पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक के पांच सूत्रधार
30 सितंबर 2016 को राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित |
सचिन श्रीवास्तव
मनोहर पर्रिकर, रक्षा मंत्री
जन्म: 13 दिसंबर 1955
आईआईटी-बॉम्बे से इंजीनियरिंग में स्नातक। आईआईटी के पहले छात्र जो मुख्यमंत्री बने।
आईआईटी के बाद बिजनेस के साथ आरएसएस में स्थानीय संघचालक रहे। राष्ट्रीयता, सामाजिक जिम्मेदारी और अनुशासन के लिए संघ की भूमिका स्वीकार करते हैं। 1994 में पहली बार भाजपा के टिकट पर विधायक बने। अक्टूबर 2000 में पहली बार गोवा के मुख्यमंत्री बने। पत्नी मेधा का 2001 में कैंसर से निधन। एक बेटा इलेक्ट्रिकल इंजीनियर, दूसरे का गोवा में बिजनेस।
खासियत: विरोधियों का नजरिया भांपने में माहिर। शांत। भीतरी हलचल चेहरे से जाहिर नहीं होने देते।
कल हमारे जवानों ने 5 लोगों (आतंकियों) को वापस भेज दिया। पाकिस्तान में जाना और नर्क में जाना एक ही है।
(अगस्त 2016 में एक सैन्य अभियान के बाद का बयान)
दलबीर सिंह सुहाग, सेना प्रमुख
जन्म: 28 दिसंबर 1954
तत्कालीन पूर्वी पंजाब में जन्म। चित्तौडग़ढ़ से शुरुआती शिक्षा। 1970 में एनडीए मेे दाखिला।
सेना में अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं। पिता सूबेदार मेजर रहे। एनडीए के बाद स्ट्रेटेजिक स्टडी के लिए हवाई और नैरोबी गए। पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह से विवाद रहा। कारगिल युद्ध में अदम्य शौर्य के लिए अति विशिष्ट सेवा मेडल के अलावा अन्य मोर्चों पर परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित। मध्यवर्गीय परिवार की विरासत।
खासियत: उच्च नैतिक मूल्यों के समर्थक। धैर्य और जमीनी हकीकत के आधार पर निर्णय लेने के लिए मशहूर।
पाकिस्तान परमाणु हथियारों का बचकाना इस्तेमाल कर सकता है लेकिन हमारी नीति स्पष्ट है। हम पहले ये हथियार इस्तेमाल नहीं करेंगे। (अप्रैल 2016 में “शत्रुजीत” के दौरान)
अजीत डोभाल, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
जन्म: 20 जनवरी 1945
मई 2014 में प्रधानमंत्री के रक्षा सलाहकार बने। खुफिया विभाग में काम का लंबा अनुभव।
उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाले डोभाल के पिता भारतीय सेना में सेवा दे चुके हैं। अजमेर मिलिट्री स्कूल से शुरुआती शिक्षा हासिल करने वाले डोभाल 1968 बैच के आईपीएस हैं। हाल ही में इराक से भारतीय नर्सों की वापसी में महत्वपूर्ण भूमिका। कंधार विमान कांड के वक्त मुख्य वार्ताकार थे। पाकिस्तान में जासूस रहे। 2005 में रिटायरमेंट के बाद विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन की स्थापना की।
खासियत: दुश्मनों की कमजोरियों से परिचित। वेश बदलने में माहिर। हमेशा प्लान बी के लिए तैयार।
कल से हालत आज बेहतर हुए हैं और कल और अच्छे होंगे। कश्मीर की समस्याओं से हम वाकिफ हैं और उन्हें हल करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।
(जुलाई 2016 में)
राजिन्दर खन्ना, रॉ प्रमुख
रॉ में आतंकवाद विरोधी इकाई के जनक। दुनिया भर की खुफिया एजेंसियों से सहयोग हासिल करने में महारत हासिल।
मूलत: आईपीएस ऑफिसर लेकिन बाद में रिसर्च एंड एनालिसिस सर्विस (आरएएस) में गए। 1978 बैच के अधिकारी। दिसंबर 2014 में रॉ के प्रमुख बनाए गए। आरएएस से रॉ प्रमुख बनाए गए पहले अधिकारी। दिसंबर में कार्यकाल खत्म हो रहा है। कई आतंक विरोधी अभियानों का नेतृत्व किया है। खुफिया विभाग में कई जिम्मेदारियां संभाली। कहा जाता है कि कई देशों में बतौर जासूस भी काम किया है। लंबे कार्यकाल में पूर्वोत्तर में भी काम किया।
खासियत: सार्वजनिक जीवन से दूर। मीडिया से दूर रहकर काम करते हैं।
आतंकियों के मंसूबे नाकाम करने और विदेशों में आतंकियों के हिमायतियों के बारे में खुफिया जानकारी हासिल करने की कोशिशों का अहम हिस्सा। पाकिस्तान के छद्म युद्ध के खिलाफ लंबा अनुभव।
ले.ज. रणबीर सिंह, डीजीएमओ
39 साल का कॅरियर। 1975 में बिहार रेजिमेंट से शुरुआत।
मिलिट्री ऑपरेशन के डॉयरेक्टर जनरल (डीजीएमओ) पद पर आने से पहले जनरल रणबीर सिंह असम में तैनात थे। उनके कार्यकाल में असम में उग्रवादी गतिविधियों में काफी कमी आई। अपने चार दशक के कार्यकाल में उन्होंने स्टॉफ और मोर्चे दोनों स्तर पर बखूबी काम किया है। 2012-14 के दौरान भारत-म्यांमार सीमा पर उन्होंने शांति स्थापित की।
खासियत: लंबे सैन्य अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम देने की काबलियत। घेरेबंदी करने में माहिर। सीधी लड़ाई का अनुभव। कम से कम जोखिम में सफलता हासिल करने का रिकॉर्ड।
मैं यकीन दिलाता हूं कि भारतीय सेना दुश्मन को माकूल जवाब देगी। हमले की जगह और वक्त हम तय करेंगे। हम ताजा हालात पर नजर रखे हुए हैं।
(उरी हमले के बाद)