शहरी गूगल को गांवों से टक्कर देगा फेसबुक

26 अगस्त 2016 को राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित

सचिन श्रीवास्तव
गूगल फिलहाल देश के 21 शहरी स्टेशनों पर फ्री वाईफाई सेवा दे रहा है। भारतीय रेल और गूगल के बीच हुए करार के मुताबिक आने वाले दिनों में दुनिया की सबसे बड़ी सर्च इंजिन कंपनी देश के 100 स्टेशनों पर अपनी सेवा का विस्तार करेगी। भारतीय स्टेशनों पर गूगल के एकाधिकार को अब फेसबुक से चुनौती मिलेगी। फेसबुक छोटे स्टेशनों और उनके आसपास के गांवों में फ्री वाईफाई सेवा देगी।

भारतीय रेलवे के संचार विभाग रेलटेल ने फेसबुक की ओर से रेलवे स्टेशनों पर वाई-फाई की सुविधा देने की योजना की पुष्टि की है। लेकिन फेसबुक इस मसले पर चुप्पी साधे हुए है। बताया जाता है कि फेसबुक ने खुद वाई-फाई सुविधा देने के लिए रेलव से संपर्क किया था। इसके बाद भारतीय रेलवे ने फेसबुक से मिलकर रेलवे स्टेशनों के साथ आस-पास के गांवों में भी वाई-फाई पहुंचाने की योजना को अमली जामा पहनाना शुरू किया।

4,000 स्टेशनों पर वाई-फाई की सुविधा है भारत में
125 गांवों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत इंटरनेट पहुंचाया फेसबुक ने
21 स्टेशनों पर गूगल दे रहा है मुफ्त वाईफाई सेवा
20 लाख यूजर्स ने उठाया है गूगल की मुफ्त वाईफाई सेवा का लाभ
100 स्टेशनों पर डेटा इंटरनेट नेटवर्क देगी गूगल

स्टेशन के 10 किलोमीटर दूर तक नेटवर्क
फेसबुक के साथ भारतीय रेलवे की योजना स्टेशन परिसर के बाहर 10 किलोमीटर रेडियस में नेटवर्क देने की है। इसे बाद में बढ़ाकर 25 किलोमीटर भी किया जा सकता है।

क्यों है भारत में दिलचस्पी
भारत में फिलहाल इंटरनेट यूजर्स की संख्या 35 करोड़ से ज्यादा है, जो 2020 तक 73 करोड़ होने के आसार हैं। इस बड़ी आबादी तक रेलवे स्टेशनों के जरिये गूगल की पहुंच फेसबुक के लिए खतरे की घंटी है। फेसबुक भारतीय बाजार में अपनी पहुंच बढ़ाने और गूगल के एकाधिकार को कम करने के लिए ही ग्रामीण क्षेत्रों में पैठ बना रहा है।

ग्रामीण क्षेत्र ही क्यों?
ताजा आंकड़े बताते हैं कि भारत में इंटरनेट यूजर्स का इजाफा शहरी के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा है। छोटे स्टेशनों पर ट्रेनों के बीच अंतराल ज्यादा होता है और इन स्टेशनों, बड़े स्टेशनों पर यात्री ज्यादा देर तक ठहरते हैं। फेसबुक को इसका लाभ मिलेगा।

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कितना बड़ा है भारतीय बाजार
वेंचर कैपिटलिस्ट एंड एनालिस्ट मेरी मीकर्स की जून 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत इंटरनेट बाजार के मामले में अमरीका को पीछे छोड़कर दूसरे स्थान पर आ गया है। भारत में स्मार्टफोन की औसत कीमत 158 डॉलर (करीब 10 हजार 5 सौ रुपए) है। यह दुनिया में सबसे कम है। भारत में कुल इंटरनेट यूजर्स 35 करोड़ से ज्यादा हैं, जो चीन के बाद सबसे ज्यादा हैं।

फ्री सेवा से गूगल-फेसबुक को क्या फायदा
भारत के 94 प्रतिशत स्मार्टफोन पर एडब्लॉक करने वाले एप इंस्टॉल हैं। ऐसे में गूगल-फेसबुक या किसी भी अन्य टेक कंपनी के विज्ञापनों के जरिये पैसा कमाना आसन नहीं है। लेकिन रेलवे के साथ बतौर सेवा प्रदाता इन कंपनियों की पहुंच एक बड़े ग्राहक वर्ग तक होने वाली है। इस वर्ग पर उनका सीधा नियंत्रण भी होगा। अन्य कंपनियों और उत्पादों तक इस वर्ग तक पहुंचाने से गूगल-फेसबुक अपना मुनाफा कई गुना बढ़ा सकते हैं।

