राजनीतिक बयानबाजी : जुमलों और भाषणों का चुनाव

सचिन श्रीवास्तव
मौजदा विधानसभा चुनावों के प्रचार अभियान में विभिन्न पार्टियों एक-दूसरों पर बयानों के तीर चला रही हैं। इन जुबानी हमलों से कई बार नए विवाद खड़े हो रहे हैं, तो कई बयान खुद अपनी ही पार्टी के लिए घातक साबित हो रहे हैं। इन सबके बीच विशेषज्ञों का मानना है कि देश की राजनीति में चुनाव प्रचार अभियान की बयानबाजी अब तक के निम्नतम स्तर पर पहुंच चुकी है। यह बयानबाजी हमारी राजनीतिक गिरावट को भी दिखाती है और जनता को मुद    ्दों से भटकाने की राजनीतिक योग्यता को भी बेनकाब करती है। प्रचार के दौरान कई बार तो नेता राजनीतिक मर्यादा को भी ताक पर रख रहे हैं। चार चरणों के दौरान जुबानी जमाखर्च से पैदा हुए विवादों पर एक नजर….

1- गधा हुआ चुनाव में चर्चित
एक जानवर किसी चुनाव में इतना चर्चित हो जाएगा इसका अंदाजा किसी को नहीं था। शुरुआत हुई उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के एक भाषण से। इसके बाद लगातार बयानबाजी चली आ रही है। विभिन्न मंचों से भाजपा के नेताओं ने
पलटवार किया, तो वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने जवाब में कहा, “मैं देश के लिए गधे की तरह काम करता हूं”। कुल मिलाकर, अब तक गधा चर्चा इस विधानसभा चुनाव की चर्चाओं के केंद्र में रही है।

2- कब्रिस्तान और श्मशान का रंग
वैसे तो चुनाव आयोग ने धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर वोटों की लामबंदी रोकने के लिए कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं, लेकिन फिर भी इशारों-इशारों में नेता अपने धार्मिक वोट को संबोधित कर ही देते हैं। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान पर खासा विवाद हुआ। उत्तर प्रदेश के बहराइच में रविवार 19 फरवरी को एक रैली में प्रधानमंत्री ने राज्य की अखिलेश यादव सरकार पर परोक्ष निशाना साधते हुए कहा था कि, अगर गांव में कब्रिस्तान बनता है तो श्मशान भी बनना चाहिए। साथ ही उन्होंने त्यौहारों के दौरान बिजली कटौती में भेदभाव पर भी तंज कसा।

यह भी पढ़ें:  क्या संभव है ईवीएम से छेड़छाड़?

3- उत्तर प्रदेश में याद आया कसाब
यह चुनाव नई परिभाषाओं के लिए भी याद किया जाएगा। भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने बीते बुधवार को कांग्रेस, सपा और बसपा को ‘कसाबÓ की संज्ञा दे डाली। उन्होंने कहा कि ‘कÓ से कांग्रेस, ‘सÓ से सपा और ‘बÓ से बसपा। इसके जवाब में मायावती ने शाह की तुलना ही कसाब से कर दी। उन्होंने कहा कि अपने देश में अमित शाह से बड़ा कोई भी कसाब नहीं हो सकता है यानी आतंकी नहीं हो सकता है। मायावती ने भाजपा नेता की सोच को घटिया भी करार दिया।

