माल्या की वापसी: नामुमकिन तो नहीं, लेकिन मुश्किल बहुत
करीब एक साल से ब्रिटेन में रह रहे भारतीय कारोबारी विजय माल्या को भारत लाने की कोशिशों के बीच स्कॉटलैंड यार्ड ने उन्हें लंदन में गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के चंद घंटों बाद ही माल्या को जमानत मिल गई। इस कानूनी प्रक्रिया के बीच कहा जा रहा है कि माल्या को भारता लाना वैसे ही आसान नहीं था, और मौजूदा कार्रवाई से मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। इसकी वजह है भारत-ब्रिटेन के बीच प्रत्यर्पण संधि की जटिल प्रक्रिया और माल्या का अब ब्रिटिश के कानूनी दायरे में आना। विशेषज्ञों के मुताबिक
अब प्रत्यर्पण लंबी प्रक्रिया बन जाएगा। जिस कोर्ट में सुनवाई हो रही है, उसे प्रत्यर्पण के मामले में फैसले का अधिकार नहीं है। अदालत दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद सरकार को सुझाव दे सकती है।
- 100 से ज्यादा देशों से प्रत्यर्पण संधि है ब्रिटेन की
- 1993 में हुई थी भारत-ब्रिटेन के बीच प्रत्यर्पण की संधि
- टाइप बी यानी कैटेगरी 2 वाले मुल्कों में शामिल है भारत
- 57 भगोड़ों की लिस्ट सौंपी गई थी पिछले साल ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे की भारत यात्रा के दौरान
- 17 ऐसे भगोड़े शामिल थे इस लिस्ट में, जिन्हें ब्रिटेन की अदालत में दोषी पाया गया है
- 24 साल में एक भी भगोड़ा भारत को नहीं सौंपा है ब्रिटेन ने
- 02 ब्रिटिश नागरिकों को प्रत्यर्पित कर चुका है भारत
- 62 लोगों का ही प्रत्यर्पण हुआ है 2002 से अब तक भारत में दुनिया भर के देशों से। विदेश मंत्रालय के 22 मार्च को जारी आंकड़ों के मुताबिक
बीते साल मई से अब तक यह हो चुका है
- विदेश मंत्री से आग्रह किया गया
- विदेश मंत्रालय ने भारत से प्रत्र्यपण आग्रह का शुरुआती मसौदा मांगा
- ब्रिटिश गृह मंत्रालय की अंतराष्ट्रीय अपराध ईकाई ने इस आग्रह पर विचार किया
- इसे अदालत को दिया गया
- अदालत सहमत दिखी कि पर्याप्त जानकारी मुहैया कराई गई है, तो गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया
- जमानत दे दे गई
- जमानत के बाद शुरुआती सुनवाई शुरू होगी
- शुरुआती सुनवाई में मामला सही पाए जाने पर आगे की सुनवाई होगी
- इसके बाद प्रत्यर्पण सुनवाई शुरू होगी
- इसमें जज संतुष्ट होंगे, तो मामले को विदेश मंत्रालय को बढ़ा दिया जाएगा
- इस दौरान विजय माल्या मामला विदेश मंत्रालय को भेजने के जज के फैसले के खिलाफ अपील कर सकता हैं
- विदेश मंत्रालय को मामला भेजने के दो महीने में फैसला करना होता है
- यदि दो महीने में निर्णय नहीं हुआ, तो माल्या रिहाई के लिए आवेदन कर सकेंगे
- विदेश मंत्री अदालत से फैसले की तारीख आगे बढ़वा सकते हैं
- पूरी प्रक्रिया में माल्या के पास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील का अधिकार रहेगा
जटिल और लंबा है वापसी का रास्ता