शहर और गांव की लड़ाई
भारत के शहरी इंटरनेट उपभोक्ताओं के मुकाबले ग्रामीण यूजर्स एक बड़ा बाजार हैं। शहरी उपभोक्ता के पास इंटरनेट सेवा के लिए कई ऑप्शन हैं। जबकि ग्रामीण उपभोक्ता के पास साधनों की कमी है। ऐसे में रेलवे स्टेशन के आसपास 10 किलोमीटर का दायरा आगे 15-20 किलोमीटर तक के लोगों को लुभाएगा। जाहिर है इससे फेसबुक की पहुंच का दायरा अनुमान से काफी बड़ा हो जाएगा।

21 करोड़ आबादी तक इंटरनेट पहुंचाएगा फेसबुक
रेलवे की हालिया योजना के अनुमान के मुताबिक, फेसबुक ग्रामीण भारत के 21 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स तक इंटरनेट पहुंचाएगा। इसमें तीसरे और चौथी श्रेणी के शहर भी शामिल हैं। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि यह आंकड़ा कहीं ज्यादा हो सकता है।

गूगल-फेसबुक वार साल-दर-साल
2011: गूगल और फेसबुक के बीच सीधी लड़ाई की शुरुआत इसी साल शुरू हुई। ऑरकुट की घटती लोकप्रियता के बीच जून 2011 में गूगल+ लॉन्च हुआ, जो फेसबुक की सोशल नेटवर्किंग को सीधी चुनौती थी। यही वह साल था फेसबुक के पेज व्यूज एक ट्रिलियन प्रति माह को पार गए थे।
2012: मई 2012 में फेसबुक शेयर बाजार में लिस्टेड हुई। इसका शुरुआती वेल्यूशन 104 बिलियन डॉलर का था, जो कि एक रिकॉर्ड शुरुआत थी। इसी साल फेसबुक फॉर्चून 500 की सूची में शामिल हुई। गूगल की 14 साल की बादशाहत खतरे में थी। कंपनी के एंड्रायल को लगातार चुनौती मिल रही थी। एपल और माइक्रोसॉफ्ट ने इस पर केस भी किए। साल के अंत में मोटोरोला की बिक्री गूगल के लिए बड़ा झटका थी।
2013: गूगल ने आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस कंपनी डीपमाइंड का अधिग्रहण किया। यह फेसबुक के लिए बड़ी चुनौती था। जवाब में फेसबुक ने ग्राफ सर्च जैसे कई नए ऑप्शन शुरू किए और यूजर्स होमपेज में बड़े बदलाव किए।
2014: दस साल पूरे किए फेसबुक ने। कुल यूजर्स 1.23 अरब हो गए। इसी साल गूगल और फेसबुक के बीच स्मार्टफोन यूजर्स को खींचने की कवायद शुरू हुई। दोनों ने अपने नए स्मार्टफोन होमपेज लॉन्च किए। इसमें गूगल ने बाजी मारी।
2015: फेसबुक की अल्गोरिदम में दिक्कतें शुरू हुईं। यहां लगातार गलत खबरें आने की शिकायत मिलने लगी। गूगल ने अपनी मुख्य ताकत न्यूज फीड को ज्यादा बेहतर बनाया। हालांकि अल्गोरिदम में उसके साथ भी दिक्कतें आईं। फेसबुक के खबर चैनल को यूजर्स ने नकार दिया।
2016: सोशल फोरम के तौर पर फेसबुक ने अन्य सभी को पछाड़ दिया, लेकिन ट्विटर से करीबी मुकाबला। गूगल का ट्विटर से करार। ताजा ट्वीट गूगल सर्च में शामिल। फेसबुक पर प्राइवेसी लीक को लेकर सवालिया निशान। इसके अलावा निगेटिव पोस्टों के मामले में भी दिक्कतें शुरू। गूगल का दायरा बड़ा। यूरोप, अफ्रीका समेत एशियाई सरकारों के साथ करार। फेसबुक की नजर एशियाई बाजार पर।

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