Bhopal Farmers Protest

Bhopal Farmers Protest: संयुक्त किसान मोर्चा ने की किसानों की गिरफ्तारी की निंदा

सीपीआई, सीपीएम, किसान सभा, एसयूसीआई कम्युनिस्ट, आल इंडिया किसान खेत-मजदूर संगठन समेत कई संगठनों ने गिरफ्तारियों को बताया सरकार की हताशा

भोपाल। किसान सत्याग्रह (Bhopal Farmers Protest) में शामिल होने आए किसान नेताओं की गिरफ्तारी और 22 दिसंबर की शाम नेताओं को हिरासत में लेने की मध्य प्रदेश के संयुक्त किसान मोर्चा ने निंदा की है और इसे गैर लोकतांत्रिक करार दिया है।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के सदस्य और पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने इन गिरफ्तारियों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि किसान आंदोलन जारी रहेगा। मध्यप्रदेश सरकार की गलत फहमी है कि वह किसान आंदोलन को कुचल सकती है। मध्यप्रदेश का किसान आंदोलन मुलताई में 24 किसान शहीद होने और मंदसौर में 6 किसान शहीद होने के बाद जब सरकारों द्वारा नहीं कुचला जा सका, तब गिरफ्तारी से किसान डर जाएगा यह सोचना सरकार की तानाशाही पूर्ण अलोकतांत्रिक और खोखली सोच का परिचायक है।

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गौरतलब है कि 23 दिसंबर से भोपाल के नीलम पार्क में किसान आंदोलन के समर्थन में किसान सत्याग्रह का आयोजन किया जा रहा था। इसमें अनिश्चितकालीन धरना दिया जाना था। इस कार्यक्रम के पहले ही 22 दिसंबर को देर रात आंदोलन के तीन अहम नेताओं इरफान जाफरी, बाबू भाई और विजय कुमार को भानपुरा के करीब हिरासत में लिया गया और फिर उन्हें पुलिस कंट्रोल रूम भेज दिया गया। इन तीनों को पूरी रात पुलिस कंट्रोल रूम में बैठाये रखा गया। हालांकि नीलम पार्क से गिरफ्तार किए गए नेताओं को बाद में जेल के बाहर छोड़ दिया गया। जबकि हिरासत में​ लिए गए तीनों नेताओं को शाम 5 बजे तक छोड़ने की बात की जा रही है।

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संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से प्रदेश के तमाम जनवाद पसंद लोगों से अपील की गई है कि कृषि विरोधी इन काले कानूनों के खिलाफ जन आंदोलन को मजबूत बनाने का हर संभव प्रयास करें।

संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से बयान जारी कर कहा गया कि आज भोपाल के नीलम पार्क में विभिन्न किसान संगठनों का संयुक्त मंच, संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वाधान में किसान सत्याग्रह का आह्वान किया गया था। यह सत्याग्रह सरकार की ओर से लाए गए कृषि विरोधी तीन काले कानूनों के खिलाफ और दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में किया जाना था। इसका स्वरूप पूरी तरह से लोकतांत्रिक और शांतिपूर्वक था।

बताया गया कि राज्य के अलग-अलग जिलों से बड़ी संख्या में किसान इस सत्याग्रह में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे, लेकिन अत्यंत दुखद है कि मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने अपने दमनकारी रुख अपनाते हुए इस शांतिपूर्वक धरने को पूरी तरह से खत्म करने का काम किया। कार्यक्रम से एक दिन पूर्व ही अत्यंत गैरलोकतांत्रिक ढंग से तीन अहम नेताओं को जिसमें इरफान जाफरी, बाबू भाई और विजय कुमार शामिल है, को बिना किसी कारण के पुलिस द्वारा हिरासत में ले लिया गया।

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किसान नेताओं ने कहा कि आज सुबह से हीं जब विभिन्न जिलों से किसान साथी धरने स्थल पर पहुंचे तो उन्हें वहां एकत्रित नहीं होने दिया गया व नीलम पार्क को पुलिस द्वारा पूरी तरीके से सील कर भारी पुलिस बल की तैनाती कर दी गई। साथ ही इस दमनकारी रुख के खिलाफ किसान नेता जब मीडिया से रूबरू हो रहे थे तब भी पुलिस ने इसे नहीं करने दिया और तमाम नेताओं को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया।

गिरफ्तार किए गए नेताओं में आल इंडिया खेत-मजदूर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष उमाप्रसाद, किसान नेता नरेंद्र जायसवाल, मुदित भटनागर एंव अखिल भारतीय किसान सभा के राज्य महासचिव प्रहलाद वैरागी, कृषक जागृति संगठन के राजेन्द्र जी रज्जू भैया शामिल थे।

भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया कम्युनिस्ट, आल इंडिया किसान खेत-मजदूर संगठन, अखिल भारतीय किसान सभा समेत कई अन्य प्रगतिशील लोकतांत्रिक और जनवादी संगठनों ने इन गिरफ्तारियों और दमनात्मक कार्रवाई की निंदा की है।

साथ ही सरकार से यह मांग की गई है कि गिरफ्तार किए गए तमाम साथियों को जल्द से जल्द रिहा करें।