उदारीकरण का असर : दलित, आदिवासी और मुसलमान सार्वजनिक सेवाओं की पहुंच से बाहर

सचिन श्रीवास्तवसेंटर ऑफ इक्विटी स्टडीज (सीईएस) की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में दलित, आदिवासी और मुसलमानों के साथ दिव्यांग सार्वजनिक सेवाओं की पहुंच से लगातार बाहर हैं।
स्रोत: इंडियन एक्सक्लूजन रिपोर्ट 2016
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04 सार्वजनिक सेवाओं का अध्ययन
रिपोर्ट में चार सार्वजनिक सेवाओं वृद्धावस्था पेंशन, डिजिटल तकनीक तक पहुंच, खेती योग्य जमीन और न्याय को किया गया है शामिल।
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अपनी जमीन नहीं 
57.3 प्रतिशत दलितों के पास नहीं है अपनी जमीन
52.6 प्रतिशत मुसलमान भी जमीन के मालिक नहीं
40.5 प्रतिशत हिंदू परिवारों के पास नहीं है अपनी जमीन
40 फीसदी आदिवासियों को विस्थापित होना पड़ा है विकास संबंधी परियोजनाओं की वजह से
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महिलाएं जमीन से बेदखल
जिन परिवारों के पास जमीन नहीं है, उनमें ऐसे परिवारों की संख्या ज्यादा है, जिनकी प्रमुख महिलाएं हैं।
56.8 प्रतिशत परिवारों के पास जमीन नहीं है, जिनकी मुखिया महिला है
39.5 प्रतिशत है पुरुष मुखिया वाले ऐसे परिवारों की संख्या
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विकास से दूर गरीब 
1990 के बाद तीन गुना तेज हो गई है विकास दर
0.65 प्रतिशत की दर से ही कम हुई गरीबी उदारीकरण के बाद
0.94 प्रतिशत की दर से कम हुई 1981 से 1990 के बीच गरीबी

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