उम्मीद रखें, सब ठीक हो जाएगा और जिंदगी मुस्कुराएगी एक दिन!

उम्मीद रखें, सब ठीक हो जाएगा और जिंदगी मुस्कुराएगी एक दिन!

शोएब खान

लॉकडाउन लगने के बाद हमारी ज़िंदगी उस गाड़ी की तरह हो गई है, जिसके टायर में हवा नहीं है। चाह के भी उस गाड़ी को नहीं चला सकते हैं, क्योंकि हवा भरने के लिए पैसे नहीं हैं। बिना हवा के गाड़ी चलाएंगे तो वो पंचर हो जाएगी। पिछले साल लॉकडाउन दो

 महीने का था। पर उस लॉकडाउन से निकलते-निकलते लोगों को साल भर लग गया। जब लगा अब सब ठीक हो गया है, तभी खबर मिलती है कि नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है। रात 10 बजे से सब बंद हो जाया करेगा।

फिर भी कहीं न कहीं तसल्ली थी। ठीक है। रात का ही तो कर्फ्यू लगा है। फिर संडे और आगे चल कर हफ्ते में दो दिन का लॉकडाउन लग गया। हमारे यहां कई लोग ऐसे हैं जो रात में दुकान लगाते हैं, क्योंकि उनकी रात में ही दुकान चलती है। मजदूर वर्ग के लोग रोज़ कमाते हैं, तब जाके रात में उनके घर खाना बनता है। और भी बहुत से ऐसे लोग हैं, जो रोज़ कमाते और खाते हैं।

यह भी पढ़ें:  Shaheen Bagh Movement: Deepening Democracy-Uniting India

फिर से लॉकडाउन लगने से लोगों को आर्थिक और मानसिक स्थिति से गुजारना पड़ रहा है। हालत बुरे हो गए हैं। न लोगों को रोजगार मिल रहा है, न मरीजों को इलाज। जैसे-तैसे कर के लोग घर चालने के लिए सब्जी और फल-फ्रूट बेच रहे थे। वहां भी सरकार के बनाए नियम बीच में आ गए और उन्हें दुकान लगाने से मना कर दिया। बिना मास्क के मिले तो चालान कटेगा। गरीबों को तो हर तरफ से खतरा है। उनका क्या हाल होगा, जिसके घर में बीमार व्यक्ति हैं और घर के हालात भी ठीक नहीं हैं। बीमारी से तो वो लड़ लेंगे पर गरीबी और बेरोजगारी से कैसे लड़ेंगे। शिक्षा भी एक बहुत बड़ा मुद्दा है।

एक साल हो गए हैं स्कूल बंद हुए। सभी की पढ़ाई का नुकसान हुआ। ऑनलाइन पढ़ाई भी बच्चों को ज़्यादा समझ में नहीं आ रही है। जिन बच्चों के पास मोबाईल नहीं है, उन्हें ज़्यादा परेशानी हो रही है। 10वीं और 12वीं क्लास के विद्यार्थी से स्कूल और अलग-अलग जगह से जानकारी दी जाती है। आपके पेपर ऑफ लाइन होंगे, या कभी कहते हैं ऑनलाइन होंगे। सही समय भी नहीं बताते पेपर कब होंगे, जिसकी वजह से विद्यार्थियों को टेंशन होती है। वह सही तरीके से पढ़ भी नहीं पाते हैं। उन्हें डर रहता है, कहीं वो फेल न हो जाएं। नहीं तो उनका एक साल बर्बाद हो जाएगा। पढ़ाई करने के बाद क्या उन्हें काम मिलेगा।

यह भी पढ़ें:  Mazdoor Sahyog Kendra - Baccha Kits for Shramik Trains

आज हमारे देश में बेरोजगारी इतनी बढ़ गई है कि लोगों को काम नहीं मिल रहा है। जो मेहनत करके इतना पढ़ते हैं, क्या उन्हें नौकरी मिलेगी? कब तक सब को ये सहना होगा। क्या हमेशा यूं ही चलता रहेगा या आगे जाकर कोई हल भी निकलेगा। बस कर सकते हैं तो इंतज़ार सब ठीक होने का।