महंगा इंटरनेट: डेटा के लिए देते हैं हम 4 गुना ज्यादा पैसा
1 सितंबर 2016 के राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित |
सचिन श्रीवास्तव
अगर आप सोचते हैं कि भारत में टेलीकॉम कंपनियां आपको सस्ती दर पर डाटा उपलब्ध करा रही हैं, तो आप पूरी तरह से गलत हैं। डिजिटल मीडिया पर अध्ययन करने वाली वैश्विक कंसल्टिंग फर्म मसोन की ताजा रिपोर्ट बताती है कि मानकों के अनुसार, भारत में इंटरनेट औसत यूजर एक जीबी डेटा के लिए 228 रुपए खर्च करता है, जो वैश्चिक मानकों के मुताबिक, चार गुना महंगा है। यानी इनमें 75 प्रतिशत की कमी मुमकिन है। दिलचस्प बात यह है कि इस कमी के बावजूद कंपनियों को खासा मुनाफा होगा। क्योंकि भारत के 67 करोड़ सिम यूजर्स के बीच इंटरनेट की पहुंच ज्यादा होगी और वे ज्यादा डेटा इस्तेमाल कर सकेंगे।
75 प्रतिशत कमी क्यों?
फिलहाल भारत में एक जीबी डेटा की दर औसतन 228 रुपए है। अन्य विकसित और विकासशील देशों की प्रति व्यक्ति आय और डेटा दर के मुकाबले यह बेहद ज्यादा है। प्रति व्यक्ति सकल घरेलू आय के मुकाबले भारत में डेटा टैरिफ 2.6 प्रतिशत है। वहीं दुनिया भर के अन्य विकसित और विकासशील देशों में यह 0.4 से 0.5 प्रतिशत है। दूसरे शब्दों में कहें तो भारत में एक औसत इंटरनेट यूजर अपनी सालना कमाई का 2.6 प्रतिशत हिस्सा प्रतिमाह एक जीबी डेटा इस्तेमाल करने पर खर्च करता है। यह विकसित देशों के औसत 0.2-0.4 के मुकाबले बेहद ज्यादा है।
दरें घटेंगी, तो बढ़ेगी कंपनियों की कमाई
अगर भारत में डेटा दरों में 75 प्रतिशत की कमी की जाती है, तब भी कंपनियों को घाटा नहीं होगा। इस कमी से 67 करोड़ सिम इस्तेमाल करने वाले देश में इंटरनेट यूजर्स की संख्या में इजाफा होगा, और प्रति माह डेटा इस्तेमाल भी बढ़ेगा। मेसोन के अनुमान के मुताबिक, अगर दरों में कमी की जाती है तो भारत में 2019-20 तक प्रति माह डेटा इस्तेमाल 4.2-4.3 जीबी तक पहुंच जाएगा।
1 जीबी के बदले 10.2 जीबी डेटा
अगर अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार भारत में 57 रुपए प्रति जीबी की दर पर डेटा उपलब्ध कराया जाता है, तो अपनी मौजूदा आदतों के आधार पर भारतीय यूजर 10.2 जीबी डेटा इस्तेमाल करेंगे। इससे प्रति यूजर 645 रुपए की कमाई होगी।
भारत में जारी है प्राइस वार
रिलायंस जियो के आगमन के बाद भारतीय बाजार में डेटा टैरिफ की जंग तेज हो गई है। रिलायंस 21 बिलियन डॉलर (1400 अरब रुपए) की भारी रकम के साथ बाजार में दाखिल हो रही है।
डेटा की उपलब्धता
फिलहाल भारत में इंटरनेट स्पीड काफी कम है। इसके बढऩे के आसार हैं। 3जी सेवा तेजी से सुधर रही है और 4जी डेटा की मांग भी बढ़ी है। 4जी सेवा आने के बाद देश में इंटरनेट यूजर की आदतों में भी बदलाव की संभावना है और वह अतिरिक्त इंटरनेट इस्तेमाल करने की ओर बढ़ेंगे।
कम होगी अंग्रेजी के इंटरनेट यूजर्स की हिस्सेदारी
भारत में फिलहाल 35 करोड़ इंटरनेट यूजर हैं, जो 2020 में बढ़कर 73 करोड़ होने का अनुमान है। इस बारे में गूगल का ताजा आकलन है कि अगले 30 करोड़ नए इंटरनेट यूजर गैर-अंग्रेजी क्षेत्रों के होंगे। इस तरह अगले चार साल में अंग्रेजी भाषी इंटरनेट यूजर का प्रतिशत सिकुड़ जाएगा।
5 से 13 गुना ज्यादा खर्च अन्य देशों के मुकाबले
2.6 प्रतिशत हिस्सा सालाना कमाई का डेटा पर खर्च करते हैं भारतीय इंटरनेट यूजर
0.2-0.4 है विकसित देशों में इंटरनेट डेटा सालाना कमाई खर्च करने का प्रतिशत
0.4-0.5 प्रतिशत हिस्सा खर्च करते हैं भारत के अलावा अन्य विकसित देशों के इंटरनेट यूजर
228 रुपए की औसत दर पर प्रति जीबी डेटा इस्तेमाल करते हैं भारतीय
57 रुपए प्रति जीबी होनी चाहिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार भारत में इंटरनेट डेटा की दर
दुनिया का सबसे बड़ा बाजार
35 करोड़ है फिलहाल भारत में इंटरनेट यूजर
10 करोड़ लोग नियमित इंटरनेट उपयोग करते हैं देश में
67 करोड़ एक्टिव सिम हैं देश में
73 करोड़ हो जाएंगे 2020 तक देश में इंटरनेट यूजर
स्पीड भी कम है भारत में
भारत में 4 एमबीपीएस की स्पीड के लिए प्रति माह करीब 1250 ुरुपए खर्च करने पड़ते हैं। वहीं दक्षिण कोरिया में 2500 रुपए में 100 एमबीपीएस की स्पीड दी जाती है। भारत में फिलहाल 100 एमबीपीएस की स्पीड उपलब्ध नहीं है।
ब्रॉडबैंड यूजर्स
23.4 एमबीपीएस दुनिया में औसत स्पीड
28.1 एमबीपीएस की एशियााई देशों में
7.2 एमबीपीएस की भारतीय यूजर्स को
मोबाइल यूजर्स
12.4 एमबीपीएस दुनिया में औसत स्पीड
10.9 एमबीपीएस की एशियााई देशों में
4 एमबीपीएस भारतीय यूजर्स को मिलती है
स्पीड की दर में यूरोप, अमरीका से पीछे (औसत एमबीपीएस/माह)
यूरोप 335 रुपए
उत्तर अमरीका 536 रुपए
एशिया 2144 रुपए
दक्षिण अमरीका 2300 रुपए
ऑस्ट्रेलिया 6700 रुपए