आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस: रोबोटिक दुनिया- खतरा या उम्मीद?
8 सितंबर 2016 को राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित |
सचिन श्रीवास्तव
स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एआई100 नामक रिपोर्ट ने 2030 की रोबोट संचालित दुनिया की तस्वीर सामने रखी है। इसके साथ ही यह बहस शुरू हो गई है कि इंसानी दुनिया को भविष्य के रोबोट संचालित करेंगे या दुनिया इंसान के हाथों में होगी, और ये खुद सीखने वाले रोबोट उसके मददगार होंगे? इन सवालों से टेक कंपनियां काफी समय से जूझ रही हैं। अगस्त के आखिर और सितंबर के शुरुआती सप्ताह में पांच दिग्गज आईटी कंपनियां (अल्फाबेट, अमेजन, फेसबुक, आईबीएम और माइक्रोसॉफ्ट) रोबोट तकनीक के लिए नियम-कायदे बनाने के लिए माथापच्ची कर रही थीं। लेकिन दुनिया की नजरें इनकी बातचीत के नतीजों से ज्यादा सबसे बड़ी टेक कंपनी एपल पर थीं, जिसने इन बैठकों से दूरी बना रखी है। इस बीच एआई के कारण जॉब कटौती का मुद्दा भी बहस में है।
एआई वाले रोबोट पर किसका होगा कमांड?
कैप्टन अमरीका और एवेंजर्स जैसी साइंस फिक्शन फिल्मों की बहस अब हकीकत की दुनिया में भी तेज हो गई है। इस बहस के तीन मुख्य हिस्से हैं।
पहली बहस: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के प्रयोगों के नियम क्या हों?
इस सवाल पर अल्फाबेट, अमेजन, फेसबुक, आईबीएम और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज आईटी कंपनियां लगातार बैठकें कर रही हैं। इन कंपनियों ने जॉब्स, परिवहन और युद्ध जैसे विषयों में एआई की सीमाएं तय करने पर बातचीत शुरू की है।
दिक्कत: दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी एपल इन बैठकों से नदारद है। एपल का कहना है कि एआई प्रयोगों के लिए किसी नियम कायदे की फिलहाल जरूरत नहीं।
दूसरी बहस: एआई रोबोट जब हमारी दुनिया में शामिल होंगे, तो उनके लिए नियम कायदे क्या होंगे?
हाल ही में ड्राइवर लैस कारों की दुर्घटनाओं ने इस सवाल को नए सिरे से उठाया है। फिलहाल विकसित देशों में एआई का दखल रोजमर्रा के जीवन में बढ़ रहा है।
दिक्कत: हकीकत की जिंदगी कंप्यूटर की कोडिंग से ज्यादा जटिल और चौंकाने वाली है। इसका पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। कंप्यूटर संचालित तकनीक इस सिरे पर आकर ठिठक जाती है। खुद समस्याओं को सुलझाने वाले रोबोट क्या इस दुनिया में फिट हो पाएंगे?
तीसरी बहस: क्या दुनिया में एआई रोबोट के दखल से नौकरियों में कमी आएगी?
