैं।

मोटापा है क्या?
मोटापा या ओबेसिटी वह स्थिति है, जब शरीर में ज्यादा
वसा इकट्ठा हो जाता है। इसकी वजह कई हो सकती हैं और ज्यादातर मामलों में इसमें पीडि़त का कोई दोष नहीं होता है।

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एक तरीका सब पर नहीं कारगर
जर्मनी के बॉन में इंस्टीट्यूट फॉर फार्मोकॉलोजी एंड टॉक्सिकोलॉजी में कुछ वैज्ञानिक इस सवाल का जवाब तलाश रहे हैं कि शरीर से गैरजरूरी वसा कैसे हटाया जाए। असल में, सभी इंसानों में चर्बी का स्वरूप एक जैसा नहीं होता है, इसलिए कोई एक तरीका सभी के लिए कारगर नहीं हो सकता।

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दो तरह की कोशिकाएं
चर्बी में पाई जाने वाली कोशिकाएं दो तरह की होती हैं। भूरी और सफेद। सफेद कोशिकाएं शरीर में ऊर्जा बचा कर रखती हैं, वहीं भूरी ऊर्जा खर्च करती हैं। यानी एक तरह से यह हमारे शरीर में मौजूद भट्टी की तरह हैं।

कैसे बढ़ती है परेशानी
हमारे पेट और टांगों पर मौजूद चर्बी सफेद कोशिकाओं से मिल कर बनती है। इनका आकार बहुत ज्यादा होता है। हमारा शरीर अतिरिक्त ऊर्जा, जिसकी रोजमर्रा के काम में जरूरत नहीं होती, उसे पेट और टांगों में चर्बी के रूप में समेट लेता है। हमारे शरीर का बीस फीसदी भार यही चर्बी बनाती है। इसकी मात्रा बढऩा बीमारी का सूचक है। इससे डायबिटीज हो सकती है, हार्टअटैक आ सकता है, कई मामलों में कैंसर का भी खतरा होता है।

चूहों पर हो चुका है सफल परीक्षण
भूरी कोशिकाओं के जरिये चर्बी या वसा जलाने की प्रक्रिया का परीक्षण चूहों पर सफल रहा है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि शरीर के कौन से अणु भूरी वसा को सक्रिय करते हैं। यह एडिनोसिन नाम का अणु है। वैज्ञानिकों ने चूहों में एडिनोसिन के रिसेप्टर को नष्ट किया। पाया गया कि जिन चूहों में ये रिसेप्टर नहीं थे, वे ठंडे थे। जिसमें रिसेप्टर है, और सामान्य मात्रा में एडिनोसिन है, वह आराम से भूरी वसा सक्रिय कर सकता है।

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चर्बी में बदलाव
भूरी चर्बी की तरह ही सफेद चर्बी को नही जलाया जा सकता है। सफेद चर्बी इस तरह से सक्रिय नहीं हो पाती, क्योंकि उसमें एडिनोसिन रिसेप्टर नहीं होते। हां यदि इनमें भूरी कोशिकाओं के गुण ट्रांसफर करें, तो यह संभव है। वैज्ञानिक इस दिशा में काम कर रहे हैं।

कुछ अन्य तरीके मोटापे से निजात के
दौड़:
हर रोज 15 मिनट की दौड़ से रोजाना 160 कैलोरी कम होती है। यानी पूरे साल में सिर्फ 15 मिनट दौडऩे से आठ किलो वजन घटाया जा सकता है।
सिर्फ दौड़ें: ख्याल यह रखें कि दौड़ लगाते वक्त ध्यान न भटके। फोन और दूसरी चीजों पर ध्यान भटकाना नहीं चाहिए। दौड़ें तो दम लगा कर दौड़ें, तेज दौड़ें।
खाने का ख्याल: बेध्यानी में अनाप शनाप खाना शरीर पर भारी पड़ता है। सब्जी और फल खूब खाएं। सॉफ्ट ड्रिंक से दूरी बनाएं। मिठाई भी बदन की दुश्मन है।
पानी और मस्ती: पानी के भीतर आपने भार कम महसूस किया होगा। इस वजह से आपको बाद में भी वजन कम करने की प्रेरणा मिलती है। यानी तैरने का मजा भी और फायदा भी। साथ ही पानी खूब पीजिए। एक दिन में कम से कम 10 ग्लास यानी 3 लीटर पानी सेहत के लिए अच्छा है।