पानी की उपलब्धता और गुणवत्ता पर टिका देश का भविष्य

सचिन श्रीवास्तव
केंद्र सरकार की रिपोर्ट:
अ 21स्ट सेंचुरी इंस्टीट्यूशनल आर्किटेक्चर फॉर इंडियाज वाटर रिफॉम्र्स

2030 तक पीने के पानी का आधा हिस्सा खर्च हो जाएगा,
अगर मौजूदा मांग जारी रहने पर
60 प्रतिशत जिलों में बेतहाशा दोहन के कारण भू-जल का स्तर गिर रहा है। पानी की गुणवत्ता भी हो रही प्रभावित

2030 में
1382 प्रतिशत
बढ़ जाएगी बड़ी सिंचाई परियोजनाओं की लागत
325 प्रतिशत ज्यादा खर्च आएगा मध्यम सिंचाई योजनाओं पर

25 से 35 प्रतिशत पानी की उपलब्धता है भारत में खेती के लिए, जो दुनिया में सबसे कम है।
02 गुना ज्यादा पानी मिलता है चीन में खेती के लिए भारत के मुकाबले

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सूख रही नदियां
देश में नदियों के सूखने की एक बड़ी वजह भूजल का बहुत ज्यादा दोहन है

जल शोधन में कमी
4000 करोड़ लीटर सीवेज प्रतिदिन निकलता है देश के शहरों से
20 प्रतिशत सीवेज का ही शोधन हो पाता है