ब्रिटेन की कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक, माल्या के भारत लौटने का रास्ता काफी जटिल और लंबा है। बीते साल मई में भारत ने माल्या का पासपोर्ट रद्द कर ब्रिटेन से प्रत्यर्पण की अपील की थी, लेकिन ब्रिटेन का कहना था कि यहां रहने के लिए किसी वैध पासपोर्ट की जरूरत नहीं। हालांकि माल्या के खिलाफ गंभीर आरोप हैं, इसलिए प्रत्यर्पण पर विचार किया जा रहा है।
विदेश मंत्रालय और अदालत लेंगे निर्णय
ब्रिटिश नियमों के मुताबिक, भारतीय नागरिक के प्रत्यर्पण का फैसला विदेश मंत्रालय और अदालतों के दायरे में आता है। यह प्रक्रिया काफी लंबी है।
अदालती प्रक्रिया है तेज
ब्रिटेन में मामलों की सुनवाई जल्दी होती है। आपराधिक मानहानि के मामलों में कुछ वक्त लगता है। ज्यादातर देरी सरकारी कारणों से होती है।
- ब्रिटिश मानवाधिकार आयोग अन्य देशों के मुकाबले सख्त और मानवीय पहलू को समझने वाला माना जाता है
- कई मामलों में राजनीतिक हालात के कारण प्रत्यर्पण मुश्किल होता है। दूसरे दल सत्ता में आते हैं, तब तक देर हो जाती है।
- कई मामलों में आरोपी की उम्र ज्यादा होना उनके पक्ष में जाता है।
गिरफ्तारी से मजबूत हुआ माल्या का पक्ष
आशंका है कि माल्या की तात्कालिक गिरफ्तारी का भारत की संभावनाओं पर उलटा असर पड़ेगा। माल्या के अदालत में पेश होते ही मिली बेल, उनके पक्ष में ही गई है। इससे माल्या ने प्रत्यर्पण रुकवाने की जमीन तैयार कर ली है। अब माल्या का मामला ब्रिटिश न्यायिक व्यवस्था का हिस्सा बना लिया है। साथ ही माल्या के पास ब्रिटिश कानूनों में उपलब्ध सभी विकल्पों का इस्तेमाल करने का रास्ता खुल गया है।
और भी भगोड़े हैं ब्रिटेन में
ब्रिटेन को भारत के भगोड़ों की कई सूची सौंपी जा चुकी हैं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। विजय माल्या के अलावा कई और चर्चित शख्सियतों ने ब्रिटेन में शरण ली है।
1- रवि शंकरन, नेवी का पूर्व लेफ्टिनेंट कंमाडर
आरोप: 2005 में नौसेना की खुफिया जानकारी कंपनियों को लीक की।
फिलहाल जमानत पर, मामला ब्रिटिश अदालत में 2006 से लंबित
2- ललित मोदी, पूर्व आईपीएल कमिश्नर
आरोप: बीसीसीआई को वित्तीय नुकसान पहुंचाया
2009 से ब्रिटेन में हैं। दोनो देशों की अदालतों में मामला लंबित
3- टाइगर हनीफ, गैंगस्टर
आरोप: 1993 के सूरत ब्लास्ट का आरोपी
फिलहाल मामला ब्रिटिश मानवाधिकार आयोग में लंबित
4- संजीव चावला, क्रिकेट सट्टेबाज
आरोप: 2000 में मैच फिक्सिंग के आरोप में दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर हैंसी क्रोन्ये से करोड़ों का लेनदेन किया
फिलहाल लंदन की निचली अदालत में प्रत्यर्पण का मामला चल रहा है
5- लॉर्ड सुधीर चौधरी, हथियार डीलर
आरोप: 2006 में इजरायल से बराक डील सहित कई सौदों में दलाली लेने का आरोप
फिलहाल ब्रिटिश अदालत में सुनवाई चल रही है
6- नदीम सैफी, संगीतकार
आरोप: टी-सीरीज के मालिक गुलशन कुमार की हत्या के षड्यंत्र में हिस्सेदारी का आरोप।
भारत सरकार ब्रिटेन की अदालत में प्रत्यर्पण का केस हार चुकी है
7- रेमंड वार्ले, बाल अधिकार कार्यकर्ता
आरोप: सैकड़ों बच्चों के साथ यौन शोषण का मामला
68 साल की उम्र। सेहत के कारण प्रत्यर्पण में परेशानी