शुरू होगा ईरान-पाकिस्तान-इंडिया पाइपलाइन पर काम!

सचिन श्रीवास्तव
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस पर संसद की स्थायी समिति ने संसद में अपनी रिपोर्ट में कहा, सरकार को ईरान-पाकिस्तान-इंडिया (आईपीआई) गैस पाइपलाइन परियोजना पटरी पर लाने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि ईरान पर प्रतिबंध हटने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्थिति अब अनुकूल हो गई है।
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2008 में ईरान पर अमरीकी के प्रतिबंध के बाद भारत ने लगभग छोड़ दिया था पाइपलाइन का विचार
06 करोड़ घन मीटर प्रतिदिन है ईरान के दक्षिण फारस गैस फील्ड से आने वाली इस पाइपलाइन की क्षमता
2,135 किलोमीटर है भारतीय सीमा में बाड़मेर तक पाइपलाइन की लंबाई
1,100 किलोमीटर हिस्सा ईरान के भीतर और बाकी पाकिस्तान में है
07 अरब डॉलर (करीब 476 अरब रुपए) का खर्च आने का अनुमान है इस परियोजना पर
2008 के बाद से आईपीआई परियोजना में मामूली प्रगति भी नहीं हुई 

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बेहद अहमदेश प्राकृतिक गैस की अपनी करीब आधी जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है।

तापी परियोजना को दी तरजीहआईपीआई के खटास में पडऩे के बाद भारत ने तापी परियोजना को तवज्जो दी
यह तुर्केमिनिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत (टीएपीआई) से गुजरती है
85 प्रतिशत हिस्सेदारी इसमें तुर्केमिनिस्तान की है
05-05 प्रतिशत हिस्सेदारी भारत, अफगानिस्तान और पाकिस्तान की
07 साल लगेंगे तापी परियोजना के पूरा होने में