4- स्कैम से विकास तक का सफर
इस चुनाव में स्कैम शब्द खूब चर्चा में है। शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेरठ की जनसभा से की। उन्होंने उत्तर प्रदेश को स्कैम से बचने की सलाह देते हुए कहा कि स्कैम के एस का मतलब समाजवादी पार्टी, सी का मतलब कांग्रेस, ए का मतलब अखिलेश और एम का मतलब मायावती है। इस पर, अखिलेश ने तुरंत पलटवार किया और एस से सेव, सी से कंट्री, ए से अमित शाह और एम का अर्थ मोदी बताया, यानी सेव कंट्री फ्रॉम अमित शाह एंड मोदी। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी स्कैम का नया मतलब बताया। उनके लिए स्कैम का मतलब है- एस से सर्विस (सेवा), सी से करेज (साहस), ए से एबिलीटी (योग्यता) और एम से मोडेस्टी (विनम्रता)। मामला यहीं नहीं रुका प्रधानमंत्री अलीगढ़ में ‘स्कैम’ वाले संबोधन से एक कदम आगे निकल कर ‘विकास’ तक पहुंचे। उन्होंने विकास की स्पेलिंग का नया फुलफॉर्म बताते हुए कहा, वि से विद्युत, क से कानून व्यवस्था और स से सड़क।

5- बीएसपी का जवाब मिला एनडीएम
परिभाषाओं का सिलसिला यहीं नहीं थमता। नरेंद्र मोदी और मायावती के बीच भी फुलफॉर्म की जुमलेबाजी चर्चा में रही। मोदी ने मायावती पर निशाना साधते हुए कहा, बसपा का मतलब है बहनजी संपत्ति पार्टी। उन्होंने कहा कि बसपा का बहुजन, बहनजी में सिमट गया है। इस पर मोदी के अंदाज में उन्हें जवाब देेते हुए मायावती ने एक रैली में कहा कि उनके नाम में ही दलित विरोध है। उन्होंने नाम नरेंद्र दामोदरदास मोदी का अर्थ निगेटिव दलित मैन बताया।

यह भी पढ़ें:  सख्त सरकारें: सोशल मीडिया की नफरत के खिलाफ बना पहला कानून

और गोद लेने पहुंचे दंपती
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री ने खुद को ‘उत्तर प्रदेश का गोद लिया बेटा’ करार दिया। इस पर राजनीतिक विवाद पैदा हो गया। प्रियंका गांधी ने कहा कि क्या उत्तर प्रदेश के पास बेटा नहीं है, जो कोई बाहरी को उत्तर प्रदेश गोद लेगा। वहीं, उत्तर प्रदेश बाल संरक्षण आयोग ने प्रधानमंत्री से गोद लेने वाले दंपती का ब्यौरा उपलब्ध कराने के लिए नोटिस जारी कर दिया। हालात तब और दिलचस्प हो गए जब इन विवादों से बचाने के लिए मंगलवार को गाजियाबाद के एक दंपती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गोद लेने के लिए सब-रजिस्ट्रार के ऑफिस पहुंचे। हालांकि दोनों पक्ष उपस्थिति नहीं होने के कारण उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा।

यह बयान भी रहे चर्चा में

सपा के शासन में यूपी ने बुरा राज देखा है। मुलायम ने हमेशा सांप्रदायिकता की राजनीति की है। मैं उनसे कहना चाहूंगा कि अब तो मरने का समय आ गया है।
– सुरेश बालियान, केंद्रीय मंत्री

रेप करने वालों को उल्टा लटकाकर तब तक मारना चाहिए जब तक खाल बाहर न आ जाए फिर उसमें नमक डालना चाहिए।
– उमा भारती, केंद्रीय मंत्री

भाजपा में प्रियंका गांधी से ज्यादा सुंदर अभिनेत्रियां और प्रचारक महिलाएं हैं। प्रियंका के प्रचार करने पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
– विनय कटियार, राज्यसभा सांसद

बीजेपी को आने से रोको मुसलमानो, वरना बीजेपी तुमको रोजा नहीं रखने देगी, नमाज पढऩी भी बंद हो जाएगी।
हाजी याकूब कुरैशी, बीएसपी प्रत्याशी, मेरठ दक्षिण

पीएम मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह दोनों ही ‘आतंकवादी’ हैं। दोनों ही देश में आतंक फैलाना चाहते हैं।
राजेंद्र चौधरी, वरिष्ठ नेता, समाजवादी पार्टी