हाल ही में एक रिपोर्ट ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के कारण 50 प्रतिशत नौकरियां कम हो जाएंगी। दुनिया में बेरोजगारी की दर तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में यह चिंता बढ़ाने वाली खबर है।
दिक्कत: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को विकसित देश प्रमोट कर रहे हैं, वे जॉब्स कटौती से ज्यादा प्रभावित नहीं होंगे। लेकिन विकासशील देशों में जॉब्स कटौती से सामाजिक असंतुलन बढ़ेगा।
2030 तक घरों का सदस्य होगा एआई रोबोट
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर विभिन्न टेक कंपनियां अपना सबसे ज्यादा ध्यान दे रही हैं। ऑटोमोबाइल सेक्टर से लेकर फूड मार्केट तक में रोबोट ने इंसानों की जगह लेना शुरू कर दिया है। अब यह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी बदलने की दिशा में बढ़ रहा है। दो दिन पहले स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने एआई100 रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें वैज्ञानिकों ने बताया है कि 2030 तक कैसे रोजमर्रा की जिंदगी में एआई रोबोट शामिल होंगे। दो साल की रिसर्च पर आधारित यह रिपोर्ट बताती है कि 2030 में रोबोट आम मध्यमवर्गीय परिवारों के रोजमर्रा के कामों, घर की सफाई, सुरक्षा और बच्चों को स्कूल छोडऩे जाने से लेकर अप्वाइंटमेंट फिक्स करने तक के कामों को अपनी खुद के दिमाग से अंजाम देने लगेंगे।
परिवहन: परिवहन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल का सबसे शुरुआती हिस्सा है। 2003 में वाहन पार्किंग में यह ड्राइवर की मदद के साथ सबसे पहले इस्तेमाल हुआ। 2007 में हाइवे पर दुर्घटना क्षेत्रों की पहचान करने और 2015 में हाइवे पर लेन बदलने में एआई के सफल उपयोग ने उम्मीदें बढ़ाईं। अब 2016 से एआई बिना ड्राइवर के वाहन पार्किंग को अंजाम दे रही है।
सेल्फ ड्राइविंग: 1930 के दशक के साइंस फिक्शन लेखकों की कल्पना अब हकीकत बन चुकी है। 2000 के बाद समुद्र और अंतरिक्ष में सेल्फ ड्राइविंग व्हीकल हकीकत बन चुके थे। अब वे हमारी सड़कों पर हैं। टेस्ला की कार दुर्घटना ने सवाल खड़े किए हैं, लेकिन टेक कंपनियां आश्वस्त हैं कि 2020 तक सेल्फ ड्राइविंग कारें प्रयोगों से बाहर आकर आम लोगों के इशारों पर चलेंगी।
घरों में रोबोट: 2001 में इलेक्ट्रोलक्स ट्रिलोबाइट नामक रोबोट ने वैक्यूम क्लीनिंग में अपना योगदान देकर भविष्य की जो तस्वीर दिखाई थी, अब बहुत हद तक साफ हो चुकी है। 2030 में समस्याओं को खुद सुलझाने वाले रोबोट आपके घर का हिस्सा होंगे। इनकी चिप में आपके घर का थ्रीडी मॉडल होगा और क्लाउड के जरिये ये लगातार अपने आपको अपडेट करते रहेंगे। यह रोबोट सुरक्षा, सफाई और सार्थकता के मॉडल पर काम करेंगे।
हेल्थकेयर: मेडिकल क्षेत्र का भविष्य अब जल्द ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से तय होगा। कैंसर जैसी बीमारियों के सेल ढूंढकर उन्हें शरीर के अंदर ही खत्म करने से लेकर बीमारियों का सालों पहले पता लगाने में इनका उपयोग अगले पांच से सात सालों में आम होने की उम्मीद है। हेल्थ रिपोर्ट के अध्ययन में रोबोट का इस्तेमाल शुरू हो गया है। 2030 में शोध को यह पूरा ध्यान रखेगा।
एडवांस रोबोटिक या एआई के खतरे
तकनीक अपने आपमें एक हथियार है, जिसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हिस्से हैं। बुरे हाथों में रोबोटिक तकनीक बड़ी तबाही ला सकती है। रिसर्चर मानते हैं कि यह तकनीक युद्ध के नियमों को पूरी तरह बदल देगी। भविष्य में रोबोटिक सैनिक हकीकत होंगे, और यह मानवता के लिए बड़ा खतरा साबित होंगे। सरकारें रोबोट्स का इस्तेमाल अपनी सत्ता कायम रखने के लिए कर सकती हैं। इसके गैरकानूनी इस्तेमाल के भी खतरें हैं। रोबोट के प्रोग्राम को हैक कर उससे कोई भी गलत काम कराया जा सकता है। इससे क्राइम के नए रूप सामने आ सकते हैं।
रोबोट की समझ पर किसका हक?
बीते सप्ताह ब्यूटी.एआई कॉन्टेस्ट ने एक नया सवाल खड़ा कर दिया है। इस कॉन्टेस्ट में प्रोग्राम्ड और एआई दोनों तरह के रोबोट को जज बनाया गया और नतीजे हैरान करने वाले थे। हर बार एआई रोबोट ने व्हाइट महिला को ही सुंदरता के खिताब की हकदार बताया। इससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर कंप्यूटर आधारित तकनीक की खुद सीखने की भी एक सीमा है और उस पर प्रमोटर और निर्माता कंपनियों की सोच का असर साफ दिखेगा।