वर्चुअल वर्ल्ड में बहस तेज: नेट न्यूट्रेलिटी में बराबरी क्यों नहीं?
7 जुलाई 2016 के राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित |
सचिन श्रीवास्तव
टेलीकॉम कंपनियां मढ़ रहीं अन्य पक्षों पर दोष, ट्राई का जोर निगरानी पर
टेलीकॉम कंपनियां मढ़ रहीं अन्य पक्षों पर दोष, ट्राई का जोर निगरानी पर
4जी के ग्राहकों को 3जी जैसी स्पीड और 3जी वालों को मिल रही 2जी जैसी सर्विस के बीच नेट न्यूट्रेलिटी पर ट्राई के नए कदम से वर्चुअल वल्र्ड में बहस फिर तेज हो गई है। टेलीकॉम कंपनियों ने दूसरे पक्षों पर निशाना साधा है और सभी के लिए एक समान नियम की वकालत की है। लेकिन इस पर भी ग्राहक संदेह जता रहे हैं। असल में इस बहस की ताजा शुरुआत ट्राई की ओर से नए नियम बनाने के लिए मांगे गए सुझावों की प्रक्रिया पूरी होने की घोषणा के बाद हुई। टेलीकॉम कंपनियों के मुताबिक, अभी कंटेंट प्रोवाइटर अपने पसंदीदा एप के लिए इंटरनेट की स्पीड तेज कर देते हैं, जबकि अन्य एप्स के लिए लिए स्लो इंटरनेट मिलता है। साथ ही अपडेट के नाम पर भी ग्राहकों को बरगलाया जाता है। टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर का प्रतिनिधित्व सेल्युलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया और एसोसिएशन ऑफ यूनिफाइड टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर ऑफ इंडिया कर रहे हैं। इन संगठनों का कहना है कि नेट न्यूट्रेलिटी सिर्फ टेलीकॉम सेक्टर का मसला नहीं है। इस मुद्दे के अन्य पक्ष जैसे कंटेंट कंपनियां, टॉप एप्लिकेशन्स और डिवाइस कंपनियां मुफ्त में चल रही हैं। यानी यह ऐसा तंत्र है जिसमें सभी की भूमिका अहम है। नेट न्यूट्रेलिटी में सेम सर्विस, सेम रूल की मांग तो तेज हो ही रही है। ट्राई नेट न्यूट्रेलिटी के माध्यम से इंटरनेट डाटा प्रोवाइडर कंपनियों पर लगाम कसने की तैयारी में है। अलग-अलग वेबसाइट, अलग दर चार्ज न करें इस पर लगाम कसी जाएगी। इंटरनेट सर्विस प्रोवाइड कंपनियां इसका विरोध कर रही हैं, वे अन्य पक्षों पर लगाम की बात कर रही हैं।
कंटेंट व सेवा की लड़ाईइस मामले में सर्विस प्रोवाइडर और साइट्स व एप कंपनियां, दोनों के हित हैं। सेवा प्रदाता कंपनी चाहती हैं कि ऑफरिंग एप पर ज्यादा डाटा खर्च हो। नार्मल डाटा पैक से इंटरनेट चलाते हैं, तो स्पीड बेहद तेज होती है। यह सामान्य बात है। जबकि विशेष पैक में स्पीड नहीं मिलती। डाटा कंज्यूमिंग इसका बड़ा पहलू है।
विक्रम कुमार, आईटी एक्सपर्ट
ट्राई का निगरानी एप
ट्राई ने एक मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया है। यह मोबाइल इंटरनेट स्पीड पर नजर रखेगा। यह एप्लिकेशन सारा डाटा ट्राई के पोर्टल पर भेजेगा, जिसे कोई भी देख सकता है। इससे विशेष साइट पर ज्यादा डाटा चार्ज या कम डाटा स्पीड ट्रैक की जा सकेगी। यानी व्हाट्सएप का डाटा स्लो है, तो सर्विस प्रोवाइडर पर इसके लिए जुर्माना किया जा सकता है। ट्राई ऐसे तंत्र को विकसित कर रही है, जिससे सभी एप पर समान स्पीड हो।